बाहर आ ही गई उपेक्षा से दु:खी उमा की पीड़ा….

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देवदत्त दुबे ।

पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती भाजपा में अपनी उपेक्षा से दु:खी हैं, इसे लेकर अटकलें लंबे समय  से थीं। शराबबंदी सहित कुछ मसलों पर उनके बयानों और एक्शन से भी कई बार इसका अंदाजा लगता था। नगरीय निकाय चुनाव में प्रचार के लिए भी उनकी पूछपरख नहीं हुई। लिहाजा, धड़ाधड़ आए उमा के ट्वीट्स से उनकी पीड़ा बाहर आ गई। उन्होंने खुद इसका इजहार कर दिया। ट्वीट के जरिए उन्होंने अपनी जीवन गाथा का जिक्र तो किया ही, यह भी बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में भी उनके खिलाफ दो बार कार्रवाई हुई। पहली बार गंगा पर सरकार की नीति के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दे दिया तो उनका विभाग बदल गया। दूसरी बार 2019 में हरियाणा में चुनाव के बाद एक आपराधिक नेता की मदद से सरकार बनाने का विरोध करने पर उन्हें पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से हटा दिया गया। शराबबंदी के खिलाफ मुहिम पर उनका कहना है कि वे कई बार बैकफुट पर आईं लेकिन प्रदेश की शराब नीति से वे आहत हैं। उन्होंने फिर घोषणा की है कि यदि शराब नीति में परिवर्तन न हुआ तो अक्टूबर में गांधी जयंती पर वे भोपाल में पदयात्रा करेंगी। यह पूरी तरह से गैर राजनीतिक होगी। उमा के इस कदम को भी उनकी उपेक्षा और पीड़ा से जोड़कर देखा जा रहा है।


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