शीतला धाम में ऐतिहासिक गर्दभ मेला का आयोजन किया गया

Share:

प्रयागराज। यूपी के कौशांबी जनपद में दो दिवसीय गर्दभ मेला रविवार से शुरू हो गया है। दो दिन तक चलने वाले इस ऐतिहासिक मेले में दूर-दूर से लोग अपने पशुओं के साथ यहां आते हैं। पशुओं के शौकीन यहां आकर बोली लगाते हैं। सौदा तय होने पर पशुओं की खरीद-फरोख्‍त होती है। इस बार मेले के पहले दिन दूसरे प्रांतों के भी पशुपालक यहां पहुंचे हैं। कड़ा के शक्तिपीठ शीतला धाम में मेले की प्रशासनिक अनुमति नहीं ली ।
सिराथू तहसील के कड़ा स्थित शीतला धाम में दो दिवसीय गर्दभ मेला के पहले दिन पशुपालकों की भीड़ जुटी। रविवार की दोपहर तक करीब एक हजार पशुपालक गधेेे, खच्चर व घोड़ों को लेकर यहां पहुंचे। हालांकि इस बार गर्दभ मेला कोरोना वायरस संक्रमण काल में लगा है। हालांकि बताते हैं कि प्रशासन की अनुमति के बिना ही यह आयोजन हो रहा है।
गंगा स्नान के बाद मां शीतला की भी पूजा कर रहे गर्दभ विक्रेता पौराणिक महत्व के स्थल शीतला धाम कड़़ा़ में दशकों से चैत्र मास की सप्तमी व अष्टमी को धोबी समाज की तरफ से यह आयोजन किया जा रहा है। गर्दभ मेले का क्षेत्र के लोगों को इंतजार रहता है। गर्दभ विक्रेता गंगा स्नान के बाद मां शीतला की भी पूजा कर रहे हैं।
गर्दभ मेले का पौराणिक महत्‍व
मान्यता है कि शीतला देवी कड़ा में विद्यमान हैं और उनका वाहन गर्दभ है। शीतला देवी की पूजा तब तक अधूरी मानी जाती है, जब तक कि उनके वाहन गर्दभ को भक्त चना और हरी घास का भोग नहीं लगाते। इस मेले में गधों के अलावा खच्चर व अच्छी नस्ल के घोड़ों की भी बिक्री होती है। बिक्री के लिए इन्हें सजाया, संवारा जाता है।
दूसरे प्रदेशों से भी आए हैं पशुपालक
मेले में जम्मू-कश्मीर, बिहार से भी पशुपालक आए हैं। जानवर दूसरे झुंड में खो न जाएं, इसलिए उन्होंने गधे, खच्चर व घोड़ों पर निशान भी बनवाया है। गर्दभ मेले में धोबी, कलंदर और सपेरा समाज के लोग भी प्रतिभाग करते हैं। धोबी समाज के तमाम लोग लड़के व लड़कियों का रिश्ता तय करते हैं। ऐसी भी मान्यता है कि यहां तय हुआ रिश्ता लंबा चलता है और दंपती खुशहाल रहते हैं।


Share: