जातिवाद के कारण परिजनों ने मृतक का श्मशान में नहीं जलाने दिया

Share:

समीर रंजन नायक।

ओड़िशा : हम कितने भी पढ़े-लिखे या उच्च शिक्षित क्यों न हों, हम मानवता को भूलते जा रहे हैं । ओड़िशा केधुझ जिला से आई है जातीबाद की घटना जो कि ब्रम्हाणी गांव की है।

गाॅव में रहने वाला पांडा नायक उम्र 45 जो की सऊद संप्रदायक का है, उसने मुंडा सम्प्रदाय की एक महिला से विवाह किया था। इस शादी के खिलाफ थे गांव के लोग और परिजन। मजबूरन पांडा नायक को बो अपना गांव छोड़कर तुलसीपुर मे रहना पडा। किसी तरह काम धंधा करके अपने परिवार गुजारा कर रहा था। उसका एक 7 साल का बेटा और 4 साल की बेटी भी है। चार साल पहले उसकी पत्नी पांडा नायक का परिवार छोड़ के किसी अन्य व्यक्ति के साथ घर बसाने के लिए छोड गयी।

पांडा नायक अपने बेटा ओर बेटी के साथ रह रहा था। पिछले कुछ दिनों से वह बीमार चल रहा था । उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। 30 तारीख के रात को पांडा नायक चल बसा। जब कोई भी मृत देह को लेने नहीं आया तो खबर पाकर लाइफ सेवर्स ग्रुप व भरसा परिवार के सदस्य चिकित्सा केंद्र पहुंचे और महाप्रयाण गाड़ी मे पांडा नायक के शव को उसके गाॅव तुत्सीपुर झुंपी ले गए जहां स्थानीय लोगों ने शव को दफनाने से साफ मना कर दिया इसके बाद कबित्र गांव के पीछे एक मयेदान के पीछे में दफन कर दिया।


Share: