कोरोना करा रहा कर्म वीरो और कलंक यो की पहचान

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देवदत्त दुबे

जिस प्रकार धीरज धर्म मित्र अरु नारी आपद काल परखिए चारी के माध्यम से गोस्वामी तुलसीदास ने एक कसौटी पेश की थी वैसा ही समय करोना की आपदा देश में कर्म वीरों और कलंक यो की पहचान करा रहा है । दोनों ही तरह के लोग देखने को मिल रहे हैं । एक तरफ जहां चिकित्सक नर्स पुलिस और इन से आगे वे समाजसेवी जो केवल अपना कर्तव्य समझकर इस समय आपदा में पीड़ित लोगों की मदद करने में अपनी तक जिंदगी को खतरे में डाल रहे हैं । दूसरी ओर ऐसे भी चेहरे कालिख पुते दिखाई दे रहे हैं जो आपदा में पैसा कमाने के चक्कर में लोगों को ठग रहे हैं, दूने और 3 गुने दामों पर आवश्यक सामान को बेच रहे है, इतनी बड़ी विपदा भी उन्हें नहीं समझा पा रही कि इस संकट में ना किसी का पैसा काम आ रहा है और ना ही किसी का रुतबा । सभी को अपने अपने घरों में दुबक ना पड़ रहा है कुछ जगह से ऐसी भयानक खबरें आ रही है की सोचने पर मजबूर हो जाना पड़ता है की इंसान के भेष में अभी भी कितने राक्षस समाज में घूम रहे हैं ।

दिल्ली में नकली मास्क का बड़ा कारखाना पकड़ा गया है और इसमें यह भी पाया गया की मास्क नकली होते हुए भी महंगे दामों पर सप्लाई किए जा रहे थे । सोचो कितना विश्वासघात है उन लोगों के साथ जो महंगे दाम पर मास्क खरीद कर निश्चिंत होंगे कि वे अब कोरोना से बच सकते हैं । ऐसे और भी उदाहरण है जिनसे समाज के कलंकी उजागर हो रहे अभी समय है यह लोग उन लोगों को देख ले जिनके पास अथाह पैसा था आधुनिक चिकित्सा सुविधाएं थी लेकिन कोरोना वायरस की कोई दवाई बनी ही नहीं और अधिकांश ऐसे सर्व साधन संपन्न लोग चीन, इटली, अमेरिका, जैसे देशों में मौत के काल में समा गए है। फिर आप कुछ दिनों में ऐसे कितने पैसे कमा लेंगे जिसमें आप बड़ी आपदा से बच जाएंगे । इसके उलट दूसरी तस्वीर भी दिखाई दे रही है जिसमें गर्व से सीना चौड़ा हुआ जाता है कि कैसे लोग दिन-रात अपनी जान हथेली पर रखकर अपने बच्चों की भी परवाह ना कर के पीड़ितों की सेवा में लगे हैं । दर्जनों डॉक्टर दुनिया में इलाज करते करते मर गए बहरहाल प्रदेश में लॉक डाउन को सफल बनाने के लिए प्रदेश वासियों ने जागरूकता का परिचय दिया है जो जहां है वहीं पर ठहर गया है । बहुत कम लोग हैं जो बेवजह बाहर निकले फिर उनकी पुलिस ने भी अच्छे से खबर ली है ।

प्रदेश के कोने कोने से खबरें आ रही हैं जिसमें लोग मानवता का परिचय दे रहे हैं और एक दूसरे की मदद कर रहे हैं । यह ऐसा अवसर है जब आप अपनी मदद करके परिवार समाज और देश की मदद कर सकते हैं और अपनी मदद केवल घर के अंदर रहने में भी है । सोशल मीडिया पर या टीवी पर उन लोगों को देखकर जो मजदूरी के लिए दूसरे प्रदेश में थे वाहन ना मिलने के कारण पैदल नहीं सैकड़ों किलोमीटर सामान लादे चले जा रहे हैं । जिसमें कुछ तो बहुत छोटी छोटी बच्ची भी है । जिन्हें ना खाने को मिल रहा है ना रहने को और अधिकांश लोगों को केवल अपने ही द्वारा बनाए गए सजाए गए घर में ही रहना है । यदि हम इतना नहीं कर सकते तो फिर हम कुछ भी नहीं कर सकते है उन लोगों को भी जीवन का महत्व समझ में आ गया होगा जो तेज रफ्तार गाड़ी चला कर किसी भी प्रकार के नशे की गिरफ्त में होकर छोटी-छोटी बातों पर लड़ाई झगड़ा करके अनमोल जीवन को खत्म करने के पहले नहीं समझते थे ।

देश हमें देता है सब कुछ हम भी तो कुछ देना सीखे इसे व्यवहारिक जीवन में उतारने की आज आवश्यकता है। हम यह भी याद रखें की सत्य ही संप्रेषित होता है। इस समय हम जितनी मानवता दिखाएंगे उतना ही जीवन में हमें विपरीत परिस्थितियों में मिलेगा। जनप्रतिनिधियों और नौकरशाहों का कर्तव्य तो है ही हर एक आदमी इस युद्ध को जीतने के लिए प्राण प्रण से जुट जाए । तो फिर सदियों तक पूरी दुनिया में हमारी चर्चा होगी अन्यथा हमारी आने वाली पीढ़ी ही हम पर आश्चर्य करेगी कि केवल घर में ही रहना था और हमारे पूर्वज भी नहीं कर पाए ।

आपदा के इस दौर में हर एक को अपनी भूमिका तय करना है, कि वह लोगों की मदद करके हीरो बनना चाहता या फिर पैसे कमाने के फेर या लापरवाह होकर खलनायक और यह भी याद रखना चाहिए की जो जैसा करेगा वह वैसा ही भरेगा ।


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