करोना से डरो ना …… क्या करें क्या ना करें (कोरोना संकरण की विस्तृत जानकारी)
क्या है करोना वायरस?
कोरोना वायरस एक ऐसा RNA वायरस है जो मनुष्यों, मवेशियों, सूअरों, मुर्गियों, कुत्तों, बिल्लियों और जंगली जानवरों को संक्रमित करता है। यह शरीर के अंदर कोशिकाओं में टूट जाता है और उनका उपयोग खुद को पुन: उत्पन्न करने के लिए करता है। चीन के वुहान में से फैला कोरोना वायरस पहले कभी नहीं देखा गया इसलिए इसके बारे में ज़्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है और ये भी सम्भावना बताई जा रही है कि इसे व्यावसायिक लालच और युद्ध हथियार के रूप में चाइना ने विकसित किया और किसी मानवीय भूल से यह वुहान शहर में ही विस्फोटित हो गया इसलिए ये वहां से पूरे विश्व में तो फैला किन्तु चाइना के बाकी शहरों में नहीं .. क्यों सोचिए ?
कैसे होता है करोना उर्फ़ अज्ञात कारणों का निमोनिया : कोविड-19 संक्रमितों को कफ और बुखार होता है, ऐसा स्वांस नली तक संक्रमण होने से होता है और इसमें काफी गाढ़ा थूक गले में चिपकने और स्वांस नली में जख्म हो जाने से सूजन पैदा होती है। हालत तब और बिगड़ जाती है, जब यह स्वांस नली को पार कर फेफड़ों के अंदरूनी हिस्सों तक पहुंचता है और मरीज को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है ।यह निमोनिया की गंभीर स्थिति होती है।
डब्लूएचओ के मुताबिक, कोरोना संक्रमित करीब 80 फीसद लोग बिना किसी खास इलाज के ठीक हो जाते हैं। संक्रमित छह लोगों में से सिर्फ एक व्यक्ति गंभीर रूप से बीमार पड़ता है और वह सांस लेने में तकलीफ होने की स्थिति तक पहुंचता है। कोविड-19 से संक्रमित लोगों को चार श्रेणियों में बांटा जा सकता है। पहली श्रेणी में वे लोग होते हैं, जिनमें कोई लक्षण नहीं दिखता है। इसके आगे की श्रेणी में वे लोग हैं, जिनमें श्वसन नली के ऊपरी हिस्से में संक्रमण होता है। इस स्थिति में संक्रमित लोगों को बुखार, कफ, सिरदर्द या कंजक्टीवाइटिस (आंख संबंधी बीमारी) के लक्षण होते हैं। इन लक्षणों वाले लोग संक्रमण के वाहक होते हैं लेकिन संभवत: उन्हें इसकी जानकारी नहीं होती है। तीसरी श्रेणी में कोविड-19 पॉजिटिव लोग होते हैं, जिनमें निमोनिया जैसे लक्षण होते हैं और उन्हें अस्पताल में रहना होता है। चौथी श्रेणी के लोगों में निमोनिया जैसी बीमारी का गंभीर रूप दिखता है।डब्लूएचओ के मुताबिक, बुजुर्ग तथा हाई ब्लड प्रेशर, हृदय तथा फेफड़े व मधुमेह के रोगियों में स्थिति गंभीर होने की ज्यादा संभावना रहती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत, ब्रिटेन और अमरीका समेत कोरोना वायरस ‘कोविड 19’ अब दुनिया के 186 देशों में फैल गया है और इसके कारण 23,000 से अधिक मौतें हो चुकी हैं ।
कोरोनो वायरस संक्रमण के लक्षण क्या हैं?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक कोरोना वायरस से संक्रमित होने पर 88 फीसदी को बुखार, 68 फीसदी को खांसी और कफ, 38 फीसदी को थकान, 18 फीसदी को सांस लेने में तकलीफ, 14 फीसदी को शरीर और सिर में दर्द, 11 फीसदी को ठंड लगना और 4 फीसदी में डायरिया के लक्षण दिखते हैं। अगर आपको रनिंग नोज यानी नाक बह रही है तो खुश हो जाइये कि आपको कोरोना नहीं है।
कोरोना की पहचान के लिए इन लक्षणो पर गौर करें
तेज बुखार आनाः अगर किसी व्यक्ति को सुखी खांसी के साथ तेज बुखार है तो उसे एक बार जरूर जांच करानी चाहिए। यदि आपका तापमान 99.0 और 99.5 डिग्री फारेनहाइट है तो उसे बुखार नहीं मानेंगे। अगर तापमान 100 डिग्री फ़ारेनहाइट (37.7 डिग्री सेल्सियस) या इससे ऊपर पहुंचता है तभी यह चिंता का विषय है।
कफ और सूखी खांसीः पाया गया है कि कोरोना वायरस कफ होता है मगर संक्रमित व्यक्ति को सुखी खांसी आती है।
सांस लेने में समस्याः कोरोना वायरस से संक्रमित होने के 5 दिनों के अंदर व्यक्ति को सांस लेने में समस्या हो सकती है। सांस लेने की समस्या दरअसल फेफड़ो में फैलते कफ के कारण होती है। फ्लू-कोल़्ड जैसे लक्षणः विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार कोरोना वायरस से संक्रमित होने पर कभी-कभी बुखार, खांसी, सांस में दिक्कत के अलावा फ्लू और कोल्ड जैसे लक्षण भी हो सकते हैं। डायरिया और उल्टीः कोरोना से संक्रमित लोगों में डायरिया और उल्टी के भी लक्षण देखे गए है। करीब 30 प्रतिशत लोगों में इस तरह के लक्षण पाये गए हैं। सूंघने और स्वाद की क्षमता में कमीः बहुत से मामलों में पाया गया है कि कोरोना से संक्रमित लोगों को सूंघने और स्वाद की क्षमता में कमी आती है।
ये बीमारी सिर्फ खांसी और छींक के ज़रिए लोगों में फैल सकती है, इसका मतलब ये वायरस बेहद आसानी से किसी को भी संक्रामित कर सकता है। इसके अलावा यह लार के ज़रिए निकट संपर्क, चुंबन या फिर बर्तन शेयर करने से भी फैल सकता है। क्योंकि यह फेफड़ों को संक्रमित करता है, इसलिए खांसते वक्त मुंह से निकले वाली बूंदें भी सामने मौजूद व्यक्ति को संक्रमित कर सकती हैं।
इंसान के शरीर में पहुंचने के बाद कोरोना वायरस उसके फेफड़ों में संक्रमण करता है। इस कारण सबसे पहले बुख़ार, उसके बाद सूखी खांसी आती है। बाद में सांस लेने में समस्या हो सकती है। वायरस के संक्रमण के लक्षण दिखना शुरू होने में औसतन पाँच दिन लगते हैं। हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि कुछ लोगों में इसके लक्षण बहुत बाद में भी देखने को मिल सकते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार वायरस के शरीर में पहुंचने और लक्षण दिखने के बीच 14 दिनों तक का समय हो सकता है। हालांकि कुछ शोधकर्ता मानते हैं कि ये समय 24 दिनों तक का भी हो सकता है।
कोरोना वायरस उन लोगों के शरीर से अधिक फैलता है जिनमें इसके संक्रमण के लक्षण दिखाई देते हैं। लेकिन कई जानकार मानते हैं कि व्यक्ति को बीमार करने से पहले भी ये वायरस फैल सकता है। बीमारी के शुरुआती लक्षण सर्दी और फ्लू जैसे ही होते हैं जिससे कोई आसानी से भ्रमित हो सकता है। कोरोना वायरस का कोई इलाज नहीं है। एंटीबायोटिक दवाएं वायरस से नहीं लड़तीं, इसलिए इनका उपयोग व्यर्थ है। हालांकि, एंटीवायरल ड्रग्स काम आ सकते हैं, लेकिन नए वायरस को समझने और उसका समाधान निकालने, टीका बनाने में कई साल भी लग सकते हैं ।
कितना घातक है कोरोना वायरस?
कोरोना वायरस के संक्रमण के आँकड़ों की तुलना में मरने वालों की संख्या को देखा जाए तो ये बेहद कम हैं। हालांकि इन आंकड़ों पर पूरी तरह भरोसा नहीं किया जा सकता, लेकिन आंकड़ों की मानें तो संक्रमण होने पर मृत्यु की दर केवल एक से दो फ़ीसदी हो सकती है। इससे अधिक मौते तो रोड ट्रेफिक एक्सीडेंट, कैंसर और फ़ूड पॉइजनिंग में हो जाती हैं लेकिन इनसे लोग डरते ही नहीं हैं, साफ़ सफाई, हेलमेट का इस्तेमाल जैसे इनके लिए सजा है ।
कोरोना वायरस संक्रमण के कारण बूढ़ों और पहले से ही सांस की बीमारी (अस्थमा) से परेशान लोगों, मधुमेह और हृदय रोग जैसी परेशानियों का सामना करने वालों के गंभीर रूप से बीमार होने की आशंका अधिक होती है। कोरोना वायरस का इलाज इस बात पर आधारित होता है कि मरीज़ के शरीर को सांस लेने में मदद की जाए और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जाए ताकि व्यक्ति का शरीर ख़ुद वायरस से लड़ने में सक्षम हो जाए। चायना के स्वार्थ और मेन मेड कृतिम व्यापारिक हितों को साधने के कुत्सित प्रयास का बेहद गंभीर नतीजा है, करोना आपदा ।
लेकिन इससे घबरायें नहीं और ना ही आतंक मचाये ।
तो आइये फिर समझे की इस बीमारी में “क्या करें, क्या ना करें” ?
अगर आप किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आते हैं या आपको शंका है तो तुरंत सरकारी अमले को सूचित करें और ख़ुद को कुछ दिनों के लिए क्वारनटाइन (प्राचीनकाल का सूतक ) कर सबसे दूर रहें। जिन्हें लगता है कि वो संक्रमित हैं वो डॉक्टर, फार्मेसी या अस्पताल जाने से बचें और अपने इलाक़े में मौजूद स्वास्थ्य कर्मी से फ़ोन पर या ऑनलाइन जानकारी लें।
अगर आपको या आपके किसी परिजन को खांसी, बलगम और नाक बहने के साथ बुखार भी है । तो ये करोना कतई नहीं है क्योंकि इस बीमारी में बलगम और नाक नहीं बहती, बल्कि सूखी खांसी के साथ सांस लेने में तकलीफ होती है और यह धीरे धीरे गंभीर होती जाती है !
कोरोना वायरस ‘कोविड 19’ से बचने के लिए आप नियमित रूप से अपने हाथ साबुन और पानी से अच्छे से कम से कम 20 सेकंड तक बार बार धोएं। जब कोरोना वायरस से संक्रमित कोई व्यक्ति खांसता तो उसके थूक के बेहद बारीक कण हवा में फैलते हैं। इन कणों में कोरोना वायरस के विषाणु होते हैं। संक्रमित व्यक्ति के नज़दीक जाने पर ये विषाणुयुक्त कण सांस, आँख, मुंह के रास्ते आपके शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। अगर आप किसी ऐसी जगह को छूते हैं, जहां ये कण गिरे हैं और फिर उसके बाद उसी हाथ से अपनी आंख, नाक या मुंह को छूते हैं तो ये कण आपके शरीर में पहुंचते हैं।ऐसे में खांसते और छींकते वक्त टिश्यू का इस्तेमाल करना, बिना हाथ धोए अपने चेहरे को न छूना और संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचना इस वायरस को फैलने से रोकने के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। बदलते समय और मौसम के साथ आगामी ठण्ड में इसका नया और अधिक विकृत प्रकार सामने आ सकता है । जैसे कि हर एक वायरस के साथ होता है और हम सारस या फ्लू या अन्य वायरल बीमारियों में देखते रहते हैं। आकार में बड़ा होने और मानव शरीर के लिए नया होने की वजह से इसका प्रकोप ज्यादा है, और यह मेटल सतहों पर दस से बारह घंटों तक एक्टिव रह सकता है इसलिए जहां तक हो सके, भीड़ का हिस्सा ना बनें और जहां तक संभव हो सके सार्वजनिक उपयोग की वस्तुओं, डोर हेंडल, डोरबेल्स, फोन, पेन, नोट्स आदि को ना छुएं, हैंडशेक कतई ना करें, करना ही पड़ जाए तो ऐसी स्थिति में अपने हाथों को पानी साबुन या सेनिटाइजर से बराबर साफ़ करते रहें!जो लोग दूसरे देशों की यात्रा कर के लौटे हैं उन्हें रिपोर्ट नार्मल होने पर भी कुछ दिनों के लिए कम से कम चौदह दिनों के लिए ख़ुद को दूसरों से अलग कर लेना चाहिये । परिजनों और मित्रो से भी। अधिकाँश मामलों में, लापरवाह व्यक्ति सबसे पहले अपने घरवालों और मित्रों को संक्रमित कर लेता है और एक संक्रमित व्यक्ति लाखों लोगों को ये बीमारी दे सकता है जैसा कि भोपाल के एक पत्रकार ने किया और जैसा कि चाइना, ईरान, इटली, अमेरिका, स्पेन, फ़्रांस और अन्य अतिविकसित धनाढ्य देशों में देखा जा रहा है ।
अपने इस्तेमाल के कपड़ों, रुमाल, तोलिये अलग रखें और उन्हें अच्छी तरह धोकर, धूप में सूखा कर या इस्त्री करके ही इस्तेमाल करें । अगर आपकी सर्दी, जुखाम खांसी तीन चार दिन से अधिक समय ले जाए तो तुरंत सरकार द्वारा अधिसूचित स्वास्थ्य केंद्र को सूचित करें और उनके निर्देशनुसार अपना पूरा इलाज करवाएं । ध्यान दें कि बिना बात भीड़ भाड़ वाले अस्पतालों की और भागना भी बीमारी को निमंत्रण दे सकता है।
यह भी समझें कि, वायरस हमेशा नुक्सान ही नहीं करते ये आपको बीमारियों से लड़ने के लिए मजबूत भी बनाते हैं शायद इसलिए १३५ करोड़ की विशाल जनसंख्या वाले देश में इटली ईरान जैसा प्रकोप नहीं देखा गया है । वायरस ईश्वरदत्त टॉनिक भी कहे जा सकते हैं यह मनुष्य या जानवरों की इम्मयूनिटी को जाग्रत करने और शरीर को बीमारियों से लड़ने की ताकत देने का बेहद जरुरी काम करते हैं, उसी तरह, जैसे कई बैक्टीरिया मानव शरीर में बड़ी आंत में बेहद जरुरी विटामिन्स बनाने का काम करते हैं। इसलिए जरुरी है कि आप घबरा कर या बेवकूफी से अनर्गल दवाइयों ख़ास तौर पर एंटीबायोटिक्स का सेवन ना करें क्योंकि ये आपकी इम्मून सिस्टम को बिगाड़ सकते हैं और वायरस आप पर हावी हो सकता है । भीड़भाड़ वाली, ठंडी जगहों से दूर रहें, छोटे बच्चों, बुजुर्गों, बीमारों का विशेष ध्यान रखें, इन पर इस वायरस का संक्रमण घातक हो सकता है। बिना विशेषज्ञ की सलाह और उचित जांच करवाए दवाइयों, ख़ास तौर पर एंटीबायोटिक्स, का हरगिज सेवन ना करें । पना इम्यून सिस्टम मजबूत रखने और शरीर को लगातार ऊर्जावान रखने हेतु, गर्म पेय पदार्थों का सेवन करते रहें, हल्दी वाला दूध, गर्म पानी शहद और नीम्बू के साथ लगातार लेते रहें । किसी भी कपडे, रुमाल से अपने नाक मुंह को अच्छे से ढँक कर रखें और विज्ञापन या अफवाहों पर ध्यान ना दें। याद रखें कि महंगे मास्कों की सामान्य जनता को कोई जरुरत नहीं है और ये सिर्फ उनके लिए हैं जो या तो संक्रमित हो चुके हैं या इन मरीजों की सेवा में लगे डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिक्स, पुलिस, सफाईकर्मी या अत्यावश्यक सेवायें दे रहे अन्य देवदूत हैं ।
(लेखक भोपाल के गाँधी चिकित्सा महाविद्यालय के वरिष्ठ चिकित्सक है)