कोरोना काल में दिखाया भारतीयों ने गरीबो का सेवा कर दुनिया भर में मिसाल साबित किया

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कोरोना रुपी महामारी ने वैश्विक महासंकट खड़ा कर दिया है। पूरा विश्व अनिश्चितता के ऐसे दौर से गुज़र रहा है जिसकी कभी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। विभिन्न छोटे बड़े देशों द्वारा ऐसे अनेक फ़ैसले लिए जा रहे हैं जो आम लोगों के जीवन को बुरी तरह प्रभावित कर रहे हैं। अमरीकी कच्चे तेल का दाम विश्व इतिहास के अब तक के सबसे निचले स्तर अर्थात ज़ीरो से भी नीचे पहुंच गया है। लॉक डाउन के चलते दुनिया के पहिये रुकने की वजह से कच्चे तेल की मांग घट गई तथा कच्चे तेल के भण्डारण में कमी आने की वजह से तेल की क़ीमत में इस हद तक गिरावट आई है। इस महासंकट में पूरे विश्व में करोड़ों लोगों ने अपने रोज़गार गंवा दिए हैं। लॉक डाउन के चलते करोड़ों लोग घर से बेघर रहते हुए दो वक़्त की रोटी और छत की समस्या से जूझ रहे हैं। अब तो भूख,लाचारी तथा अवसाद के चलते लोगों के मरने की ख़बरें भी आनी शुरू हो चुकी हैं। कई दूर दराज़ के इलाक़ों में भुखमरी से बचने के लिए लोग नई नई ग़ैर पारम्परिक ख़ुराकें लेने के लिए मजबूर हैं। ज़ाहिर है ऐसे में मानवीय हृदय रखने वाला प्रत्येक अमीर व ग़रीब व्यक्ति अपने सामर्थ्य के अनुसार समाज में लोगों की मदद कर रहा है।

भारत में भी बेघर व बेरोज़गार हो चुके लोगों को कच्चा राशन,पका हुआ खाना,दवाइयां यहाँ तक कि कई जगहों पर रक्तदान करने तक की अनेक योजनाएं चलाई जा रही हैं। देश के सैकड़ों उद्योगपतियों,विशिष्ट लोगों, कॉर्पोरेट जगत के अनेक लोगों,फ़िल्मी हस्तियों ने तो बढ़ चढ़ कर दान दिया ही है, बल्कि दान को लेकर कई ऐसी ख़बरें भी आ रही हैं जो बेहद भावुक करने वाली हैं। मिसाल के तौर पर जम्मू-कश्मीर की एक बुजुर्ग मुस्लिम महिला ख़ालिदा बेगम ने हज पर जाने के लिए जमा की गई अपनी 5 लाख रुपये की रक़म दान कर दी। 87 साल की ख़ालिदा बेगम ने हज यात्रा के लिए पांच लाख रुपये जमा किए थे लेकिन कोरोना वायरस महामारी की वजह से उनकी हज यात्री टल गई.वे चाहती हैं कि उनकी 5 लाख रुपये की रक़म कोरोना महामारी से जंग के बीच लॉकडाउन में लोगों की मदद के लिए ग़रीब और ज़रूरतमंद लोगों में इस्तेमाल की जाए। ऐसी अनेक मिसालें सुनने को मिल रही हैं। मशहूर फ़िल्म निर्माता प्रकाश राज तो मुंम्बई में लॉक डाउन शुरू होने के पहले दिन से ही बेसहारा लोगों को इस हद तक आर्थिक सहायता पहुंचा रहे हैं की उनकी अपनी आर्थिक स्थिति डांवाडोल होने लगी है। परन्तु सलाम है उनके हौसलों को कि उन्होंने कहा है कि वे बेसहारा लोगों की मदद करना जारी रखेंगे चाहे उन्हें इस काम के लिए क़र्ज़ ही क्यों न लेना पड़े। ज़ाहिर है मानवता की यह मिसालें आज इसी लिए देखने को मिल रही हैं क्योंकि सभी मानवतावादी लोग इस बात को बख़ूबी समझ व महसूस कर रहे हैं की मानवीय इतिहास की ऐसी त्रासदी इसके पहले कभी सुनी व देखी नहीं गयी। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि यह हालात पूरी दुनिया के सामने क़हर व तबाही का दृश्य पेश कर रहे हैं।

निर्मल रानी


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