सीएम योगी ने माना एडवोकेट रीना सिंह का सुझाव, गौशालाओं के संदर्भ में दिये निर्देश

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जतिन कुमार चतुर्वेदी।

रीना एन सिंह के अनुरोध के 15 दिनों बाद सीएम ने दिया निर्देश।

लखनऊ । उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पीपीपी मोड पर गौशालाओं के निर्माण का आदेश दिया है। साथ ही साथ उन्होंने इस बात के लिए भी सख्त निर्देश दिया है, की ठंड और भूख के कारण किसी भी गोवंश की मौत नहीं होनी चाहिए इसका विशेष ध्यान दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट की चर्चित अधिवक्ता व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर आधारित पुस्तक “योगी आदित्यनाथ लोक कल्याण के पथ पर” की लेखिका रीना एन सिंह ने गौ आश्रय स्थल के प्रस्तुतीकरण के तौर पर तीन पृष्ठ का एक पत्र मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेजा था,जिसमें उन्होंने उत्तर प्रदेश में गौशालाओं के संदर्भ में कुछ प्रमुख सलाह दिया था।

जिसे मुख्यमंत्री ने स्वीकार कर कुछ अहम दिशा निर्देश जारी किए हैं। निर्देश में मुख्यमंत्री ने कहा है कि गौशालाओं को आर्थिक रूप से सक्षम बनाया जाए, तथा एक ऐसा मॉडल विकसित किया जाए जो स्थाई तौर का हो तथा प्राकृतिक खेती, गोबर पेंट, सीएनजी और सीबीसी से भी गौशालाओं को जोड़ा जाए। इन सब का उल्लेख रीना एन सिंह ने अपने पत्र में किया था।

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मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार ट्रायल मई में ही हरा चारा भूंसा और चोकर की व्यवस्था की जाए तथा जहां पर भी गौ आश्रय स्थल हैं उनके लिए फंड में कोई भी कमी ना की जाए।वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश सरकार के सामने गाय व मवेशियों को बेहतर आश्रय देना चुनौती बन गई है। फसल की बर्बादी और बड़ी बड़ी दुर्घटनाएं झेल रहे किसानों को तमाम समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इसीलिए सरकार चाहती है की ऐसी कुछ व्यवस्था की जाए ताकि लोगों की समस्याओं का समाधान भी हो सके। और साथ ही साथ गौशालाओं का बेहतर प्रबंधन भी हो सके।देश की पशुपालन और डेयरी विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार देश में 50 लाख से अधिक मवेशी व उत्तर प्रदेश में 11 लाख से अधिक मवेशी सड़क पर विचरण कर रहे हैं। सरकार चाहती है कि गौशालाओं से इस समस्या का भी समाधान हो जाए। इस मामले पर जब एडवोकेट रीना एन सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि गाय ना केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि आर्थिक व वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी एक लाभदायक पशु है इसीलिए उसे गौ माता की संज्ञा दी गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि”दूध उत्पादन बढ़ाने और आवारा पशुओं पर नियंत्रण के लिए नस्ल सुधार योजना में तेजी लाएं। इस योजना के तहत पशुपालक सरकारी पशु चिकित्सालयों में कृत्रिम गर्भाधान कराकर मवेशियों की नस्ल में सुधार कर सकते हैं। इससे दूध उत्पादन में वृद्धि होगी.” साथ ही मवेशियों की नई नस्ल भी तैयार की जाएगी।


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