“पाई- पाई के ईमानदार” हैं नए डीजीपी हितेश चन्द्र अवस्थी
स्नेह मधुर
ओपी सिंह के सेवा निवृत्त होते ही वरिष्ठतम आई पी एस हितेश चन्द्र अवस्थी की नियुक्ति उत्तर प्रदेश सरकार ने पुलिस महानिदेशक के पद पर कर दी और उन्होंने पदभार ग्रहण भी कर लिया। पदभार ग्रहण करने के उपरांत उन्होंने कहा कि हमारी प्राथमिकता है कि पुलिस का आमजन के साथ व्यवहार और अच्छा हो, चाहे वह थाना स्तर का हो या बीट स्तर का हो। सत्यनिष्ठा और ईमानदारी की संस्कृति पुलिस में उत्पन्न हो, प्रशिक्षण हमारी विशेष प्राथमिकताओं में है, यदि प्रशिक्षण अच्छा नहीं है तो हम आम जनता की अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतर पायेंगे। यातायात व्यवस्था को और सुदृढ़ करना है, यातायात व्यवस्था से निपटने हेतु यातायात पुलिस की संख्या में बढ़ोत्तरी करना है। महिला एवं बाल अपराधों पर नियत्रंण के प्रयास पूर्व से किये जा रहे है, हमें उसे और आगे ले जाना है। साइबर अपराध न्यू जनरेशन का अपराध है, इस पर नियत्रंण साइंटिफिक एवं फारेंसिक तरीके से करना है। बीट व्यवस्था पुलिस कार्यप्रणाली की रीढ़ है उसे और सुदृढ़ करना है, जिससे लोंगो में सुरक्षा का भाव आ सके। पुलिस को स्मार्ट बनाना एवं पुलिसिंग को स्मार्टनेस की तरफ ले जाना हमारी प्राथमिकता में है।
हितेश चन्द्र अवस्थी का जन्म 30 जून 1961 को लखनऊ में हुआ। वह वर्ष 1985 बैच में भारतीय पुलिस सेवा में चयनित हुए। वह पुलिस उपमहानिरीक्षक के पद पर प्रोन्नत होकर विशेष सचिव गृह, पुलिस उपमहानिरीक्षक, विदेश प्रशिक्षण, आजमगढ़, फूड सेल, आगरा, अभिसूचना, एन.सी.आर.बी. के पदों पर नियुक्त रहे।
वह पुलिस महानिरीक्षक सी.बी.आई. में भी नियुक्त रहे। 2013 में वह अपर पुलिस महानिदेशक अपराध के पद पर नियुक्त रहें हैं।2015 से वह पुलिस महानिदेशक मुख्यालय पुलिस महानिदेशक, टेलीकाम, होमगार्डस, ए0सी0ओ0, ई0ओ0डब्लू0, अभिसूचना में नियुक्त रहे।
हितेश चन्द्र अवस्थी ऐसे आई पी एस अफसर हैं जो बहुत ही दुर्लभ श्रेणी के हैं। उन्हें पाई-पाई का ईमानदार माना जाता है। उनकी पूरी नौकरी बेदाग और अविवादित रही। सबसे ख़ास बात यह है कि उनका कोई पॉलिटिकल गॉडफादर नहीं है। अगर देखा जाए तो पिछले कई दशकों में ऐसा कोई ईमानदार अफसर उत्तर प्रदेश में डीजीपी नहीं बन पाया है। आम तौर पर यहां तक पहुंचते -पहुंचते अफसर किसी न किसी विवाद में फंस चुके होते हैं या फिर किसी के सरंक्षण में आ चुके होते हैं। हितेश अवस्थी जैसे ईमानदार अफसर किसी राजनैतिक दल को पसंद भी नहीं आते हैं। उनकी नियुक्ति के पहले यह कयास भी लगाया जा रहा था कि अगर मुख्यमंत्री ईमानदार हैं तो निश्चित रूप से हितेश अवस्थी को मौका मिलेगा और योगी ने यह साबित कर ही दिया कि वह ईमानदार हैं और ईमानदार लोगों को बढ़ावा देगें। हितेश अवस्थी की तैनाती से यह अच्छा संदेश गया है कि ईमानदार रहकर भी सर्वोच्च पद को हासिल किया जा सकता है।