संत रविदास जयंती के अवसर पर ‘संत रविदास के आध्यात्मिक विचार एवं रेल परिचालन’ विषय पर मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय, प्रयागराज मण्डल में एक सेमिनार का आयोजन

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प्रयागराज : रेल अधिकारियों एवं कर्मचारियों को राजभाषा हिंदी में काम करने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से आज दिनांक 16.02.2022 को संत रविदास जयंती के अवसर पर ‘संत रविदास के आध्यात्मिक विचार एवं रेल परिचालन’ विषय पर मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय में एक सेमिनार का आयोजन किया गया। इसमें अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने खुशी एवं उत्साह के साथ भाग लिया। सेमिनार में श्री ओ.पी.पाठक, सहायक मंडल बिजली इंजीनियर (कोचिंग), श्री संजय कुमार सहायक मंडल बिजली इंजीनियर (कर्षण वितरण), श्री एस.के.सिंह, मुख्य कार्यालय अधीक्षक श्री रमाशंकर मंडल सचिव (अखिल भारतीय अजा/अजजा संगठन ), श्री लक्ष्मी प्रसाद विधि अधिकारी आदि उपस्थित रहे। संचालन श्री शेषनाथ पुष्कर राजभाषा अधिकारी ने किया।
इस अवसर पर श्री शेषनाथ पुष्कर ने कहा कि संत रविदास ने कहा था कि ‘मन चंगा तो कठौती में गंगा’ अर्थात जब व्यक्ति का मन चंगा रहेगा तो उसका तन भी चंगा रहेगा। जब व्यक्ति का मन और तन दोनों चंगा रहेगा तो व्यक्ति चंगा (स्वस्थ) रहेगा और जब व्यक्ति चंगा रहेगा तो वह सुखी रहेगा अर्थात उसके पास सुख रहेगा तो उसके पास ही गंगा है। इसके साथ साथ जब वह चंगा रहेगा तो बेहतर रेल संचालन करेगा।

उन्होंने आगे कहा कि आध्यात्मिक विचार ही मनुष्य को चंगा रखते हैं। हमारे देश में जितने भी महापुरूष हुए चाहे वह गौतम बुद्ध हों चाहे कबीर हों चाहे रैदास या गुरु नानक हों चाहे संत तुलसीदास हों सभी लोगो ने समाज को आध्यात्मिक विचार ही दिया।

आध्यात्मिक विचार वे विचार होते है जो मन में अच्छी भावनाओं जैसे समानता की भावना, प्रेम की भावना, निष्पक्षता की भावना, सहयोग की भावना, कर्तव्य पालन एवं जिम्मेदारी की भावना आदि का विकास करते हैं। इसके अलावा ये मन में आत्मविश्वास, धैर्य, सहनशीलता इच्छाशक्ति का विकास करते हैं। जब व्यक्ति के मन में सदभावनाएं रहेंगी और उसके मन में उपर्युक्त गुण रहेंगे तो व्यक्ति बेहतर रेल संचालन करेगा। बेहतर रेल संचालन के लिए तकनीकी ज्ञान के साथ साथ आध्यात्मिक ज्ञान भी जरूरी है। उन्होंने आगे कहा कि जो विचार व्यक्ति को ईश्वर, अल्लाह और गाड की तरफ ले जाते हैं वे धार्मिक विचार होते है औऱ जो विचार व्यक्ति को मानवता एवं जनहित की तरफ ले जाते हैं वे आध्यात्मिक विचार होते हैं। इसलिए आध्यात्मिक विचार रेल परिचालन में अत्यधिक उपयोगी होते हैं।

श्री ओ.पी.पाठक जी ने कहा कि मैने महसूस किया है कि प्रेम से काम अच्छा होता है। श्री संजय कुमार जी ने कहा कि समानता, प्रेम और मैत्री ही ऐसी भावना है जिससे समाज को विघटन से बचाया जा सकता है। श्री एस.के.सिंह जी ने कहा कि संत रविदास जी ने जो मूल्यवान विचार समाज को दिया वह विचार आजकल एम.ए., पी. एच. डी. किए हुए भी नहीं दे सकते।


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