बलिया : सन्नाटे को तोड़ रहा पक्षियों का कलरव, दूध लेने भी नहीं निकले लोग

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बलिया, 22 मार्च कोरोना के भय के साए में एक ऐसा दिन, जो सभी के जीवन का सबसे बड़ा दिन बन जाएगा। बिना कोई जोर जबरदस्ती के लोग घरों में कैद हैं। बाहर सन्नाटा पसरा हुआ है जो पक्षियों की चहचहाहट से ही टूट रहा है। देश में सबसे पहले आजाद होने वाली बागी धरती बलिया में पीएम मोदी के ‘जनता कर्फ्यू’ के आह्वान पर पूरी तरह से अमल होता दिख रहा है।


सुबह के 8:30 हो रहे हैं। बाहर निकलने पर कोई नहीं दिख रहा। यहां तक कि लोगों की आवाजें भी नहीं। सिर्फ चिड़ियों के कलरव सुनाई पड़ रहे हैं। शहर के उत्तरी इलाके में तमाम सरकारी कार्यालय हैं। अधिकारियों के आवास हैं। यहीं स्थिति स्पोर्ट्स स्टेडियम के पास आमतौर पर सुबह से ही लोगों की आवाजाही शुरू हो जाती है। मगर रविवार को इस समय सन्नाटा है। मुख्य सड़कों पर पसरे सन्नाटे को देख गलियों की ओर रुख करने पर वहां भी वही हालात है। 


शहर के टैगोर नगर में सभी गालियां सूनी पड़ी हैं। लग रहा जैसे घरों में लोग अभी तक सो रहे। इक्का-दुक्का घरों में पूजा की घंटी सुनाई दे रही। इसी मोहल्ले में रह रहीं गृहिणी रीता सिंह अपने घर के मुख्य दरवाजे को बंद कर अंदर दीवार पर लगी देवताओं की तस्वीर पर आरती दिखा रही थीं। पूछने पर कि घर से निकलीं कि नहीं ? बोलीं, आज तो हम दूध लेने भी नहीं गए। जहां से लाते हैं, उसने कल ही बोल दिया था कि दूध लेने मत आना। हम जनता कर्फ्यू के साथ हैं।


 रीता सिंह ने कहा, इस शहर में 2001 में में भी हमने कर्फ्यू देखे हैं। हमसब सड़कों तक चले जाते थे। दूध व सबिजयां तो लेना कोई बड़ी बात नहीं होती थी। इसके बाद भी समय-समय पर ‘छात्र कर्फ्यू’ लगते रहे। प्रशासन की अपीलों के बावजूद घर से बाहर निकलते थे। लेकिन इस बार मोदी जी ने हमारे।लिए आह्वान किया है। कोरोना को हराना है तो हम उनके साथ हैं। यह हम अपने लिए कर रहे हैं।


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