मध्य प्रदेश न्यूग : गुजरात का गुणा भाग तो हिमाचल की हलचल भी

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देवदत्त दुबे।
गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव परिणामों ने प्रदेश में सियासी गर्मी बढ़ा दी है एक तरफ जहां फार्मूले को गुजरात में जमकर सफलता मिली है तो दूसरी ओर वही फारमूला हिमाचल में हार का कारण भी बन गया पार्टी के रणनीतिकार बीच का रास्ता निकालेंगे जिसमें टिकट भी काटे जाएंगे लेकिन ऐसे नेताओं के नहीं जिनकी समाज में लोकप्रियता बरकरार है

दरअसल राजनीति में यही होता है कि कोई एक फार्मूला सभी जगह फिट नहीं होता और सभी चुनाव में काम नहीं आता है मसलन हाल ही में गुजरात विधानसभा और हिमाचल विधानसभा के चुनाव परिणाम आए जिसमें टिकट वितरण के समय एक ही फार्मूला लागू किया गया था वरिठ नेताओं के टिकट काटकर नए लोगों को टिकट देना इसमें गुजरात में जहां पार्टी रिकॉर्ड 156 सीटें जीतने में कामयाब हुई यहां बगावत करने वालों की संख्या भी कम थी और जिन्होंने किया वे ज्यादा असरकारी नहीं रहे लेकिन इसके विपरीत हिमाचल प्रदेश में लगभग 20 सीटों पर भाजपा के बागियों ने नुकसान पहुंचाया और कुछ तो चुनाव जीतने में भी कामयाब हो गए

अब पार्टी के रणनीतिकार कर्नाटक जम्मू कश्मीर और इसके बाद मध्य प्रदेश राजस्थान और छत्तीसगढ़ में होने वाले विधानसभा के आम चुनाव को लेकर बीच का फार्मूला तैयार करने में जुटी है जिसमें नए लोगों को मौका भी दिया जा सके और ऐसे पुराने लोगों को बरकरार रखा जाए जिनका ना केवल जनाधार है बल्कि पार्टी के लिए विपरीत परिस्थितियों में भी उपयोगी साबित होते आए हैं ना तो गुजरात की तरह एकदम से फार्मूला लागू किया जाएगा और ना ही हिमाचल प्रदेश की तरह बागी होने का मौका दिया जाएगा जिनकी भी टिकट काटे जाएंगे उनको समय से पहले समझा दिया जाएगा और दूसरी जिम्मेवारी दे दी जाएगी सभी नेताओं का फीडबैक पार्टी के पास मौजूद है खासकर जब से क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जमवाल बने हैं वे लगातार जमीनी स्तर पर फीडबैक लेते रहे यहां तक कि वे आदिवासी क्षेत्रों में गांव में घूमे उन्होंने जो जानकारी एकत्रित की है उससे पार्टी हाईकमान भी सहमत दिखाई देता है और बहुत जल्दी ही प्रदेश में गुजरात और हिमाचल प्रदेश को ध्यान में रखते हुए रणनीति को अमलीजामा पहनाया जाएगा लगभग 50 से 60 विधायकों के टिकट काटने की योजना चल रही है क्षेत्रों में विकल्प की तलाश पूरी होने पर ही टिकट काटा जाएगा

अब पार्टी के रणनीतिकार कर्नाटक जम्मू कश्मीर और इसके बाद मध्य प्रदेश राजस्थान और छत्तीसगढ़ में होने वाले विधानसभा के आम चुनाव को लेकर बीच का फार्मूला तैयार करने में जुटी है जिसमें नए लोगों को मौका भी दिया जा सके और ऐसे पुराने लोगों को बरकरार रखा जाए जिनका ना केवल जनाधार है बल्कि पार्टी के लिए विपरीत परिस्थितियों में भी उपयोगी साबित होते आए हैं ना तो गुजरात की तरह एकदम से फार्मूला लागू किया जाएगा और ना ही हिमाचल प्रदेश की तरह बागी होने का मौका दिया जाएगा जिनकी भी टिकट काटे जाएंगे उनको समय से पहले समझा दिया जाएगा और दूसरी जिम्मेवारी दे दी जाएगी सभी नेताओं का फीडबैक पार्टी के पास मौजूद है खासकर जब से क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जमवाल बने हैं वे लगातार जमीनी स्तर पर फीडबैक लेते रहे यहां तक कि वे आदिवासी क्षेत्रों में गांव में घूमे उन्होंने जो जानकारी एकत्रित की है उससे पार्टी हाईकमान भी सहमत दिखाई देता है और बहुत जल्दी ही प्रदेश में गुजरात और हिमाचल प्रदेश को ध्यान में रखते हुए रणनीति को अमलीजामा पहनाया जाएगा लगभग 50 से 60 विधायकों के टिकट काटने की योजना चल रही है क्षेत्रों में विकल्प की तलाश पूरी होने पर ही टिकट काटा जाएगा

कुल मिलाकर प्रदेश में उन नेताओं की धड़कनें बढ़ी हुई है जिनके खिलाफ क्षेत्र में इनकंबेंसी है जो पार्टी के द्वारा शॉप पर गए दायित्वों को पूरा करने में असमर्थ रहे हैं क्योंकि प्रदेश की राजनीतिक परिस्थितियां अभी इतनी अनुकूल नहीं है कि किसी को भी टिकट दे दो वह जीत जाएगा या किसी का भी टिकट काट दो वह सीट पार्टी जीत जाएगी प्रदेश में बहुत तोल मोल कर निर्णय लेना पड़ेगा अन्यथा 2018 जैसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है जब कुछ बागियों के कारण चौथी बार सरकार बनाने में पार्टी असफल रही

वैसे कई बार तुरंत में सही निर्णय नहीं हो पाता सोचने पर पता चलता है ऐसे ही बाल्मी परिसर प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर मुझे लगता है कि वहां हम किसी ड्रेस कोड कलर में ना बधेइतो और भी मजा आएगा जिसको जो पहनना हो मनपसंद पहन कर आए लेकिन आए जरूर क्योंकि यह जगह बड़ी सौंदर्य से भरपूर और प्राकृतिक वातावरण में है आप सब जानते भी हैं यहां रंग बिरंगी तस्वीरें भी लेने का मौका मिलेगा


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