“पेसा अधिनियम 1996’’ के अंतर्गत झारखण्ड राज्य के परिपेक्ष्य में नियमावली तैयार करने के उद्देश्य से होटल बी0एन0आर0 चाणक्या रांची में आयोजित की गई कार्यशाला

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डॉ अजय ओझा।

झारखण्ड अनुसूचित क्षेत्र में पड़ने वाला एक महत्वपूर्ण राज्य : एल॰ ख्यांगते, अपर मुख्य सचिव।

रांची, 14 दिसंबर । पेसा एक्ट यानि पंचायतों के प्रावधान (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार ) अधिनियम, 1996 भारत के अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिये पारंपरिक ग्राम सभाओं के माध्यम से स्वशासन सुनिश्चित करने के लिये भारत सरकार द्वारा अधिनियमित एक कानून है। उक्त बातें श्री एल॰ ख्यांगते, अपर मुख्य सचिव, वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने झारखण्ड सरकार द्वारा ’’पेसा अधिनियम 1996’’ के अंतर्गत झारखण्ड राज्य के परिपेक्ष्य में नियमावली तैयार करने के उद्देश्य से होटल बी0एन0आर0 चाणक्या,रांची में आयोजित एक में कार्यशाला कही।

एल॰ ख्यांगते, अपर मुख्य सचिव ने कहा कि दरअसल अनुसूचित क्षेत्र भारत के संविधान की पाँचवी अनुसूची द्वारा पहचाने गये क्षेत्र हैं। यह अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभाओं को विशेष रूप से प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन के लिये विशेष अधिकार देता है। पंचायतों से संबंधित संविधान के भाग-9 के प्रावधानों को अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तारित करने के लिये अधिनियम है। उन्होंने कहा कि झारखण्ड राज्य भी अनुसूचित क्षेत्र में पड़ने वाला एक महत्वपूर्ण राज्य है।

झारखण्ड राज्य के पेसा अधिनियम को मूर्त रूप देने हेतु आयोजित किये गये कार्यशाला में डॉ॰ संजय श्रीवास्तव, भा॰व॰से॰, प्रधान मुख्य वन संरक्षक-एवं-वन बल प्रमुख, झारखण्ड के साथ-साथ कुलवंत सिंह, भा॰व॰से॰, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक, अनुसंधान एवं प्रशिक्षण, राँची, एन॰ के॰ सिंह, भा॰व॰से॰, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक, विकास, झारखण्ड, राँची, श्रीमती दीक्षा कुमारी प्रसाद, भा॰व॰से॰, मुख्य वन संरक्षक, प्रशिक्षण, महिलौंग, राँची, सिद्धार्थ त्रिपाठी, भा॰व॰से॰, मुख्य वन संरक्षक, अनुसंधान, राँची तथा वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के अन्य वरीय पदाधिकारीगण के साथ राज्य के विभिन्न जिलों से आये हुये गैर सरकारी संस्थाओं के प्रतिनिधि में प्रमुख रूप से श्री रश्मि कत्यायन, संजय बासु मलिक एवं प्रेमशंकर तथा झारखण्ड जैव विविधता बोर्ड के प्रतिनिधि भी कार्यशाला में उपस्थित हुये।


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