क्या भोजपुरी फाउण्डेशन छेड़ेगा आंदोलन ?

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डा अजय ओझा।

रांची, 7 अगस्त। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में गुरुवार को प्रोजेक्ट भवन में हुई कैबिनेट की मीटिंग के फैसलों के बारे में कार्मिक विभाग की प्रधान सचिव वंदना दादेल ने जानकारी देते हुए बताया कि पूर्व से ही कर्मचारी चयन आयोग में यह संशोधन किया गया था कि मैट्रिक और इंटर स्तर पर प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा की जगह केवल मुख्य परीक्षा होगी। अब कार्मिक विभाग की ओर से पांचों परीक्षा संचालन नियमावली के तहत स्नातक स्तरीय सेवाओं के लिए भी प्रारंभिक परीक्षा को समाप्त करते हुए केवल एक चरण में मुख्य परीक्षा लेने का प्रावधान किया गया है।

क्या है नई व्यवस्था ?

पहला पत्र: भाषा ज्ञान के अंतर्गत हिंदी और अंग्रेजी में क्वालीफाइंग मार्क्स लाना होता था। अब उत्तीर्ण होने के लिए हिंदी और अंग्रेजी भाषा में प्राप्त अंकों को जोड़कर 30 प्रतिशत अंक प्राप्त करना होगा। पहले अलग-अलग 30 फीसदी अंक क्वालीफाइंग मार्क्स निर्धारित थे। इस पत्र में प्राप्त अंक को मेधा सूची निर्धारण के लिए नहीं जोड़ा जाएगा। चिन्हित क्षेत्रीय एवं जनजातीय भाषाओं में संशोधन करते हुए राज्य स्तरीय पदों के लिए 12 भाषायें निर्धारित की गई हैं। इनमें उर्दू, संथाली, बंगला, मुंडारी, हो, खड़िया, कुदुक, खोटा, नागपुरी, उड़िया, पंच परगनिया और कुरमाली को शामिल किया गया है। इनमें से किसी एक भाषा का विकल्प चुनना होगा। दूसरी ओर जिला स्तरीय पदों के लिए कार्मिक विभाग क्षेत्रीय एवं जनजातीय भाषाओं को चिह्नित करके अलग से सूची जारी करेगा।

दूसरा पत्र: चिन्हित क्षेत्रीय जनजातीय भाषा में 30 प्रतिशत अंक प्राप्त करना अनिवार्य होगा।

तीसरा पत्र: सामान्य ज्ञान में भी 30 फीसदी अंक प्राप्त करना होगा। दूसरे और तीसरे पत्र में प्राप्त अंकों को जोड़कर मेधा सूची का निर्धारण किया जाएगा।

जिला स्तरीय पदों के लिये उस जिला की निर्धारित क्षेत्रीय एवं जनजातीय भाषा में परीक्षा उतीर्ण करना होगा..। झारखंड सरकार के इस निर्णय का सभी ने स्वागत किया लेकिन राज्य स्तरीय परीक्षाओं से भोजपुरी, मैथिली, मगही तथा अंगिका को बाहर रखने के निर्णय का विरोध भी किया । ज्ञातव्य हो कि उपरोक्त 12 क्षेत्रीय एवं जनजातीय भाषाओं के साथ साथ भोजपुरी, मैथिली, मगही तथा अंगिका को भी झारखंड में द्वितीय राजभाषा की मान्यता प्राप्त है। भोजपुरी पलामू प्रमंडल की मान्यताप्राप्त क्षेत्रीय भाषा है तथा राँची, धनबाद, जमशेदपुर, हजारीबाग समेत पूरे झारखंड में भोजपुरी भाषियों की जनसंख्या लगभग 50 लाख है।

सभी भोजपुरीभाषी झारखंड सरकार के इस भेदभाव भरे अन्यायपूर्ण निर्णय से आहत एवं अपमानित महसूस कर रहे हैं. वास्तव में झारखंड की वर्तमान सरकार द्वारा इन चार भाषाओं को इस सूची से बाहर रखना भेदभाव पूर्ण एवं गैरकानूनी है। झारखंड सरकार से राज्य स्तरीय परीक्षाओं में उपरोक्त चारों भाषाओं को भी शामिल करने की मांग करती है। भोजपुरी फाउण्डेशन के चेयरमैन डॉ अजय ओझा ने झारखण्ड सरकार के इस भेदभावप भरे अन्यायपूर्ण निर्णय के खिलाफ अतिशीघ्र राज्यव्यापी आंदोलन छेड्ने की घोषणा की है।


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