विन्ध्य क्षेत्र में बढ़ा टिड्डी दल का खतरा

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शहडोल। मध्य प्रदेश के मालवा चंबल क्षेत्र में फसलों को काफी ज्यादा नुकसान पहुंचाने के बाद टिड्डी दल बुंदेलखण्ड तक आ पहुंचा है और विन्ध्य के सतना, रीवा जिले से होते हुए शहडोल शाहडोल जिले की सीमा पर कभी भी दस्तक दे सकता है। यह आशंका जिला प्रशासन ने व्यक्त की है। कोरोनारूपी वैश्विक महामारी से शासन प्रशासन निजात पाने मशक्कत कर रहा है, लोग बचाव के उपायों की आस लगाए बैठे हैं और एक दूसरी आपदा मुंह बाए खड़ी हो गयी। आपदारूपी टिड्डी दल हमलाकर खेतों में खड़ी फसल को चट कर जा रहे हैं। जिस जगह ये आक्रमण करते हैं उस जगह की फसल व वनस्पति नष्ट कर देते है। 

पन्ना सतना रीवा के रास्ते शहडोल में प्रवेश की संभावना 
प्राप्त जानकारी के अनुसार पन्ना जिले से होते हुए सतना पहुंच चुका टिड्डी दाल रीवा होते हुए कभी भी शहडोल पहुंच सकता है। जिला प्रशासन द्वारा इस आशय की एक विज्ञप्ति भी जारी की गई है। मध्यप्रदेश में आए टिड्डी दल की चौड़ाई 2 किलोमीटर है, जबकि इसकी लम्बाई पांच किलोमीटर है। इस दल में हजारों की संख्या में टिड्डियां हैं। एक टिड्डी एक बार में पांच सौ से अधिक अंडे देती है। जहां यह दल रुकता है, वहीं टिड्डियां अंडे देती हैं। जहां भी यह दल जाता है तबाही मचा देता है। रात में टिड्डी दल खेतों में बैठ जाता है और आसपास के वृक्षों व हरियाली को खा जाता है। 

बताए जा रहे बचाव के उपाय
जानकारों के अनुसार टिड्डियों को रोकने के लिए तेज आवाज की अवश्यकता होती है। इस आवाज से यह टिड्डियां एक जगह नहीं रुक पातीं भाग जाती हैं। इसलिए किसानों को तेज साउंड बॉक्स बजाने व बिना सायलेंसर के ट्रैक्टर चलाने की सलाह दी गई है। वहीं किसानों को टैक्ट्रर के माध्यम से तेज पानी की बौछार व कीटनाशक छिड़काव करने के लिए भी कहा गया है। जिले में टिड्डी दल के अटैक को रोकने के लिए जिला प्रशासन भी लगातार नजर रख रहा है।

शिव नारायण त्रिपाठी, शहडोल (मध्य प्रदेश )


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