छवि के नेता
अमित ।
भोपाल। दरअसल किसी भी व्यक्ति की छवि 1 दिन में नहीं बनती है। बल्कि वर्षों के मूल्यांकन के आधार पर बनती है और सकारात्मक छवि बनाने के लिए किसी भी जनप्रतिनिधि के लिए एकाग्र चित्त होकर कठिन परिश्रम करना होता है क्योंकि जनप्रतिनिधि की परीक्षा हर समय होती है। हर एक बात बोलने से होती है हर एक निर्णय लेने से होती है और उसको कोई भी 1 दिन में पोस्टर लगाकर बना यह बिगाड़ नहीं सकता यदि ऐसा होता दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल पर कितनी बार जूते चप्पल फेंके गए कालिख पोती गई चेहरे पर स्याही फेंकी गई लेकिन वे भारी बहुमत से दिल्ली में सरकार बना रहे है।
कोई कितने भी पोस्टर चिपकाए कि उमा भारती सेकुलर है और दिग्विजय सिंह कट्टर हिंदुत्व के नेता है तो किसी को विश्वास नहीं होगा क्योंकि इनकी अपनी अपनी छवि बन चुकी है। ऐसा ही पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ कितने भी पोस्टर चिपकाए जाएं लेकिन इन नेताओं का क्षेत्र के प्रति प्रेम जग जाहिर है खासकर करोना काल के समय यह पोस्टर ना केवल मोथरे साबित हो रहे हैं बरन लगाने वालों की जग हंसाई हो रही है। ऐसे ही एक दौर चला था जब लालकृष्ण आडवाणी, शरद पवार, नेताओं पर जूते चप्पल फेंके जा रहे थे, तमाचे मारे जा रहे थे लेकिन इन सब से इन नेताओं की छवि पर कोई फर्क नहीं पड़ा बल्कि ऐसा करने वाले ही अपमानित होते रहे।
बहरहाल मध्य प्रदेश की राजनीति में पोस्टर वार चल रहा है वह भी ऐसे समय चला जब सोशल डिस्टेंस रखना जरूरी है। ऐसे में कोई भी जनप्रतिनिधि जब कहीं जाएगा तो उसके आसपास भीड़ एकत्रित होना स्वाभाविक है और ऐसे नेताओं के खिलाफ पोस्टर निकाले गए जो उनकी छवि के साथ मेल नहीं खाते हां यदि कमलनाथ के खिलाफ पोस्टर चिपकाया जाता की यह केवल छिंदवाड़ा पर ध्यान देते हैं बाकी जगह नहीं देते तो शायद फिट बैठता क्योंकि मुख्यमंत्री रहने के दौरान भी जितनी बार कमलनाथ छिंदवाड़ा गए हैं उतनी बार तो वह पहले भी नहीं गए होंगे और जितनी महत्वपूर्ण योजनाएं वह सब छिंदवाड़ा में ले गए इसी तरह पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बारे में कहां जाता रहा है कि वे केवल अपने लोकसभा क्षेत्र और चंबल इलाके के नेता है दिल्ली से आते हैं और इन क्षेत्र में घूम कर वापस चले जाते अब 19 इंडिया के खिलाफ पोस्टर चिपकाए जा रहे हैं की कि जो भी सिंधिया का पता देगा उसे 51 सो रुपए का इनाम दिया जाएगा।
उनमें से अधिकांश सिंधिया परिवार के ही नाम हैं। लॉक डाउन के दौरान भी दोनों नेताओं ने निर्देशों का पालन करते हुए अपने अपने क्षेत्र में लोगों की भरपूर मदद करवाई छिंदवाड़ा में कमलनाथ ने वेंटिलेटर उपलब्ध कराएं और क्षेत्र के लोगों को राशन पानी भी पहुंचाया सिंधिया ने मुख्यमंत्री सहायता कोष में रूपए 3000000 का दान किया एवं क्षेत्र के पीड़ितों को जरूरी सामग्री भी उपलब्ध कराई।
वैसे तो पोस्टर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष नर्मदा प्रजापति पूर्व मंत्री इमरती देवी के खिलाफ भी चिपकाए गए लॉक डाउन के चलते अधिकांश जनप्रतिनिधि सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए मैदान में नहीं आए हैं। इस कारण यह पोस्टर केवल राजनीति के घटिया पन के प्रतीक मात्र बनकर रह गए और जिन लोगों को विरोध करना है उनके लिए सबक है की विरोध समय परिस्थिति के अनुसार मुद्दों पर आधारित होना चाहिए और खासकर जो आरोप लगाए जाए वह उस प्रतिनिधि पर फिट भी बैठे।
कमलनाथ और सिंधिया के खिलाफ चिपकाए गए पोस्टर बचकानी हरकत माने जा रहे थे क्योंकि इन दोनों नेताओं की छवि अपने क्षेत्र के विकास के लिए समर्पित और लोगों के साथ सुख दुख में साथ निभाने की है। कमलनाथ ने गर्व के साथ छिंदवाड़ा मॉडल को पूरे प्रदेश में लागू करने की बात कही थी और कोई दूसरा नेता अब तक नहीं कर पाया इसी तरह चंबल इलाके में जो विकास के प्रमुख कीर्तिमान है, प्रदेश में और भी ऐसे नेता हैं जिनकी अपनी एक छवि बन चुकी है जो किसी पोस्टर और आरोप से प्रभावित नहीं हो सकती मसलन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर कोई अहंकार या आलसी होने का आरोप नहीं लगा सकता क्योंकि वह चौथी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद भी विनम्र भी हैं और सक्रिय भी। ऐसे ही भगवाधारी पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती का हिंदुत्व प्रेम जग जाहिर है उन पर कोई छद्म सेकुलर का आरोप नहीं लगा सकता पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पर कोई कट्टर हिंदुत्ववादी होने का आरोप नहीं जड़ सकता क्योंकि इन सब की छवि आम जनता की नजरों में बन चुकी है। ऐसे ही यदि कोई पूर्व नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव के क्षेत्रीय प्रेम और गरीबों की सेवा के बारे में टिप्पणी करें तो इससे भार्गव कि नहीं बल्कि टिप्पणी करने वाले की छवि खराब होती है क्योंकि जहां नेता प्राय हर चुनाव में अपना नारा बदलने को मजबूर होते हैं वही रहली क्षेत्र में पिछले 40 वर्षों से हर चुनाव में प्रत्येक चुनाव में जिसका कोई ना पूछे हाल उसका साथी है गोपाल गूंजता है। अपने इकलौते पुत्र और पुत्री की शादी सामूहिक विवाह समारोह में गरीबों के साथ करने वाले भार्गव इस समय कोरोना काल में सर्वाधिक मदद करने वाले नेता के रूप में एक बार फिर से पहचाने गए क्षेत्रवासी चाहे कहीं भी हो उनकी मदद इस दौरान हुई है और इसके अलावा क्षेत्र से जो भी गरीब मजदूर निकला उसकी भी हरसंभव मदद हुई है और वह भी देश के जिस कोने में पहुंचा है भार्गव की गुणगान करते हुए गया है ।
कुल मिलाकर कोरोना काल में जब सब कुछ बदल रहा है तब राजनीतिज्ञों को भी अपना स्वभाव बदलना चाहिए और मुद्दों पर आधारित ही आरोप-प्रत्यारोप लगाना चाहिए अन्यथा उनकी जग हंसाई ही होगी क्योंकि छवि बनाने के लिए जनप्रतिनिधि कोई भी हो उसको अथक परिश्रम करना पड़ता है चाहे कमलनाथ हो या सिंधिया या फिर भार्गव इन सभी ने अपने क्षेत्र के विकास और क्षेत्रवासियों की चिंता परिवार की तरह की है ।