गाँव गाँव का फसाना, कोई भी गैर मत आना कोरोना के दहशत मे दूरियाँ ही बन रही दवा
शहडोल। समय, काल और परिस्थितियां किसी भी विचार की प्रासंगिकता को कैसे प्रभावित कर सकती है यह इन दिनों देखने को मिल रहा है जब हमारी सभ्यता के कुछ चिर परिचित विचार इस समय अप्रासंगिक प्रतीत हो रहे है, जैसा कि अतिथि देवो भव। अतिथि और आतिथेय के विचार हमारे मनोभाव से इस समय ओझल हो रहे हैं और लोग अतिथि-आतिथ्य को छोड़कर स्वकेन्द्रित हो रहे हैं। यह कोई सामाजिक परिवर्तन नहीं है अपितु परिस्थितिजन्य तात्कालिक कारण है, जिसमें कोरोनारूपी एक अदृश्य शत्रु के भय से लोग अपने को सीमित कर लिए हैं जिसका एक स्वरूप जिले में यह भी देखने को मिल रहा है कि किसी भी बाहरी व अपरिचित व्यक्ति का गांव में प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया है। संभागीय मुख्यालय शहडोल से लगे हुए ग्राम पंचायत कल्याणपुर से लेकर ग्राम पंचायत नरगी, उधिया, नवलपुर सहित जिले के कई गाँव के रहवासी अपने गाँव को आइसोलेट कर लिए हैं जिसमें वह गांव में प्रवेश करने वाले विभिन्न मार्गों पर अस्थाई बैरियर लगाकर चौकसी कर रहे हैं ताकि कोई भी बाहरी व अपरिचित व्यक्ति गांव में प्रवेश न कर सके। केवल गाँव के लोगो व शासकीय अधिकारियों-कर्मचारियों को ही आने-जाने दे रहे है।
शिव नारायण त्रिपाठी, शहडोल (मध्य प्रदेश)