संयुक्त कृषि निदेशक ने शुआट्स में गेहूँ की उन्नत किस्मों का किया अवलोकन
प्रयागराज। शुआट्स में प्रदेश के किसानों के लिए कम खाद व सिंचाई आवश्यकता वाली, जल्दी पकने वाली, रोगरोधी, उच्च ताप रोधी एवं अधिक उपज देने वाली गेहूँ की नई किस्मों का विकास किया गया है। वरिष्ठ गेहूँ वैज्ञानिक डा॰ महाबल राम ने बताया कि शुआट्स का गेहूँ प्रजनन कार्यक्रम, कुलपति मोस्ट रेव्ह प्रो. राजेन्द्र बी. लाल के मार्गदर्शन में वर्ष 2005 से प्रारम्भ किया गया, जिसके परिणामस्वरूप, शुआट्स की चार गेहूँ किस्में क्रमशः ए.ए.आई. डब्लू.-6, ए.ए.आई. डब्लू.-9, शियाट्स गेहूँ-10 एवं शियाट्स गेहूँ-13 को कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा गजट नोटिफिकेशन के माध्यम से अधिसूचित किया गया है तथा गेहूँ की किस्में क्रमशः एएआईडब्लू-4, एएआईडब्लू-7, एएआईडब्लू-8, शुआट्स गेहूँ-15, शुआट्स गेहूँ-21 को राज्य बीज विमोचन समिति द्वारा समस्त उत्तर प्रदेश के लिए विमोचित किया गया है ।
संयुक्त कृषि निदेशक प्रयागराज मंडल डा0 आर. के. मौर्य, उप निदेशक (कृषि) विनोद कुमार, प्रयागराज;जिला कृषि अधिकारी अश्विनी कुमार,, प्लान्ट प्रोटेक्शन अधिकारी इन्द्रजीत यादव ने प्रसार निदेशालय के विषय वस्तु विशेषज्ञ आदि की उपस्थित में शुआट्स में गेहूँ की उन्नत किस्मों का अवलोकन किया। उन्होंने शुआट्स कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के द्वारा किसानों के लिए किये जा रहे कठिन परिश्रम एवं अथक प्रयासों की सराहना की ।
डा॰ महाबलराम ने बताया कि शुआट्स मंे गेहूँ का 14200 जर्मप्लास्म समय से बुवाई, पिछैती बुवाई, अति पिछैती बुवाई, सिंचित अवस्था एवं असिंचित अवस्था के लिए स्क्रीनिंग की जा रही है । विश्वविद्यालय में छोटे किसानों को ध्यान मे रखते हुए एक सिंचाई आवश्यकता वाली, दो सिंचाई आवश्यकता वाली, तीन सिंचाई आवश्यकता वाली, मध्यम नत्रजन एवं कम नत्रजन में अधिक उपज देने वाली गेहूँ की नई किस्मों का विकास किया है । उन्होंने बताया कि उपरोक्त किस्मों को समय से बुवाई करने पर 45-50 कुन्तल प्रति हेक्टेयर एवं पिछैती बुवाई करने पर 40-45 कुन्तल प्रति हेक्टेयर उपज प्राप्त की जा सकती है तथा ये किस्में फरवरी, मार्च माह में होने वाली तापमान वृद्धि के लिए अवरोधी होने के साथ-साथ गेहूँ की रतुवा, कंडवा एवं पत्तियों के भूरा रतुवा इत्यादि रोगों के लिए अवरोधी हैं । ए.ए.आई.डब्लू-6 किस्म का दाना बड़ा एवं मोटा है जिसमें कि 14.31 प्रतिशत प्रोटीन एवं 3.54 मिग्रा/100 ग्राम आयरन एवं 3.44 मिग्रा/100 ग्राम प्रतिशत जिंक की मात्रा दर्ज की गई है । साथ ही इस किस्म में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा सामान्य से कम पाई गई है । समय से एवं देरी से बुवाई हेतु उपयुक्त पाई गई यह किस्म किसानों द्वारा पसन्द की जा रही है ।
निदेशक शोध प्रो॰ (डा॰) शैलेष मारकर ने बताया कि शुआट्स द्वारा विकसित गेहूँ की
4 किस्में जिसको कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा अधिसूचित किया गया है, बीज उत्पादन श्रृखला में शामिल किया गया है एवं इन किस्मों का उन्नत बीज बनाकर, कृषि विभाग, उत्तर प्रदेश को भेजा जा रहा है जहाँ से इनको प्रदेश के विभिन्न किसानों के लिए उपलब्ध करवाया जा रहा है ।
इस अवसर पर प्रो॰ (डा॰) ए.ए. ब्राॅडवे, निदेशक प्रसार, शुआट्स ने बताया कि प्रसार निदेशालय के माध्यम से विश्वविद्यालय के कार्यक्षेत्र में आने वाले सात जनपदों (प्रयागराज, प्रतापगढ़, कौशाम्बी, फतेहपुर, मिर्जापुर, भदोही एवं सोनभद्र) के चयनित कृषकों के प्रक्षेत्रों पर प्रदर्शन कराये गये हैं एवं उक्त जनपदों के कृषकों के गेहूँ के उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गयी है तथा रोग अवरोधी एवं सीमित निवेश के कारण फसल लागत में कमी भी प्रभावी ढंग से परिलक्षित हुई है ।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के रिटायर्ड एवं वरिष्ठ गेहूँ वैज्ञानिक डा. आर. पी. सिंह, सचिव, एडियन एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी एसोसिएशन, नई दिल्ली ने शुआट्स के गेहूँ प्रजनन कार्यक्रम की सराहना की एवं बताया कि नई किस्में किसानों के आय में वृद्धि करने में कारगर साबित होगी ।