उत्तरकाशी और टिहरी के कई क्षेत्रों में भारी ओलावृष्टि से फसल बर्बाद

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उत्तरकाशी/टिहरी, 14 अप्रैल (हि.स.)। उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों के उत्तरकाशी और टिहरी आदि कुछ जिलों में आज दोपहर हुई बारिश और ओलावृष्टि ने किसानों की कमर तोड़ दी। उनके खेतों में कटाई के लिए तैय़ार खड़ी रबी की फसल इस ओलावृष्टि से पूरी तरह तबाह हो गई।  

उत्तरकाशी जिले मैं दोपहर बाद अचानक मौसम ने करवट ली। आचानक तेज हवाओं के साथ बारिश व ओलावृष्टि से फसलों को भारी नुकसान हुआ है।जिले की गंगा घाटी एवं यमुना घाटी के कुछ क्षेत्रों मैं ओलावृष्टि से काश्तकारों के लिए मौसम की सबसे बुरी खबर है। इधर मुख्य कृषि अधिकारी गोपाल भंडारी ने बताया कि नुकसान की जल्द रिपोर्ट मंगाई जा रही है रिपोर्ट के बाद ही आंकलन लगाया जाएगा कि ओलावृष्टि से कितना नुकसान हुआ है। 

विकासखंड चिन्यालीसौड़ के दिचलि व गमरी पट्टी में मंगलवार को हुई भारी ओलावृष्टि से रवि की फसल को भारी नुकसान हुआ है। इससे किसानों के मन में मायूसी छा गई है । तेज ओलावृष्टि से किसानों की रबी की खड़ी व पकी फसल गेहूं ,जौ, मटर आदि को बहुत नुकसान हुआ। इससे किसानों का मनोबल टूट गया है । पूर्व जिला पंचायत सदस्य जोगेंद्र सिंह रावत ने उप जिलाधिकारी डुंडा आकाश जोशी से इस संबंध में वार्ता की। एसडीएम डुंडा ने जोगिंदर सिंह रावत को आश्वस्त किया कि ओलावृष्टि से हुए नुकसान की जांच करवा कर किसानों को यथासंभव मदद की जाएगी।

उधर, नई टिहरी के घनसाली  में मंगलवार दोपहर को भारी ओलावृष्टि से कास्तकारों की फसल चौपट हो गई। एक ओर लॉक डाउन से परेशानी झेल रहे कास्तकारों की रबी की फसल चौपट होने से उनकी परेशानी दोगुनी बढ़ गई है। इसके कारण भविष्य में उनके समक्ष खाद्यान्न का संकट पैदा होना लाजिमी है। आज दोपहर दो बजे हुई भारी ओलावृष्टि से गेहूं, जौ, मटर आदि की फसल नष्ट हो गई।ओलावृष्टि इतनी भयंकर हुई कि पेड़ों के पत्ते व उन पर लगे फूल व फल पूरी तरह झड़ गए। खेतों में ओलोंं की सफेद चादर बिछ गई। 

क्षेत्र के केमर, बासर, भिलंग, बूढाकेदार, आरगढ़, गोनगढ़, नैलचमी सहित 10 पट्टियों में किसानों की खड़ी फसल पूरी तरह बर्बाद होने से लोगों की 6 माह की मेहनत पर पानी फिर गया है। इससे किसान बहुत निराश हो गया है। कास्तकारों ने क्षति का आकलन कर मुआवजा मुहैया कराने की मांग की है। इसके अलावा प्रतापनगर क्षेत्र में भी भारी ओलावृष्टि होने से काश्तकारों की कमर टूट गई है। क्षेत्र में ओलावृष्टि होने से सेब की फसल नष्ट होने से मेहनतकश लोगों के सामने संकट उत्पन्न हो गया है।


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