अमर शहीद प.रामप्रसाद बिस्मिल के 125 वें जन्मोत्सव पर कृतज्ञ राष्ट्र की श्रद्धांजलि

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डाॅ अजय ओझा।
बिस्मिल का बलिदान युवाओं को सदैव प्रेरणा देता रहेगा  : राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य। 
नई दिल्ली, शनिवार,11 जून । केन्द्रीय आर्य युवक परिषद् के तत्वावधान में सुप्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी अमर शहीद पं. रामप्रसाद बिस्मिल के 125 वें जन्मोत्सव पर गुरुकुल कण्वाश्रम में श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि पं० रामप्रसाद बिस्मिल क्रांतिकारियों के सिरमौर रहे, उनसे प्रेरणा पाकर अनेकों नोजवान स्वतंत्रता-आंदोलन में कूद पड़े।अशफाक उल्ला ख़ां और बिस्मिल की दोस्ती जगजाहिर थी एक कट्टर आर्य समाजी और एक कट्टर मुस्लिम,लेकिन राष्ट्र की बलिवेदी पर दोनों इकठ्ठे फांसी पर झूल गए इससे बड़ा सामाजिक समरसता का कोई ओर उदाहरण नहीं हो सकता।बिस्मिल ने देश की आजादी के लिए घर,परिवार सब छोड़ कर राष्ट्र के लिए सब कुछ होम कर दिया।
आचार्य महेन्द्र भाई  ने कहा कि बिस्मिल की जीवनी पढ़ कर रोंगटे खड़े हो जाते है,वास्तव मे उनके जीवन चरित्र को पाठ्यक्रम में पढ़ाने की आवश्यकता है जिससे नयी पीढ़ी उनके बलिदान से परिचित हो सके।


प्रान्तीय महामंत्री प्रवीण आर्य ने कहा कि बिस्मिल के जीवन का कण कण राष्ट्र के लिए समर्पित था,उनका जीवन युवाओं के लिए सदैव प्रकाश पुंज का कार्य करेगा।देश का दुर्भाग्य है कि बिस्मिल जैसे क्रांतिकारियों को इतिहास से विस्मृत करने का षडयंत्र किया गया और एक ही परिवार की पूजा अर्चना की गई, “उनकी तुर्बत पे नहीँ एक भी दिया,जिनके खून से जले थे चिरागे वतन।आज महकते हैं मकबरे उनके जिन्होंने बेचे थे शहीदों के कफन” इस अमर बलिदानी का जन्म 11 जून सन् 1897 को उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर जिले में हुआ था।
सुप्रसिद्ध गायक प.रुबेल सिंह आर्य,रमेश चंद्र स्नेही,प्रवीन आर्या के ओजस्वी गीतों ने सभी मे उत्साह पैदा कर दिया।
प्रमुख रूप से रामकुमार सिंह आर्य,धर्मपाल आर्य,कमल आर्य आस्था आर्या,अरुण आर्य,गौरव झा आदि उपस्थित रहे।


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