रचनाकार को सामाजिक चिंतन के साथ विश्व व्यापक दृष्टिकोण पर विचार करना चाहिए : बागीश

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बटोही।

कवि एवं वरिष्ठ चित्रकार के आवास पर हुई साहित्य चर्चा।

प्रयागराज। किसी भी साहित्यकार के लिए समाजिक सरोकारों के प्रति सजग रहते हुए अपने कर्तव्यों पालन करना चाहिए। साहित्यिक रचना में सबसे महत्वपूर्ण बिन्दु रचनाकार का दृष्टिकोण या विश्वदृष्टि, परिवेश, परिस्थिति, सामयिक चिंतन और रचनाकाल है। यह बातें लेखक, कवि एवं सहित्यजंलि प्रभा के प्रांतीय सह-प्रभारी डॉ. राम लखन चौरसिया बागीश ने करेली स्थित वरिष्ठ चित्रकार एवं कवि तलत महमूद के आवास पर आयोजित साहित्यिक चर्चा के दौरान कहीं। उन्होंने अपनी आने वाली साहित्यिक पुस्तक ‘नूतन साहित्य की अवधारणा’ एवं साहित्य पर खुले मन से चर्चा करते हुए कहा कि रचनाकार को अपने मन-मस्तिष्क में परोक्ष या अपरोक्ष रूप से पाठक की संकल्पना करना होता है।

इस मौके पर डॉ. राम लखन चौरसिया ने ‘नूतन साहित्य की अवधारणा’ अपनी साहित्य पुस्तक वरिष्ठ चित्रकार तलत महमूद को सप्रेम भेंट किया। बता दें कि इसके पूर्व चौरसिया की प्रकाशित पुस्तकें
मेरी माला (खण्ड काव्य) 2018 में इलाहाबाद, केकड़ा संस्कृति (कहनी संग्रह) नई दिल्ली एवं नूतन साहित्य की अवधारणा प्रयागराज से प्रकाशित हो हो रही है। इसके अलावा दो अन्य पुस्तकें सामाजिक न्याय बना बनाम सामाजिक संरचना एवं बागीश दोहा संग्रह जल्द ही प्रकाशित होने वाली हैं। इस मौके पर तश्ना कानपुरी, तलत महमूद, प्रवीण कुमार, सय्यदा जमाल फातिमा, नीरज एवं अजहर महमूद सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।


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