आओ खोजें वह बहुत कुछ जो नहीं खोजा जा सका मानवता की रक्षा के लिए : डॉ. जूही
कविता संवेदना का दूसरा नाम है: तलत।
विदाई समारोह में डा. जूही की पुस्तक ‘उपेक्षित कैनवास’ का विमोचन एवं चर्चा।
प्रयागराज। वरिष्ठ चित्रकार डॉ. जूही शुक्ला ने काफी अरसे तक प्रयाग महिला विद्यापीठ में काम किया। उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग द्वारा चयन होने के बाद उन्होंने श्री अग्रसेन महिला महाविद्यालय आज़मगढ़ में प्राचार्य पद पर ज्वाइन कर लिया है। लिहाजा रविवार को प्रो. जूही शुक्ला के आवास पर विदाई समारोह आयोजित किया गया। इस मौके पर उमेश पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित एवं काव्य रचना पर आधारित डा. जूही की पुस्तक ‘उपेक्षित कैनवास’ का विमोचन एवं कला और काव्य पर चर्चा की गई।
इस मौके पर कलाकार एवं कवियों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। डॉ. जूही ने अपनी रचना ‘तलाश’ ‘आओ खोजें वह बहुत कुछ जो नहीं खोजा जा सका मानवता की रक्षा के लिए’ का पाठ किया। खूब सराही गई। संचालन कर रहे तलत महमूद ने ‘मुसव्विर हूं मैं रंगों में बसा है जीवन मेरा, मुहब्बत से देखोगे तो दिल में उतर जाऊँगा मैं’, पेश कर दाद बटोरी। इस मौके पर रवीन्द्र कुशवाहा, एनपी प्रसाद श्रीवास्तव ने भी कविता पाठ किया। कसीम फारुकी, राजेंद्र भारती, डॉ जाहेदा खानम गीता मालवीय, शैफाली मालवीय आदि ने चर्चा में भाग लिया। कविताओं में मुखर हुई पीड़ा, संवेदना एवं कला पक्ष सार्थक दिखा। आए हुए सभी मेहमानों का स्वागत एवं शुक्रिया संजय मालवीय ने किया।