प्रयागराज न्यूज़ : भष्ट्र अधिकारी पर समाजसेवी ने कार्यवाही की किया मांग
प्रयागराज 23 अगस्त, 2022। फर्जी भुगतान, दो करोड़ 71 लाख रुपए का महाधिवक्ता भवन हाई कोर्ट प्रयागराज निर्माण में निकासी के अपराध में दंडित करने का समाजसेवी दिनेश तिवारी ने नगर विकास मंत्री सहित यूपी जल निगम के उच्च अधिकारियों को पत्र फिर लिखा।
ज्ञातव्य हो कि प्रोजेक्ट मैनेजर के कारनामों पर कई सालों से विजिलेंस, प्रमुख सचिव तक असहाय नजर आ रहे है। भेजे मेल पर 14 बिंदुओं की ओर ध्यान आकृष्ट कराते हुए बताया कि प्रयागराज में सबसे भष्ट्र प्रोजेक्ट मैनेजर राम वृक्ष चंचल के काले कारनामे उल्लेखित है।2019 से विजलेंस द्वारा कागजात मांगे जाने के बाबजूद आज तक प्रस्तुत नहीं किया।ऐसे भष्ट्र अधिकारी को हटाते हुए जांचोपरांत दंडित करते हुए कठोर कार्यवाही की मांग किया।
उत्तर प्रदेश सरकार भष्ट्राचार को जीरो टॉलरेंस नीति के तहत खत्म करने के लिए संकल्पित है। राम वृक्ष चंचल को कौन उच्च अधिकारी संरक्षण कर रहा है।रामवृक्ष चंचल की तैनाती यूनिट 33 सीएनडीएस प्रयागराज में 2007 से 2012 तक रहे, उस दौरान महाधिवक्ता भवन निर्माण में फर्जी भुगतान के गम्भीर आरोप लगें। 2019 से 2022 तक लगातार भष्ट्राचार के आरोप लगने के बाबजूद सीएनडीएस का प्रोजेक्ट मैनेजर बनाए रखा गया है। 2012 में प्रतापगढ़ तैनाती के दौरान भी कारनामे उजागर हुए, सरकारी धन का जमकर दुरुपयोग होने पर निलंबित हुए,साथ ही एफआईआर भी हुई। इनके द्वारा फर्जी भुगतान आदि मामले में विजिलेंस जांच चल रही है।सवाल उठना लाजमी है कि अब विजिलेंस आदि जांच कैसे संभव है उसी पद और खण्ड पर विराजमान हो तो कैसे जांच होगी। फर्जी भुगतान पाने वाले प्रोपराइटर जीतेश चंचल जो राम वृक्ष चंचल के पुत्र है। फर्जी भुगतान करने वाले अधिकारी राम वृक्ष चंचल पर यूपी जल निगम मुख्यालय ने कार्यवाही नहीं किया।कारनामे एवं भष्ट्राचार के बाबजूद शासन में अच्छी पकड़ के चलते मार्च 2022 में यूनिट 33 सीएनडीएस प्रयागराज को सीएनडीएस 15 में विलय करते हुए भ्रष्टाचारी रामवृक्ष चंचल को रिकॉर्ड सहित यूनिट 15 का प्रोजेक्ट मैनेजर बना दिये गए।डॉ रजनीश दुबे ने हटाने के लिए पत्र भी लिखा,मगर ढाक के तीन पात साबित हुए।
बताया गया कि 18 जनवरी 2022 को सतर्कता विभाग एवं तत्कालीन प्रमुख सचिव नगर विकास ने पत्र लिखकर कहा कि राम वृक्ष प्रोजेक्ट मैनेजर को स्थानांतरित करने की बात कही, लेकिन सीएनडीएस मुख्यालय ने इन्हें स्थानांतरित नहीं किया।बल्कि 33 को 15 यूनिट में विलय कर दिया।खंड के प्रशासनिक महाप्रबंधक की भूमिका संदिग्ध है।पूर्व कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह एवं पूर्व विधायक नीलम करवरिया ने भी तत्कालीन कैबिनेट मंत्री नगर विकास/प्रमुख सचिव को जांच हेतु पत्र लिखा था। मगर कार्यवाही नहीं हुई। क्या योगी राज में भष्ट्र अधिकारी पर गाज गिरेगी।यह देखने का विषय बना हुआ है।
शिकायत कर्ता ने प्रमुख सचिव,उत्तर प्रदेश शासन,अध्यक्ष यूपी जल निगम,एमडी यूपी जल निगम, महाप्रबंधक सीएनडीएस, डायरेक्टर यूपी जल निगम, सीजीएम सीएन डीएस, जीएम सीएनडीएस को मेल कर कठोर कार्यवाही की मांग किया है।