संत गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचना कृत श्री राम चरित मानस सांकृतिक, राष्ट्रीय, पारिवारिक, ‌सामाजिक, एवं राजनीतिक एक मुक्कमल संविधान है

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डॉ अजय ओझा।

बक्सर, 5 अगस्त भारतीय संस्कृति के रक्षक, श्री राम चरित मानस के रचयिता, कवि कुल चुडामणिस संत तुलसी दास जी जयंती पखवारा के आलोक में भोजपुरी दुलार मंच के बैनर तले,मंच के संरक्षक, आई०एम०ए० के अधयक्ष , मानस मर्मज्ञ डॉ महेन्द्रप्रसाद जी के नेतृत्व में, एवं मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ, ०ओम प्रकाश केसरी पवननन्दन‌ के संचालन में , नेहा नर्सिंग होम , कोईरपुरवा परिसर में सोल्लस वातावरण में मनाया गया।

आयोजित जयंती समारोह का उद्घाटन, समारोह के मुख्य वक्ता डॉ मोहनप्रसाद जी, मंच के संरक्षक न० प० के पूर्व यशस्वनी श्रीमती मीना सिंह, गणेश उपाध्याय, शशि भूषण मिश्र, डॉ शशांक शेखर, कन्हैया पाठक ,सहित तमाम उपस्थित महानुभावों ने गोस्वामी तुलसीदास जी‌के चित्र के समक्ष‌ दीपप्र्जवलित करके एवं माल्यार्पण करके किये । समारोह की अध्यक्षता मंच के संरक्षक, वरीय अधिवक्ता, लेखक रामेश्वर प्रसाद वर्मा जी‌ द्वारा किया गया।जयंती समारोह के मुख्य वक्ता डॉ महेन्द्रप्रसाद जी ने गोस्वामी तुलसीदास जी के जीवनी के बारें में विस्तार से चर्चा करने के पश्चात श्री राम चरित मानस के बाल कांड के बहुत ही मनोहर एवं सरस प्रसंग भगवान श्री राम एवं परशुराम संवाद का विश्लेषण बहुत सरल भाव से ‌ किये।
‌तेही अवसर सुनि धनु भंगा
आयउ भृगु कूल कमल पतंगा।
मुख्य वक्ता ने अपने मुखार बिन्द से बड़े ही सहज और सरल रूप से उस मनोहरी प्रसंग को सुनाये।

बीच बीच में सम्बन्धित दोहा और चौपई भी सुनाते जाते थे। रे नृप बालक काल बस बोलत तो हि नसीमा हार धनुही सम तिपुरारि धनु विदित सभ संसार। मुख्य वक्ता के पश्चात श्रीमती मीना सिंह, ने संत तुलसी दास जी को प्रणाम करते हुए बताया कि‌ तुलसी जी को संत तुलसी दास बनाने में इनकी पत्नी ‌रत्नावली विशेष योगदान है। जिसकी चर्चा शायद बहुत नहीं हो । पायी है। अपने अध्यक्षीय उद्गगार के क्रम में अधयक्ष मह।नुभाव ने संत तुलसी दास जी को महामानव बताते हुए उन्होंने कहा कि अगर तुलसी दास जी‌ न होते तो हमारा देश पता नहीं कबतक गुलाम‌ रहता। वे भारतीय संस्कृति के रक्षक थे। शशि भूषण मिश्र, डॉ शशांक शेखर, गणेश उपाध्याय, कन्हैया पाठक आदि ने भी‌अ अपने व्यक्त्वय द्वारा तुलसी दास के गुणों का बखान करते हुए उन्हें ‌आला दर्जे का संत एवं समाज सुधारक बताये। ‌उक्त समारोह में माननीय अति थि के रूप में विदध्मान शिव बहादूर‌पांडे प्रीतम, महेश्वर ओझा महेश,,ई०र।माधार सिंह, रामेश्वर मिश्र विह।न, देहाती पंडित, सिद्ध नाथ मिश्र, राज कुमार अतुल मोहनप्रसाद, वशिष्ठ पाठ क, अशोक कुमार, निर्मल जी बुलबुल जी, हेमन्त जी,सुरेशसंगम, गोपाल तिवारी आदि अन्य महानुभाव उपस्थिति रहे। संचालन कर्ता डॉ पवननन्दन‌ ने संत तुलसी दास केप्रति अपना भाव समर्पित करते हुए कहा कि संत तुलसीदास जीका श्री राम चरित मानस सांस्कृतिक, राष्ट्रीय ,पारिवारिक, सामाजिक एवं राजनिति क रूप से एक मुक्कमल संविधान है।मानस हमें जीवो और जीने दो की कला सिखलाता है। तुलसी दास जी सबसे बड़े समाजवादी थे_सियाराम मैं सब जग जानू
करहूं परनाम जोर जुग पानू।

समारोह का समापन कृतज्ञता ज्ञापन के साथ सम्पन्न हुआ।


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