भारत के कुछ राज्यों की राम नवमी

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जयति भटाचार्य ।
राम नवमी का त्यौहार संपूर्ण भारत में मनाया जाता है। जहां उत्तर भारत में यह त्यौहार श्री राम के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है वहीं दक्षिण भारत में सीता मैया एवं श्री राम के विवाह के दिन के रूप में मनाया जाता है। सभी राज्यों मे राम नवमी मनाई जाती है परंतु कुछ राज्यों की राम नवमी देखने लायक होती है।

अयोध्या , उत्तर प्रदेश – अयोध्या जो कि श्री राम का जन्म स्थान है वहां राम नवमी की छटा देखते ही बनती है। उस दिन अयोध्या नगरी अत्यंत सजीव हो उठती है। राम अयोध्या के संरक्षक देवता हैं इसलिए वहां पर राम नवमी बहुत धूमधाम एवं उल्लास के साथ मनाया जाता है। अयोध्या के लोग उस दिन अपने घरों को सजाते हैं, व्रत रखते हैं, सरयू नदी में स्नान करते हैं। तत्पश्चात विभिन्न मंदिरों में इस त्यौहार के रीती रिवाजों को पूरा करते हैं। इस दिन अयोध्या में मेला लगता है और रथ पर राम, सीता, लक्ष्मण एवं हनुमान का जुलूस निकाला जाता है। यह जुलूस देखने लायक होता है। वहां के लोग अपने घरों और मंदिरों में सतसंग की व्यवस्था करते हैं। यहां पर रामलीला भी होती है जिसमें राम रावण युद्ध का नाट्य रूपांतर होता है। अयोध्या में राम लीला राम नवमी का अभिन्न अंग है।

भद्राचलम, तेलेंगाना – तेलेंगाना में भद्राचलम को दक्षिण का अयोध्या भी कहते हैं। यहां की राम नवमी बहुत लोकप्रिय है। यह स्थान 17वीं शताब्दी में बनें सीता रामचन्द्रास्वामी मंदिर के लिए मशहूर है। इसे श्री राम के कट्टर भक्त, भक्त रामदासु ने बनवाया था। वहां लोग इस दिन को राम एवं सीता के विवाह के दिन के रूप में मनाते हैं और इसे सीताराम कल्याणम कहते हैं। नवरात्र का त्यौहार तो नौ दिनों का होता है पर आखिरी दिन नवमी राम और सीता के विवाह से समाप्त होता है जो बेहद लोकप्रिय है।

सीतामढ़ी, बिहार – बिहार में सीतामढ़ी सीता मैया के जन्मस्थान के रूप में देखा जाता है और अयोध्या तथा भद्राचलम के बाद सीतामढ़ी के राम नवमी का महत्व है। सीतामढ़ी की संरक्षक देवी हैं मां सीता। राम नवमी का त्यौहार सीतामढ़ी के जानकी मंदिर में मनाया जाता है। यहां भक्तों की भारी भीड़ होती है। मंदिर को सजाया जाता है और विशेष मेला लगता है। इसको देखने के लिए ही इतनी बड़ी तादाद में भीड़ आती है।

रामेश्वरम, तामिल नाडू – रामेश्वरम में भी राम नवमी का त्यौहार धूमधाम के साथ मनाया जाता है। यहां पर वानर सेना ने श्री राम के लंका जाने के लिए राम सेतु का निर्माण किया था ताकि राम रावण से अपनी पत्नी को छुड़ाकर ला सकें। मुख्य रूप से रामेश्वरम में श्री कोठान्द्रास्वामी मंदिर में राम नवमी का त्यौहार मनाया जाता है। श्री राम के भक्त इस दिन अपने भगवान के विवाह समारोह में आते हैं, उनका जप करते हैं तथा व्रत रखते हैं।

वोंटिमित्ता, आंध्र प्रदेश – यह आंध्र प्रदेश में राम नवमी कार्यक्रम का आधिकारिक स्थान है क्योंकि भ्रदाचलम अब तेलेंगाना में चला गया है। आंध्र प्रदेश का एक छोटा सा शहर वोंटिमित्ता में 450 सालों से भगवान राम को समर्पित श्री कोंडनडरास्वामी का मंदिर है। माना जाता है कि इसे वोंटुडू और मित्तुडू नाम के दो व्यक्तियों ने बनवाया था। यह चोर थे जो बाद में भगवान राम के भक्त बन गए और मंदिर बनवाने के बाद पत्थर के बन गए। यहां नौ दिन का ब्रहमोत्सवम होता है जहां सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होता है।

शिर्डी, महाराष्ट्र – शिर्डी में मुख्य रूप से तीन त्यौहार मनाए जाते हैं गुरू पूर्णिमा, विजया दशमी एवं राम नवमी। यहां पर राम नवमी मनाए जाने का कारण कुछ अलग है। एक कथा के अनुसार सांई बाबा का एक भक्त सालों तक निसंतान रहने के बाद पिता बना। उसने सांई बाबा से उर्स के लिए इजाजत मांगी। बाबा ने राम नवमी का दिन उर्स के लिए तय किया। उनका मकसद दो धर्मों को एक साथ लाना था। शिर्डी में राम नवमी का त्यौहार तीन दिन तक मनाया जाता है। इसमें कई रीतियां हैं जिसमें द्वारकामाई का ध्वज बदलना, गेंहू की पुरानी बोरी बदलकर नई रखना इत्यादि शामिल है। पहले दिन गोदावरी नदी के पवित्र जल से सांई बाबा का अभिषेक होता है। दूसरे और तीसरे दिन अनेक धार्मिक कार्यक्रम होते हैं। पालकी भी निकाली जाती है जो कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण होता है।


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