चैत्र नवरात्र का अंत – राम नवमी

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जयति भटाचार्य ।

इस लोकप्रिय हिंदू त्यौहार को मर्यादा पुरूषोत्तम राम के जन्मदिवस के रूप में दुनिया भर के हिंदू उल्लास के साथ मनाते हैं। मर्यादा पुरूषोत्तम राम भगवान विष्णु के सातवें अवतार थे। राम नवमी के साथ ही चैत्र नवरात्र के नौ दिवसीय पर्व का समापन हो जाता है। श्री राम के बहुत सारे भक्त इस दिन व्रत रखते हैं। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने पर श्री राम उन भक्तों को अंतहीन खुशियों और अच्छे भविष्य के लिए आशीर्वाद देते हैं।

राम नवमी को भारत का सबसे पुराना त्यौहार माना जाता है। हिंदू धर्म विश्व में सबसे पुराना है इसलिए कहा जाता है कि राम नवमी इसाई पूर्व युग से चला आ रहा है। राम नवमी का उल्लेख कालिका पुराण में भी मिलता है। पहले के समय में जब भारत में जाति प्रथा आम थी तब नीची जाति के लोगों को कुछ ही त्यौहार मनाने की अनुमति थी जिनमें राम नवमी एक था। कहा जाता है कि यदि राम नवमी का व्रत सही तरह से रखा जाए तो मोक्ष की प्र्राप्ति होती है। यह त्यौहार प्रत्येक वर्ष मार्च – अप्रैल के महीने में मनाया जाता है।

कुछ निष्ठावान भक्त मानते हैं कि 5114 ईसा पूर्व को इसी दिन अयोध्या के राजा दशरथ की प्रार्थना भगवान ने सुनी थी। राजा दशरथ की तीन रानियां थीं। फिर भी उन्हें पिता बनने का सुख नहीं मिला था। शादी के कई साल बाद भी उन्हें राज्य संभालने के लिए वारिस नहीं मिला। तब ऋषि वशिष्ठ ने राजा दशरथ को पुत्र कामेष्ठी यज्ञ करने का सुझाव दिया। यज्ञ करने के पश्चात तीन रानियों से उनके चार पुत्र पैदा हुए। जिस दिन कौशल्या के पुत्र राम का जन्म हुआ वही दिन राम नवमी के रूप में मनाया जाता है।

राम के जन्म से केवल राज परिवार ही नहीं, प्रजा भी बेहद खुश हुई। सभी भगवान के आगे हाथ जोड़ रहे थे। किसी को यह पता न था कि उनके बीच भगवान ही आए हैं। बड़े होने पर राम ने रावण समेत अनेक राक्षसों का अंत करके मानवता की रक्षा की। जब राम अयोध्या के राजा बनें तब प्रजा ने उनके जन्मदिन को राम नवमी के रूप में मनाना शुरू किया या राम नवमी इससे भी पहले से मनाया जा रहा है यह सठीक कहना मुमकिन नहीं।


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