न्यूज़ रायबरेली:सक्रिय कुष्ट रोगी खोज अभियान में पाए गये 14 कुष्ट रोगी

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जतिन कुमार चतुर्वेदी

जनपद में राष्ट्रीय कृष्ठ उन्मूलन के अंतर्गत दिनांक 30 जनवरी से 28 फ़रवरी तक स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान चलाया गया। जिसके तहत कुष्ठ रोगियों को खोजने के लिए 28 फरवरी तक सक्रिय कुष्ठ रोगी खोज अभियान(एसीएफ) अभियान चलाया गया।
जिला कुष्ठ अधिकारी डा.आर बी यादव ने बताया कि यह अभियान नगर पालिका सहित 18 ब्लॉक मे चला।इस अभियान के दौरान 4.85 लाख की आबादी तक स्वास्थ्य कार्यकर्ता ने घर-घर पहुँचकर 122 संभावित कुष्ठ रोगियों की पहचान की जिसमें 14 कुष्ठ रोगियों की पुष्टि हुई| इन14 कुष्ठ रोगियों में से सात पॉसिबैसिलरी(पीबी) एवं सात मल्टी बैसिलरी(एमबी) के मरीज मिले संख्या गलत है | इसमें सात पुरुष और सात महिलाएं हैं | सभी का इलाज़ उनके घर के समीप स्वास्थ्य केंद्र पर शुरू कर दिया गया है | पॉसिबैसिलरी में बैक्टीरिया की उपस्थिति के बिना त्वचा पर कम चकत्ते होते हैं जबकि मल्टीबैसिलरी में बैक्टीरिया की उपस्थिति में त्वचा पर अधिक चकत्ते होते हैं | इस अभियान में कुल 944 टीम लगी थीं |
जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी डी.एस.अस्थाना ने बताया कि कुष्ठ रोग एक दीर्घकालिक संक्रमण है और यह माइकोबैक्टीरियम लेप्रे के कारण होता है | यह रोग वंशानुगत है इसका कोई साक्ष्य नहीं मिला है | इस बीमारी को फैलने में एकमात्र जिम्मेदार अनुपचारित कुष्ठ प्रभावित व्यक्ति होता है | कुष्ठ रोग का इलाज संभव है | कुष्ठ प्रभावित व्यक्ति के छींकने और खाँसने से यह स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में पहुंचते हैं | शरीर में बैक्टीरिया के प्रवेश के बाद वह तंत्रिकाओं और त्वचा की ओर पलायन कर जाते हैं | अगर शुरुआती चरण में निदान और उपचार नहीं किया जाए तो वह स्थायी विकृति हो सकती है |
यदि कुष्ठ रोग का पता सही समय से चल जाए तो मल्टी ड्रग थेरेपी (एमडीटी) द्वारा इसका इलाज संभव है | सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर एमडीटी उपलब्ध है |


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