वासना को उपासना से और राग को अनुराग से जीता जाकता है – डौ मदन मोहन मिश्र

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बेनीमाधव सिंह ।

परमात्मा को पाने का सरल साधन अनुराग है ज्ञान वैराग्य जब प्रयोग से अहंकार बढ़ने का भय रहता है,किंतु भक्ति में विनम्रता रहती है ।राग द्वेष रूपी खर दूषण के बीच में पड़ी हुई वासना रूपी सूपनखा जब जब लक्ष्मण के पास पहुंचती उसका भी विरूपीकरण हो जाता है।उक्त बाते सकलदीपा पाटन नवाहन परायण महा यज्ञ मे काशी से पधारे हुए मानस के राष्ट्रीय प्रवक्ता डौ मदन मोहन मिश्र ने व्यक्त किया । आप ने आगे कहा कि जब तक दहेज के बल पर सूप नखा महलों में जाती रहेगी और सीता जैसी देवियो को सलफास खाना पड़ेगा तो राम राज नही आ सकता। रावण मनुष्य को भी जानवर बनाता है, जबकि श्री राम पशुता में भी मानवता को स्थापित करते हैं ।गोरखपुर से पधारे राष्ट्रीय कथाकार पंडित हेमंत तिवारी संगीतमय प्रवचन के द्वारा सुंदरकांड की विशद व्याख्या की । उन्होंने बताया कि जामवंत की बात हनुमान को अच्छी लगी इसका तात्पर्य जब बडो की बात छोटे को अच्छी लगने लगे तो रामराज का श्री गणेश होगा । सूरसा लंकिनी और सिहिका तीनो की राजसिक तामसिक सात्विक माया को जब पार किया जाता है तब सीता की प्राप्ति होती है। वर्तमान संदर्भ में ज्वलंत व्याख्या करते हुए आपने कहा कि सूरसा मंगवाई है ,जो बढ़ती जारही है हनुमान छोटा रूप बनाकर अपने को विजई बनाया वैसे ही अपनी आवश्यकताओं को कम करके सम्मान पूर्वक जिया जा सकता है। हनुमान जी ने लंका में राजनीतिक आर्थिक और पारिवारिक तीनों तरह की आग लगाई ।हमारे जीवन में लोगों के बीच में आग लगाकर बाग लगाना चाहिए। जिससे पर्यावरण तो ठीक होगा ही बिचारो का प्रदूषण भी दूर होगा। औरंगाबाद से पधारे बयो वृद्ध व्यास ईश्वर पानडेय ने भागवत महापुराण की विषद व्याख्या की। आज की सभा मे 20सूतरी समिति के पूर्व उपाध्यक्ष तथा धार्मिक चितक मुक्तेश्वर पाण्डेय, महेंद्र पानडेय, कृष्णा सिंह, प्रयाग सिंह, ललन पानडेय, श्याम बिहारी सिंह, गुप्तेश्वर सिंह शामिल हुए। कार्यक्रम का मंच संचालन राम विनय पानडेय ने की।


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