लता मंगेशकर का प्रेम के प्रति समर्पण

Share:

जयति भट्टाचार्य।
लता मंगेशकर ने अपने जीवन काल में जिस शोहरत की बुलंदियों को छुआ उसके लिए उन्हें बहुत बड़ी कीमत भी चुकानी पड़ी। लेकिन कहते हैं कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है। लता मंगेशकर ने बहुत कुछ पाया लेकिन अपने प्यार को खोकर। परंतु अपने प्यार के प्रति भी उनका समर्पण ठीक वैसा ही था जैसा संगीत में देखने को मिलता है।
लता मंगेशकर ने शादी नहीं की आखिर क्यों ? कहा जाता है कि परिवार की देखभाल में वह इतनी व्यस्त थीं कि इस ओर उन्होंने ध्यान ही नहीं दिया। नहीं लता दीदी की जिंदगी में कोई शख्स आया था। जानना चाहेंगे कौन पूर्व बीसीसीआई अध्यक्ष और प्रथम श्रेणी के क्रिकेटर राज सिंह डुंगरपुर। एक बार लता स्टेडियम में क्रिकेट मैच देखने गई थीं। वहां उन्होंने राज सिंह डुंगरपुर को देखा। वह उन्हें पसंद आए। राज सिंह लता के भाई हृदय नाथ मंगेशकर के दोस्त भी थे। राज सिंह भी लता को देखने के बाद अपना दिल हार चुके थे। दोनों बहुत अच्छे दोस्त बन गए और धीरे धीरे उनकी दोस्ती में प्यार ने दस्तक दी। राज सिंह प्यार से लता को मिट्ठू बुलाते थे। दोनों ने विवाह करने का मन बनाया परंतु यहां एक समस्या खड़ी हुई। राज सिंह डुंगरपुर शाही घराने से थे और लता मंगेशकर सामान्य नागरिक थीं। राज सिंह के पिता लता को शाही घराने की बहू बनाने को तैयार न हुए। राज सिंह अपने पिता की बहुत इज्जत करते थे और उनकी इच्छा के विरूद्ध न जा सके।

राज सिंह ने निर्णय लिया कि अगर वह अपने प्रेम को न अपना सके तो जीवन भर विवाह नहीं करेंगे। लता मंगेशकर ने उनके फैसले को मान लिया और स्वंय भी जीवन भर विवाह नहीं किया। लेकिन जब तक राज सिंह जीवित थे दोनों बहुत अच्छे दोस्त बनकर रहे। यानि कि जिस तरह वह संगीत के प्रति समर्पित थीं उसी तरह राज सिंह डुंगरपुर के प्रति समर्पित थीं क्योंकि विवाह तो दूर उनकी जिंदगी में किसी दूसरे शख्स को उन्होंने आने ही नहीं दिया और जिंदगी भर वर्जिन रहीं।


Share: