लोकतंत्र का गला घोंट रही है झारखंड सरकार : संजय सेठ

Share:

डाॅ अजय ओझा।

कपिल मिश्रा को रूपेश के परिजनों से नहीं मिलने देना तानाशाही का प्रतीक।

एयरपोर्ट पर कपिल मिश्रा से मिले सांसद संजय सेठ।

दोनों ने कहा – फिर चलेंगे रूपेश के परिजनों से मिलने।

रांची, 16 फरवरी। झारखंड में सरकारी संरक्षण में लोकतंत्र का गला घोंटा जा रहा है। झारखंड का लोकतंत्र खतरे में है। यह राज्य की बेहद दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। उक्त बातें रांची के सांसद श्री संजय सेठ ने कही।
सांसद श्री संजय सेठ भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और दिल्ली प्रदेश के प्रवक्ता श्री कपिल मिश्रा से मिलने एयरपोर्ट गए थे। वस्तुतः कपिल मिश्रा मॉब लिंचिंग का शिकार हुए रुपेश पांडेय के परिजनों से मिलने हजारीबाग जाने वाले थे परंतु एयरपोर्ट में उतरने के साथ ही प्रशासन ने उन्हें नजर बंद कर दिया। और एयरपोर्ट में ही रोके रखा। इसकी सूचना मिलने पर सांसद श्री सेठ एयरपोर्ट पहुंच और कपिल मिश्रा से मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान कपिल मिश्रा ने राज्य सरकार की व्यवस्था से बेहद नाराजगी जताई और कहा कि हमारे संस्कार में है कि किसी परिवार में विपत्ति आने पर हम उनसे मिलने जाते हैं। यह कैसी सरकार है, जो मुझे मिलने से रोक रही है।

वहीं कपिल मिश्रा से मुलाकात के दौरान सांसद संजय सेठ ने कहा कि कुछ दिन बाद आप फिर से आएं और हम साथ मिलकर रुपेश पांडेय के परिजनों से मिलने चलेंगे। उन्हें हर संभव मदद करेंगे।

कपिल मिश्रा से मुलाकात के बाद सांसद श्री सेठ ने कहा कि अपराधियों को रोकने में विफल रही झारखंड की सरकार अब दु:खी परिवारों से मिलने आने वालों को रोक रही है। यह किसी भी व्यवस्था, विशेष रुप से लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। सांसद श्री सेठ ने कहा कि कपिल मिश्रा को रूपेश पांडेय के परिजनों से मिलने से रोकना, लोकतंत्र पर काला धब्बा है। हम उस दु:खी परिवार से मिलने के लिए जाने वाले थे, उन्हें मदद देनी थी। उनके साथ खड़ा होना था। यह सरकार अपराधियों को रोकने के बजाय हमें रोकने का काम कर रही है परंतु उन्हें याद रखना चाहिए कि यह राजतंत्र नहीं है, लोकतंत्र है। और जनता सब कुछ याद रखती है। रुपेश की मां इंसाफ के लिए परेशान है। उनकी तबीयत बिगड़ रही है परंतु यहां की प्रशासनिक व्यवस्था को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। उस मां का दर्द यह सरकार कभी नहीं समझ सकती। और उस मां के दर्द को बांटने कोई आ रहा है तो सरकार उसे रोक रही है। सरकार को यह याद रखना चाहिए कि लोकतंत्र में जनता मालिक होती है और यदि झारखंड की व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ तो झारखंड की जनता ऐसे लोगों को रास्ता दिखाने का काम करेगी।


Share: