प्रयागराज जिला महिला चिकित्सालय ( डफरिन ) के पार्किंग स्थल पर बाहरी लोगों के वाहनों का कब्जा
२३ अप्रैल,प्रयागराज। यूँ तो प्रयागराज जिला महिला चिकित्सालय में चिकित्सकों के वाहन हेतू पार्किंग की उचित व्यवस्था की गई है। यहाँ पर चिकित्सकों के वाहन को पार्किंग करने हेतु मुख्य गेट से 50 मीटर के अंदर जाते ही टीन डालकर पार्किंग स्थल बनाया गया है, जिसके नीचे यहां के चिकित्सक अपने वाहनों को धूप और बारिश से बचा कर खड़ा कर सकते हैं ।
परंतु यहां के चिकित्सक अपने वाहनों को इस पार्किंग में खड़ा नहीं कर पाते हैं इसके पीछे वजह साफ है जो पार्किंग चिकित्सकों के वाहन हेतू बनाई गई है उस पार्किंग पर जिला महिला चिकित्सालय के बाहर रहने वाले गैर सरकारी लोगों का अतिक्रमण बरकरार है। इस पार्किंग स्थल पर प्रतिदिन जितनी भी गाड़ियां खड़ी होती है वह गाड़ियां जिला महिला चिकित्सालय के बाहर रहने वाले लोगों की होती है ,शायद ही यहां पर पार्किंग में खड़ी हुई चार पहिया वाहनों में से बामुश्किल कोई एक या दो गाड़ी जिला महिला चिकित्सालय के चिकित्सको की होती हो, अन्यथा सारी गाड़ियां बाहरी लोगों की ही रहती है।
चिकित्सालय के प्रांगण में आवासीय कॉलोनी में रहने वाले कर्मचारी आदि बताते हैं कि यहां पर यह गाड़ियां 12 महीनो खड़ी रहती हैं इन गाड़ियों को यहां से हटवाने में यहां के प्रशासनिक अधिकारियों की जरा भी रुचि नहीं है। प्रशासनिक अधिकारी अपनी गाड़ियां प्रशासनिक भवन के सामने खड़े करते हैं अब उनको इससे क्या लेना कि उनके चिकित्सको गाड़ियां कहां खड़ी होती हैं ?
उन चिकित्सकों को अपनी गाड़ियां कहीं बाहर पार्किंग में खड़ी करनी पड़ती है, प्रशासनिक अधिकारियों को अपने चिकित्सकों की सुविधाओं की जरा भी चिंता होती तो चिकित्सकों के लिए बनी पार्किंग स्थल में बाहरी लोगों की गाड़ियां खड़ी नहीं होती, एक दो वाहन तो यहाँ पर ऐसे भी है जो यहां खडे खडे गलने लगे है मानो जैसे उनके मालिकों को उनकी आवश्यकता ही नहीं है उनको कभी निकालते ही नहीं है।
अगर हम यहां पर आने वाले मरीजों की गाड़ियों को पार्क करने की बात करें या फिर यह कहे कि उनके साथ जो तीमारदार आते हैं उनकी गाड़ियां कहां पर पार्किंग होती है ? तो ऐसी कोई व्यवस्था स्थिर रूप से यहां पर आने वाले मरीजों के लिए पार्किंग की बनी ही नहीं है।
यहां पर रहने वाले चौकीदार की मजबूरी होती है कि वह मरीजों की गाड़ियों को सौ बेड वार्ड या इमरजेंसी वार्ड की तरफ ना जाने दे इसलिए वह चौकीदार अपनी ड्यूटी निभाते हुए मजबूरी वश मरीजों की गाड़ियों को कभी इधर कभी उधर कहीं ना कहीं पार्किंग करवाता रहता है।सूत्रों के अनुसार यहां से अक्सर मरीजों की गाड़ियां चोरी होती रहती हैं और फिर मरीज अपनी गाड़ियों को ढूंढते रह जाते हैं, लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों पर इसका कोई असर नहीं होता।
चिकित्सक और मरीज चाहे जहां अपने वाहन खड़े करें लेकिन जो चिकित्सकों के लिए पार्किंग है उस पर बाहरी लोगों का अतिक्रमण बरकरार है और किसी भी सरकारी प्रांगण में बाहरी लोगों का अतिक्रमण होना बगैर प्रशासनिक अधिकारियों के संभव हैं ही नहीं । न जाने क्यों यह प्रशासनिक अधिकारी सुबह आकर अपनी कुर्सी पर बैठने के बाद उठना ही नहीं चाहते हैं ? क्योंकि अगर यह प्रशासनिक अधिकारी कभी अपने कार्यालयों के बाहर निकल कर अपने चिकित्सकों एवं कर्मचारियों की समस्याओं पर ध्यान दें तो शायद इनको एहसास हो कि वास्तव में अधिकारी बनना ही काफी नहीं होता है । अधिकारियों के द्वारा किए जाने वाले कार्यों का निष्ठा और ईमानदारी से निर्वाह करना एक वास्तविक अधिकारी की पहचान होती है। मगर ऐसा लगता है कि प्रयागराज जिला महिला चिकित्सालय में जो प्रशासनिक अधिकारी हैं उनको यहां की मूलभूत समस्याओं से कोई लेना-देना है ही नहीं ।
आखिर कब तक प्रशासनिक अधिकारी अपने दायित्व के निर्वाह से बचते रहेंगे और कब तक इस तरह उनके अधीनस्थ कार्य करने वाले कर्मचारी समस्याओं से दो-चार होते रहेंगे यह एक गंभीर विषय है ।
संवाददाता : अरविंद कुमार