झारखंड के विकास में एचईसी हो सकता है वरदान : राज्यपाल

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डॉ अजय ओझा।

एचईसी में घाटे का कारण मिस मैनेजमेंट।

एचईसी कभी हुआ करता था राष्ट्र गौरव।

रांची, 15 फरवरी राज्यपाल श्री रमेश बैस ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम एक परिवार की तरह होते हैं, जिसमें सबको मिल कर कार्य करना होता है। झारखण्ड राज्य की प्रगति एच.ई.सी. वरदान हो सकते हैं। राज्यपाल महोदय ने आज एच.ई.सी का भ्रमण किया एवं वहाँ एच.ई.सी के अधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में एच.ई.सी के सी.एम.डी श्री नलिन सिंघल, सीएमडी, डॉ राणा एस. चक्रवर्त्ती, निदेशक (विपणन सह उत्पादन), श्री एम.के. सक्सेना निदेशक (कार्मिक), श्रीमती ए.पांडा, निदेशक (वित्त) एवं अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
राज्यपाल महोदय ने कहा कि पी.एस.यू अथवा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम के घाटे के कई प्रमुख कारण मिस मैनेजमेंट है, विभिन्न प्रकार की चुनौतियों का ससमय निदान नहीं कर पाना है। उन्होंने कहा कि एच.ई.सी. को कभी राष्ट्र का गौरव माना कहा जाता था, इसका अस्तित्व बचा रहे, इसके लिए मैं प्रयास करूंगा।
झारखण्ड में खनिज और प्राकृतिक सौंदर्यता है। विकास की दिशा में आगे बढ़ने हेतु जन सहयोग का अपेक्षित सहयोग आवश्यक है। उन्होंने कहा कि कोई परिवार में यदि माता बूढ़ी हो जाती है तो हम सभी उनकी सेवा करते हैं। अधिकारी एवं कर्मचारी मिलकर 6 दशक पुरानी इस संस्थान की सेवा कर इसे बचायेंगे, ऐसी आशा है।
राज्यपाल से विभिन्न श्रमिक संगठनों एवं अधिकारियों के संगठनों ने मिलकर एच.ई.सी के पुर्णोद्धार के लिये अपने स्तर पर कोशिश करने का आग्रह किया। राज्यपाल ने कहा कि इंडस्ट्री में कई यूनियन होते हैं। मैं देख रहा हूं कि यहां सारे यूनियन का एक ही सोच है कि एच.ई.सी कैसे बचे। मैंने पहले सिर्फ इस संस्थान के बारे सुना था आज इसे देखा भी।
इससे पूर्व एच.ई.सी के सबंध में अधिकारियों द्वारा अवगत कराया गया कि यहां की मशीनें 60 वर्ष पुरानी हो चुकी है। प्रतिस्पर्धा के इस युग से बचे रहने के लिये मशीनों का आधुनिकीकरण होना नितांत आवश्यक है। अभी एच.ई.सी के पास 1700 करोड़ का कार्यादेश है। एच.ई.सी ने बोकारो स्टील प्लांट, भिलाई और दुर्गापूर स्थित प्लांट की स्थापना में अपना महत्वूपर्ण योगदान दिया है। इसरो का मोबाईल लॉचिंग पैड भी एच.ई.सी के द्वारा निर्मित किया गया है। अधिकारियों द्वारा कहा गया कि एच.ई.सी के पास अभी उपलब्ध 1000 एकड़ भूमि मे से 300 एकड़ बेचने की अनुमति दे ताकि उस राशि से एच.ई.सी का आधुनिकीकरण किया जा सके। बैंकों द्वारा बैंक गारंटी वापस ले लिया गया जिसके कारण परेशानी है। एच.ई.सी को 7,199 एकड़ जमीन दिया गया था जिसमें 2578 एकड़ प्रयोग किया गया है, लगभग 73 एकड़ जमीन में अतिक्रमण है। आज भी लगभग 10,000 परिवार प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रूप से एच.ई.सी से जुड़े हैं। इतने बड़े संस्थान में स्थाई सी.एम.डी. नहीं होने के कारण निर्णय लेने में विलम्ब होता है। राज्यपाल द्वारा एफएफपी प्लांट में एलपीजी से चलने वाली फर्नेंस का उद्घाटन भी किया गया एवं प्रशासनिक भवन परिसर में वृक्षारोपण भी किया गया।


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