संकट के घडी में एहसान जताते गांव के प्रधान
5 मार्च, कौशांबी: जनपद में जनप्रतिनिधियों द्वारा प्रतिदिन भोजन पैकेट एवं व्यक्तिगत राशन वितरण कि जो पोस्ट डाली जा रही हैं उस हिसाब से कम से कम लगभग 25000 लोग भोजन के लिए प्रतिदिन दूसरों पर आश्रित रहते हैं। वह भी तब जब गैस सिलेंडर मुफ्त है, राशन मुफ्त है, सरकार 1000 रू अतिरिक्त दे रही है सरकारी सुविधाओं का अंबार लगा हुआ है।
क्या भोजन एवं राशन वितरण एक मात्र दिखावा है और अगर वास्तव में लोगों को इसकी आवश्यकता है तो 5 साल बीतने को है प्रधानों ने एवं अन्य जनप्रतिनिधियों ने किया क्या है ?
अगर प्रधानों ने ध्यान देकर अपने-अपने गांव के गरीब असहाय लोगों को राशन कार्ड, उज्जवला गैस कनेक्सन ,जॉब कार्ड एवं अन्य मूलभूत सरकारी सुविधाएं उपलब्ध कराई होती तो गरीब असहाय के नाम से संबोधित करने की नौबत ना आती क्योंकि इस समय भोजन एवं राशन की जो भी वस्तुएं सरकार की तरफ से उपलब्ध कराई जा रही हैं वह सब मुफ्त हैं।
और जब आप उनके लिए पद पर रहते हुए कुछ नहीं कर पाए हैं, तो अब इस समय संकट की परिस्थिति में भोजन एवं राशन वितरण की फोटो डाल-डाल कर अपने ग्रामवासियों को शर्मिंदा कर रहे हैं।
जो उनका अधिकार है वह दिलवाइए, फोटो डालकर एहसान ना लादिए आप जो कर रहे इसी के लिए जनता द्वारा चुने गए हैं, जो करना था वह तो कर नहीं पाय, दो जून की रोटी खिलाकर भगवान बने अलग घूम रहे हैं।
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