महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त करना राज्य सरकार की प्राथमिकता- श्री आलमगीर आलम
डॉ अजय ओझा।
सरकार महिलाओं के स्वास्थ्य, शिक्षा, समानता, स्वरोजगार एवं आत्मनिर्भरता का समान अवसर प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध।
मंत्री श्री आलमगीर आलम ने महिला मेट एवं लाभुकों को किया सम्मानित ।
रांची, 12 मार्च । महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त करना राज्य सरकार की प्राथमिकता है। सरकार महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में काम कर रही है। इसी का नतीजा है कि हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है। वह चाहे महिला जनप्रतिनिधि, एसएचजी, महिला श्रमिक अथवा महिला मेट हों। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार महिलाओं के स्वास्थ्य, शिक्षा, समानता, स्वरोजगार एवं आत्मनिर्भरता का समान अवसर प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसी के तहत ग्रामीण विकास विभाग एवं मनरेगा अंतर्गत कई महत्वाकांक्षी योजनाओं का संचालन किया जा रहा है।उक्त बातें ग्रामीण विकास मंत्री श्री आलमगीर आलम ने प्रोजेक्ट भवन में अतंरराष्ट्रीय महिला दिवस सप्ताह के अवसर पर महिला मेट एवं लाभार्थियों के सम्मान में आयोजित कार्यक्रम में कहीं।
समाज, देश एवं राज्य के विकास में महिलाओं की भागीदारी जरूरी।
मंत्री श्री आलमगीर आलम ने कहा कि महिला सशक्तिकरण के लिए जरूरी है कि महिलाओं की भागीदारी हर क्षेत्र में बढ़ाई जाए। किसी भी समाज, देश एवं राज्य के विकास में महिलाओं की भागीदारी जरूरी है और ग्रामीण विकास विभाग महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिये कई कार्यक्रम चला रहा है, जिससे उनका आर्थिक एवं सामाजिक उत्थान हो सके। विभाग की ओर से लगातार कई ऐसे कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं जिससे उन्हें स्वरोजगार से जोड़ा जा सके ताकि उनके जीवन में खुशहाली आये साथ ही वे स्वावलंबी बनें। महिलायें आर्थिक रूप से सुदृढ़ बने यह सरकार की सोच है। उन्होंने कहा कि समाज में नारी शक्ति के उत्थान के बिना किसी भी प्रकार के विकास की कल्पना नहीं की जा सकती। एक महिला के विकास का मतलब एक पूरे परिवार का विकास है और इसलिए समाज के हर वर्ग को महिला उत्थान की दिशा में अपना सक्रिय एवं सार्थक योगदान देना चाहिए।
पूरे राज्य में 50 लाख से अधिक परिवारों को दिये गये जॉब कार्ड में से 21 लाख से अधिक महिलाएं निबंधित।
मनरेगा आयुक्त श्रीमती राजेश्वरी बी ने कहा कि महिला मेट एवं लाभार्थियों को सम्मानित किया जा रहा है, यह विभाग के लिये हर्ष की बात है। उन्होंने कहा कि पूरे राज्य में 50 लाख से अधिक परिवारों को जाब कार्ड दिया गया है, उसमें से 21 लाख से अधिक महिलाएं निबंधित है। हमने पूरे राज्य में 4.8 करोड़ मानव दिवस सृजन किया है। महिलाओं की भागीदारी को और अधिक बढ़ाने की दिशा में भी काम किया जा रहा है। राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी दीदी बाड़ी योजना, बिरसा हरित ग्राम योजना से जुड़ कर महिलाएं स्वावलंबी बन रही हैं। सरकार की सोच है कि महिलाओं की आजीविका के साधन को बढ़ाया जाये। मनरेगा के अंतर्गत चलने वाली कई योजनाओं से महिलाओं को रोजगार और स्वावलंबन का मार्ग प्रशस्त हुआ है। महिलाएं दीदी बाड़ी योजनाओं में कार्य कर कूप निर्माण एवं अन्य योजना से लाभान्वित होकर अपने परिवार का सहारा बन रही हैं। इससे उनमें एक नया आत्मविश्वास उभर रहा है। उन्हें आर्थिक रूप से स्वावलंबी होने में मदद मिल रही है । उन्होंने कहा कि महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कार्य कर सकती हैं और अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को संवार सकती हैं। ग्राम स्तर पर ऐसी हजारों महिलाओं ने आज अपने भविष्य को संवारने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है। यह महिला सशक्तिकरण का एक अनुपम उदाहरण है।
महिला सशक्तिकरण की दिशा में जेएसएलपीएस का महत्वपूर्ण योगदान ।
झारखण्ड लाइवलीहुड प्रोमोशन सोसाईटी के सीईओ श्री सूरज कुमार ने कहा कि पूरे राज्य में सखी मंडल का गठन किया जा रहा है। इन सखी मंडल के माध्यम से कई कार्य किये जा रहे हैं,जिनसे महिलाएं आत्मनिर्भर एवं स्वावलंबी बन रही हैं। महिला सशक्तिकरण की दिशा में जेएसएलपीएस महत्वपूर्ण योगदान निभा कर महिलाओं की आर्थिक एवं सामाजिक विकास में सहायक साबित हो रहा है। उन्होंने कहा कि जेएसएलपीएस के तहत पलाश ब्रांड को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके तहत महिलाएं स्वावलंबी बन रही हैं । आने वाले दिनों में पलाश ब्रांड एक बेहतरीन ब्रांड के तौर पर उभर कर सामने आयेगा।
महिला मेट एवं लाभार्थियों ने अपने अनुभव एवं विचार को किया साझा ।
कार्यक्रम में महिला मेट एवं लाभार्थियों ने भी अपने अनुभव एवं विचार साझा किए। गुमला जिला के बसिया प्रखण्ड की लाभार्थी विश्वासी कुजूर ने अपने अनुभव को साझा करते हुये कहा कि सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं का लाभ लेकर आज वह स्वावलंबी बन रही हैं। मनरेगा के तहत दीदी बगिया योजना का लाभ लेकर आज पशुपालन से जुड़ी हुई हैं। मुर्गी पालन,बत्तख पालन कर आत्मनिर्भर बन रही हैं। वे कहती हैं कि अब वह आसानी से अपनी आजीविका चला रही हैं।
खूंटी, तोरपा की महिला मेट एतवारी देवी कहती हैं कि मनरेगा से जुड़ने के पहले परिवार की आर्थिक स्थिती दयनीय थी। परिवार की जरुरते पूरी नहीं हो पाती थीं। मनरेगा मेट के रूप में जुड़ने के बाद उनकी आय में भी वृद्धि होने लगी। मनरेगा के तहत आम बागवानी एवं अंतर कृषि कर उनकी आय में बढ़ोत्तरी होने लगी। वे कहतीं है कि मनरेगा ने उनके जीवन को बदल डाला। अब उनकी जीवनशैली में काफी सुधार होने लगा है। अब वह अपनी आय से परिवार की सही तरीके से देख-भाल कर सकती हैं। इसी तरह कई अन्य महिला मेट एवं लाभार्थियों ने भी अपने अनुभव एवं विचार रखे।
कार्यक्रम में महिला मेट एवं महिला लाभार्थियों का उत्सव से संबंधित पुस्तक का विमोचन भी किया गया ।
इस अवसर पर कई महिला मेट एवं लाभुको को मंत्री श्री आलमगीर आलम ने सम्मानित किया, जिसमें बेड़ों प्रखण्ड की रुकसाना खातुन, सोनाहातू की माहेश्वरी देवी, तोरपा की एतवारी देवी, रनिया की ममता देवी, घाघरा, गुमला की सीता देवी, कैरो की संगीता देवी, किस्को की रशिदा खातुन, पतरातु की रेखा देवी एवं माण्डू की रूपा देवी शामिल थीं। लाभार्थियों में पूनम देवी, निर्मला देवी, पुष्पा देवी, विश्वासी कुजूर,रिंकी देवी, सुमनती तिग्गा आदि थीं।
कार्यक्रम में जलछाजन के सीईओ श्री विनयकान्त मिश्रा , ग्रामीण विकास विभाग के उप सचिव श्री रंजीत रंजन प्रसाद, अवर सचिव श्री चन्द्रभूषण, कई पदाधिकारीगण विभिन्न जिलों से आई महिला मेट एवं लाभार्थी उपस्थित थे।