जब किसान बचेंगे तभी देश बचेगा : के एन त्रिपाठी
डॉ अजय ओझा।
पलामू प्रमंडल समेत झारखंड के 18 जिले सुखाड़ग्रस्त।
प्रेस कॉंफ्रेंस आयोजित कर केंद्र और राज्य सरकार से किया राहत कार्य चलाने की मांग।
मेदिनीनगर, 18 अगस्त । शहर के परिसदन भवन में पूर्व मंत्री के.एन त्रिपाठी ने झारखण्ड में सुखाड़ की स्थिति के मद्देनजर प्रेस कॉंफ्रेंस का आयोजन किया।
पूर्व मंत्री ने बताया कि सुखाड़ के लिए जो नियम है , 33 प्रतिशत से कम वर्षा होती है तो सुखाड़ क्षेत्र घोषित होता है। उन्होंने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि पलामू प्रमंडल सहित झारखण्ड के कई ज़िलों में बारिश नहीं होने की वजह से अकाल और सुखाड़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है। उन्होंने झारखंड के ग्रामीण इलाकों का सघन दौरा कर देखा कि खेतों में पानी नहीं है। कई जगह तो धान की रोपनी ही नहीं हो पाई है। जब धान का बीज बूढ़ा हो गया तब जाकर थोड़ा-बहुत बारिश हुआ है। मकई, दलहन , जौ समेत कई फसल पूरी तरह खेतों में ही सुख गया है।
श्री त्रिपाठी ने कहा कि जब हम मंत्री थे तो हमारे रिपोर्ट के आधार पर कई जिलों को सुखाड़ क्षेत्र घोषित किया गया था। लेकिन दो महीनों से सुखाड़ होने के वावजूद भी 18 जिलों को सुखाड़ क्षेत्र घोषित नही किया गया है। अतः केंद्र सरकार और राज्य सरकार जल्द से जल्द इन जिलों को सुखाड़ क्षेत्र घोषित करे तथा पानी और पम्प की तत्काल व्यस्था करे ताकि सुख रही फसलों को बचाया जा सके। उन्होंने कहा कि उनके बार – बार ध्यान आकृष्ट कराने के बावजूद दो महीनों से केंद्र सरकार के कान में जूं तक नही रेंग रही है। यह बेहद चिंतनीय विषय है। केंद्र सरकार सुखाड़ राहत कोष की अतिशीघ्र व्यवस्था करे और जो भी फसलें बर्बाद हो रही है उसे बचाने का भरसक प्रयास करे! उन्होंने राज्य सरकार से भी तत्काल संज्ञान लेकर किसानों के हित में निर्णय लेने की अपील करते हुए कहा कि जब किसान बचेंगे तभी देश बचेगा।