प्रख्यात साहित्यकार डॉ० रामसेवक ‘विकल’ की मनाई गई पुण्यतिथि

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डॉ अजय ओझा।

बलिया, 13 नवंबर । जनपद के प्रख्यात साहित्यकार हिंदी, उर्दू, बांग्ला, उड़िया जैसी तमाम भाषाओं के विद्वान डॉ० रामसेवक ‘विकल’ की पुण्यतिथि के अवसर पर इसारी सलेमपुर, बलिया में “पुण्य स्मरण कार्यक्रम तथा कवि गोष्ठी” का आयोजन किया गया। जिसमें पूरे जनपद से अनेक कवि विद्वान एवं गणमान्य लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कवि श्री राजेंद्र विद्रोही जी ने की तथा मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार डॉ०भोला प्रसाद आग्नेय जी रहे। उपस्थित कवियों में रमाशंकर ‘मनहर’ , डॉ० जितेंद्र ‘ स्वाध्यायी’ रामप्रसाद ‘ सरगम’, नंद जी ‘नंदा’, गया शंकर ‘प्रेमी’ ,जितेंद्र ‘त्यागी’, संतोष कुमार ‘शशि’,आदित्य कुमार ‘अंशु’, विनय यादव ‘ विप्लव’, सत्यम राय ‘आनंद’, अशहर खुर्शीद , आनंद कुमार, शेषनाथ विद्यार्थी, प्रज्ञा शर्मा आदि रहे । मंच का संचालन आनंद कुमार ने किया। विभिन्न वक्ताओं ने अपने विचार रखे जिनमें दिग्विजय सिंह टनमन, शैलेंद्र श्रीवास्तव, अशोक यादव, राजेश यादव आदि शामिल रहे। कवि गोष्ठी के कार्यक्रम में कवियों ने समा बांध दिया । नंद जी नंदा ने सुनाया की-

पूज्य पिता वटवृक्ष जानेला जहान जेके
शीतल छाया में संतान सुख पावे ले

संतोष शशि ने गीत सुनाया कि –
रुईया के फाहा जईसन रिश्तन के डोरी रे
निर्मोही जइसे मितवा जन दीह तोड़ी रे

रमाशंकर वर्मा ‘मनहर जी ने निर्गुण सुनाया –

पेट नाही भरता त मांगि ल डिठारे
बाकिर ठोकी के सुता के जान मार जनि मितऊ

कार्यक्रम के अध्यक्ष राजेन्द्र ‘विद्रोही’ जी ने एक बहुत ही बेहतरीन रचना सुनाते हुए कहा कि-

कोई हो चुका है मेरा, मेरी कल्पना से पहले
मेरा देवता मगन है मेरी अर्चना से पहले

कार्यक्रम का संचालन कर रहे वरिष्ठ कवि भोला प्रसाद आग्नेय जी सुनाया कि –

तू लायक हो के का करब
नालायक हो के का करब
जब तोहरा से गारा ईंट पचहीं के नइखे
त विधायक हो के का करब

युवा रचनाकार विनय यादव विप्लव ने गुरु की महिमा में गीत सुनाया-

तोहरी कृपा से हे गुरूवर
विनय से विप्लव हम भइनी

डॉ० जितेन्द्र स्वाध्यायी ने एक सामाजिक कविता सुनाकर वाहवाही लूटी –

जो जख्म किसी का भर न सका दुखियों के दुख को हर न सका
उसका जीना भी क्या जीना है
जो काम किसी के आ न सका

प्रज्ञा शर्मा ने कविता तिवारी की कविता सुनाते हुए सुनाया –

हर कोना भरा वीरता से इस भारत की अंगनाई का बलिदान रहेगा सदा अमर मर्दानी लक्ष्मीबाई का

युवा रचनाकार सत्यम राय आनंद की गजल पर दर्शक मंत्रमुग्ध हो गये-

बाहर है आवाज का लश्कर, अंदर फैला सन्नाटा
एक तुम्हारे जाने से, हर जानिब पसरा सन्नाटा

कवि जितेन्द्र ‘त्यागी’ ने ‘माँ’ पर आधारित कविता सुनाते हुए श्रोताओं की प्रशंसा पायी-

अगर होती है इच्छा तीर्थ की बस्ती घूम लेते हैं
पाकर प्रेम परिजनों का मस्ती में झूम लेते हैं
कोई करता है बात पूजा पाठ मुक्ति की
तो मोहब्बत से माँ के कदम को चूम लेते हैं

श्रीराम प्रसाद ‘सरगम’ ने ‘गीत’ विधा में बेहतरीन सुरों का प्रदर्शन करते हुए एक गीत सुनाया-

अब तो तुम ही बता ‘दो किधर जाऊँ मैं
कोई ऐसा मंत्र दे दो सुधर जाऊँ मैं

शेषनाथ ‘विद्यार्थी” ने डॉ० विकल जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए सुनाया कि-
सपना हो गइली सुरतिया,मूरतिया तोहरी
बिलखत बा गाँव घर दुअरिया, मूरतिया तोहरी

डॉ०गयाशंकर ‘प्रेमी’ ने छंद सुनाया कि-

रोपि के गइले जवन फुलवारी मह- मह महकत आज चमन बा
आगे से गइलीं त पीछे बढ़ावत भरल पूरल परिवार जेवन बा

सभी कवियों डॉ० रामसेवक विकल साहित्य सेवा ट्रस्ट की ओर से “राष्ट्रीय कीर्ति विदश्री” सम्मान से सम्मानित किया गया एवं प्रमाण पत्र , अंगवस्त्रम प्रदान किया गया। कार्यक्रम में उपस्थित सैकड़ों श्रोतागणों को “प्रार्थना सफलता रहस्य” पुस्तक निःशुल्क वितरित किया गया।

अंत में डॉ० आदित्य कुमार ‘अंशु’ ने सभी आये हुए कवियों तथा श्रोताओं का आभार व्यक्त किया। अन्य उपस्थित लोगों में संतोष गुप्ता, आशुतोष तिवारी, डॉ० सियाराम यादव, शिवरंजन सिंह इत्यादि रहे।

कार्यक्रम का आयोजन डॉ० रामसेवक विकल साहित्य सेवा ट्रस्ट’ एवं साहित्य समीक्षा के संयुक्त तत्वावधान में किया गया।


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