बिहार के मधुबनी हत्याकांड की सच्चाई व नितीश का मौन

Share:

वीरेंद्र सिंह

सुशासन बाबू के नाम राजनीति करने वाले नीतिश कुमार जी आप को सांप सूंघ गया क्या? क्या किसी कुर्मी ,दलित, यादव मुसलमान की इस तरह 6 हत्याएं हुई होती तो आप इसी तरह मौन रहते? अरे नीतीश कुमार जी यह मत भूलों कि इस देश को अखंड भारत बनाने के लिए राजपूतों ने अपने बाहुबल और पौरुष से बनाए 546 देशी रियासतों को भारत में बिना शर्त विलय किया था।यह मत भूलो को विनोबा भावे के आह्वान पर 45लाख एकड़ जमीन राजपूतों ने देश के लिए दान दिया था। यह मत भूलो कि 18000 किलो को बिना किसी हिचकिचाहट से देश के लिए दान कर दिया। यह मत भूलों नीतीश कुमार जी की देश की रक्षा के लिए भारतीय आर्मी में 10 बटालियन मात्र राजपूतों के लिए बनी हुई है।यह मत भूलो कि सीलिंग एक्ट और चकबंदी व्यवस्था से हजारों एकड़ जमीन राजपूत देश के लिए दिया है। यह मत भूलों कि मृतको मे राणा प्रताप सिंह 20 वर्षों से राजस्थान के जैसलमेर के बार्डर पर बार्डर सिक्योरिटी फोर्स मे तैनात होकर देश की रक्षा का व्रत लिया था। मैन स्ट्रीम की भाड़ और दलाल मीडिया तुमको उत्तर प्रदेश के हाथरस दलित फर्जीवाड़ा कांड याद था और मीडिया का विधवा विलाप पूरा देश देखकर हतप्रद था परन्तु तुम्हें मधुबनी में 6 क्षत्रिय समाज की हत्या की चीख नही सुनाई दी। घटना के मुख्य सूत्रधार यहां से प्रारंभ होता है कि मृतक निकुम्भ क्षत्रिय परिवार का एक पोखरा था जिसमे एक दलित समाज का परिवार मछली जबरदस्ती मारा करता था जिसके विरोध मे राजपूत परिवार के संजय सिंह से व दलित परिवार स कहा सुनी हो गई थी।पहले से खुन्नस खाये प्रवीनरंजन झां ने दलित परिवार की तरफ से थाने में 50 हजार रू देकर दलित महेंद्र कुमार की तरफ से स्थानीय थानाध्यक्ष हरेंद्र सिंह से मिलकर क्षत्रिय परिवार के संजय सिंह पर हरिजन एक्ट का मुकदमा दर्ज कराया गया । 29मार्च होली के दिन प्रवीनरंजन झां और उसके 30या35 लोग एक जूट होकर क्षत्रिय परिवार पर हमला कर दियें और ताबड़तोड़ गोलियां चलाने लगे। मात्र 5 मिनट में सभी लोग मर गये। बी एस एफ मे कार्यरत राणा प्रताप सिंह जो होली की छुट्टी में घर आया था कि गोली मारने के बाद धारदार हथियार से पेट चीर कर हत्या कर दिये थे। कल अगर नरसंहार में मारे गए मृतको के ये बच्चे प्रतिशोध की भावना मे हथियार उठा ले तो यही समाज इन्हें अपराधी बोलेगा लेकिन इस अकल्पनीय अन्याय के खिलाफ न्याय के लिए आवाज नही उठाएगा ?

राजपुतों के आक्रोश का शिकार होकर पुरी दुनिया के सामने अपनी विवशता का मुह फैला कर रोना रोने वाले और विधवा विलाप करने वाले तमाम पाखंडियों थोड़ा गौर से देखो इन मासूम चेहरों को जिन्हें विद्वेष की भावना से अनाथ बना दिया गया है ?

मधुबनी नरसंहार पर चुप्पी साधने वाले सभी लोगों से विनम्रतापूर्वक निवेदन करता हूं आप सभी इस चुप्पी को तोड़कर मानव धर्म का सम्मान करते हुए जाति धर्म के बंधनों को तोड़कर इस घटना को अंजाम देने वाले सभी असमाजिक तत्वों को उचित दण्ड दिलवाने के लिए अपने अपने स्तर से अपनी मांग रखें।

बिहार का सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह है कि यहां पर पीड़ित परिवार वालों का मदद जाति और वोट की राजनीति देखकर किया जाता है वरना इतना बड़ा घटना हो जाने के बावजूद भी पक्ष और विपक्ष के कोई बड़ा नेता का बयान नहीं आया और किसी बड़े न्यूज़ चैनल के द्वारा इस घटना को नहीं दिखाया गया। अगर यही घटना उत्तर प्रदेश या दूसरे राज्य में घटी होती तो नेशनल न्यूज़ चैनल पर टीआरपी वाला खबर होता।

समाज में समरसता और सौहार्द बनाए रखने का ठेका सिर्फ और सिर्फ राजपूत समाज की जिम्मेवारी नहीं है।।


वीरेंद्र सिंह अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा पूर्वी उत्तर प्रदेश महामंत्री हैं


Share: