महामारी में पान-मसाला दुकानदारों ने राष्ट्र धर्म निभाने को कमाई का मोह छोड़ा

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सरकार के धूम्रपान बंदी का किया स्वागत, लोगों की फिजूलखर्ची भी थमी 
अवनीश अवस्थी

कानपुर, 06 अप्रैल (हि.स.)। लॉकडाउन के चलते लोगों की दिनचर्या में खासा बदलाव आया है। पान, मसाला और सिगरेट की बिक्री बन्द होने से लोगों का फिजूल खर्च भी बन्द हो गया है। सबसे बड़ी बात है इसके चलते जनपद की सड़कों पर इस चीजों से फैलने वाला कचरा में भी कमी आई है। इस आपदा में जहां लोगों की फिजूलखर्ची से लोग बच ही रहे है साथ ही दुकानदारों ने भी महामारी में कमाई का मोह छूड़ राष्ट्र धर्म का पालन करने का संकल्प लिया है और सरकार के धूम्रपान पर बंद रखने वाले निर्णय का स्वागत किया है। 

कोरोना वायरस से बचाव के लिए देश मे इस वक्त 21 दिन का लॉक डाउन चल रहा है। इस लॉक डाउन के दौरान रोजमर्रा में उपयोग होने वाली खाद्य प्रदार्थो की सामग्री जैसे दूध, सब्जी, फल ही सीमित समय के लिए उपलब्ध है। वहीं जरनल स्टोर को भी कुछ समय के लिए खोला जाता है। मंगलवार से यह दुकानें भी पूर्ण रूप से बन्द हो जाएंगी और जनता को पूर्ण लॉक डाउन को अपनाना होगा। इस लॉक डाउन के काल मे सभी तरह के नशीले पदार्थों की बिक्री को पूरी तरह बंद कर दिया गया है। 

सबसे बड़ी बात यह है कि लोग आज इन नशीले पदार्थों को अपनी लाइफ स्टाइल में शामिल कर चुके हैं। आज के युवाओं में लगभग 70 प्रतिशत से ज्यादा लोग सिगरेट का उपयोग करते हैं। उनका मानना है कि इससे उनकी सामने वालो पर एक रौब बनता है और उनकी वाहवाही होती है। यही कारण है कि हर युवा इसकी चपेट में आ चुका है। लॉकडाउन के बाद जब से इन सभी मादक पदार्थों पर रोकथाम लगी है और लोग अपने घरों में कैद हुए हैं इसकी बिक्री का प्रतिशत बहुत कम हो गया है। कुछ अपवादों के चलते अभी भी यह काम हो रहा है और लोग मादक पदार्थ खरीद रहे हैं। 

छात्रों का फिजूल खर्च हुआ कम: कानपुर महानगर 60 से अधिक जनसंख्या वाला शहर है। काकादेव कोचिंग मंडी और कुछ बड़े डिग्री कॉलेज होने के चलते यहां दूसरे जिले और प्रदेश से स्टूडेंट आकर पढ़ाई करते हैं। यही कारण है कि यहां छात्र-छात्राओं का अच्छा खासा जमावड़ा रहता है। यही कारण है कि यहां हर गली मोहल्ले में पान मसाले की दुकानें लगती हैं और अच्छा खासा बिजनेस होता है। यहां काकादेव में पढ़ाई करने वाले छात्रों की बात करें या किसी अन्य डिग्री कॉलेज की बात करें सभी के सामने लगी पान की दुकानों पर सभी प्रकार के नशीले सामान की बिक्री होती है। आज लॉक डाउन के चलते सभी छात्र अपने घरों के लिए निकल गए हैं और यह दुकानें भी सब बन्द हैं।

कॉरपोरेट जगत के लोगों की भी लत हुई खत्म: नशीले पदार्थों का सेवन कॉरपोरेट जगत में देखा गया है कि ज्यादातर सभी बिजनेसमैन नशे का उपयोग अपने शौक को पूरा करने के लिए करते हैं। अक्सर पार्टी में वह सभी इसका उपयोग करते हैं। और सबसे बड़ी बात है पान मसाले की दुकान में सबसे महंगा मसाला और सिगरेट यही बिजनसमैन ही खरीदते हैं। इस वक़्त सभी दुकानें बंद होने के बाद आज उनके फिजूल खर्च भी बन्द हो गया है। 

सड़कों पर नही फैल रहा कचरा: पान मसाला खाकर सड़कों पर थूकना यह कानपुर की पुरानी कहानी है। यहां लोग मसाला और पान की पीक हर उस जगह थूक देते हैं जहां उन्हें नहीं थूकना चाहिए। यही कारण है कि कानपुर की सड़कें अक्सर इस पीक से लाल दिखाई देती रही हैं। जब से लॉक डाउन हुआ है और लोग घरों में कैद हुए हैं तब से सड़कों और लाल रंग के धब्बे खत्म हो गए हैं। इसी के साथ इन मसलों के पैकेज से फैलने वाला कचरा भी अब शहर में लगभग खत्म हो गया है।

कमाई नहीं प्रधानमंत्री और राष्ट्र के साथ हैं हम: आज लॉक डाउन से पान मसाला कम्पनी और दुकान दारों को खासा नुक्सान सहना पड़ रहा है। हाजरों रुपये की आमदनी करने वाले छोटे पान मसाला की दुकान लगाने वाले स्वरूप नगर के जाह्नवी पान शाप के मालिक ने बताया कि प्रतिदिन वो इससे अच्छी कमाई करते हैं पर आज दुकान बंद है और काफी नुकसान हो रहा है। उनका मानना है कि देश आज जिस लड़ाई से लड़ रहा है वो इसमे देश के साथ हैं मुनाफा नहीं देखना है उनको राष्ट्र देखना है। वहीं कल्यानपुर के चौरसिया पान शॉप के सुरेश ने बताया कि उनकी दुकान से प्रतिदिन हाजरों रुपये के मसाले और सिगरेट की बिक्री होती थी जिसमे उनकी कमाई भी ठीक थी। आज बंदी के चलते वो घर मे खाली बैठे हैं पर लॉक डाउन को तोड़ नही रहे हैं और उसका पालन कर रहे हैं। उन्होंने बताया जब से प्रधानमंत्री ने इस लड़ाई से लड़ने के लिए जनता का आवाहन किया है वो लगातार इस लड़ाई में उनके साथ हैं। 


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