राज्य के विभिन्न पलाश मार्ट में उपलब्ध है सखी मण्डल द्वारा निर्मित आकर्षक व किफायती राखी
डॉ अजय ओझा।
• भाई-बहन के त्योहार रक्षाबंधन के शुभ अवसर पर ग्रामीण माहिलाएं कर रहीं राखी का निर्माण।
• जैविक सामग्री से निर्मित राखी बनी आकर्षण का केंद्र।
• सखी मण्डल द्वारा निर्मित तिरंगा राखी की काफी डिमांड ।
• पलाश ब्राण्ड से जुड़कर ग्रामीण महिलाएं बन रही हैं आत्मनिर्भर।
रांची, 6 अगस्त । रक्षाबंधन के त्योहार पर झारखंड के सखी मंडल की महिलाएं राखी निर्माण कर रही हैं। रेशम के धागे से बनी राखी इस बार आकर्षण का केंद्र है । झारखण्ड स्टेट लाईवलीहुड प्रमोशन सोसाईटी (जेएसएलपीएस ), ग्रामीण विकास विभाग के द्वारा इन ग्रामीण महिलाओं को राखी बनाने का प्रशिक्षण दिया गया है। साथ ही इनके द्वारा निर्मित राखी की ब्रांडिंग और मार्केटिंग पलाश ब्रांड के तहत की जी रही है।
राज्य के 8 जिलों में रांची, हजारीबाग, दुमका, गिरिडीह, रामगढ, बोकारो, धनबाद और लोहरदगा के लगभग 75 स्वयं सहायता समूहों की 550 से अधिक माहिलाएं राखी निर्माण व बिक्री कार्य से सीधे तौर पर जुड़कर अपनी उद्यमिता के अवसरों को बढ़ा रही हैं l अब तक सखी मंडल की प्रशिक्षित दीदियों द्वारा 25,000 से अधिक आकर्षक राखियों का निर्माण किया जा चुका है एवं सम्बंधित जिलों के पलाश मार्ट एवं पलाश प्रदर्शनी सह बिक्री काउंटर के माध्यम से जिला व प्रखण्ड स्तर पर बिक्री भी की जा रही है। राखी निर्माण की इस पहल से दीदियों की अतिरिक्त आमदनी भी हो रही है ।
सखी मंडल की महिलाओं द्वारा राखी बनाने में जैविक सामग्री का इस्तेमाल हो रहा है।
राज्य की सखी मंडल के उत्पादों को पलाश के जरिए एक नई पहचान मिली है और आमदनी में भी बढ़ोतरी हुई है। हाथ से बनी राखियाँ लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बन रही हैं। इन महिलाओं को विशेष प्रशिक्षण के तहत जैविक सामग्री का उपयोग करते हुए 20-25 प्रकार की राखी बनाने की कला सिखाई गई है। अब अपनी कला का प्रदर्शन करते हुए माहिलाएं जैविक सामग्री जैसे – धान, चावल, मौली धागा, सूती धागा, रेशम धागा, मोती, बुरादा, हल्दी, आलता आदि का उपयोग कर विभिन्न डिजाइन की राखियाँ तैयार कर रही हैं।
हजारीबाग सखी मंडल द्वारा विशेष रूप से कपडे की राखी तैयार की गई है, जो काफी लुभावनी एवं आकर्षक हैl उसमें स्माइली राखी, इमोजी राखी, भैया-भाभी राखी, रुद्राक्ष राखी, चाकलेट राखी आदि प्रमुख हैं l हस्तनिर्मित राखियों की कीमत 10रु से 280 रु तक के रेंज में उपलब्ध है ।
हजारीबाग जिले के इचाक प्रखण्ड की कुटुमसुकरी गाँव की राधा सखी मंडल की ललिता देवी कहती हैं, “राखियाँ बनाने में उन्हें 16-17 रुपये की लागत लगी है और 20-25 रुपये में राखी बिक्री कर अच्छी आमदनी कर लेंगी । आगे यह राखियाँ बड़े पैमाने पर बनाकर बेचना चाहती हूँ, जिससे और अधिक आमदनी हो सके ।”
बोकारो जिला के चास प्रखण्ड के बांसगोड़ा पूर्वी आजीविका महिला संकुल संगठन की 15 महिलाएं राखी बनाने का काम कर रही हैं । इन 15 सखी मंडल की दीदियों द्वारा अब तक 8000 राखियाँ बनाई गई है, जिन्हें पलाश मार्ट के द्वारा बिक्री की जा रही है । हेसबातु की रहने वाली मेहनाज़ बेगम कहती हैं कि उनके ग्राम संगठन द्वारा अभी तक 8000 राखी बनायी गयी है, जिससे उन्हे लगभग 25 – 30 हज़ार रुपये तक की मुनाफे की उम्मीद है ।
रांची के पलाश मार्ट में उपलब्ध है पलाश राखी
हेहल स्थित जेएसएलपीएस राज्य कार्यालय स्थित पलाश मार्ट में सखी मंडल की बहनों द्वारा निर्मित फैंसी राखियां बिक्री के लिए उपलब्ध है। वाजिब कीमत पर फैन्सी एवं आकर्षक राखियों की खरीदारी आप यहां से कर सकते हैं। आपकी हर खरीदारी से राज्य की ग्रामीण महिलाओं के हौसलों को पंख मिलेगी साथ ही उनकी आमदनी में इजाफा होगा। भाई बहनों के इस पर्व में आइए ग्रामीण बहनों द्वारा निर्मित राखी की खरीददारी कर उनको तोहफा दें ।
झारखण्ड स्टेट लाईवलीहुड प्रमोशन सोसाईटी, ग्रामीण विकास विभाग अंतर्गत सखी मंडलों के उत्पादों को “पलाश ब्रांड” ट्रेड मार्क के जरिए माननीय मुख्यमंत्री द्वारा सितंबर 2020 में लॉंन्च किया गया था। वर्तमान में पलाश ब्रांड के अंतर्गत 29 चिह्नित कृषि एवं गैर कृषि आधारित उत्पादों को गुणवता के तय मानकों के आधार पर बाज़ार में आम जन के लिए उचित मूल्य पर उपलब्ध कराया गया है ।