आखिर बीस करोड़ भोजपुरिया मौन क्यों हैं ?

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डॉ अजय ओझा।
डॉ अजय ओझा।

चेयरमैन – भोजपुरी फाउंडेशन।

क्षेत्रीय भाषाओं को लेकर देश में बहुत महत्वपूर्ण खबर है लेकिन लगता है देश-विदेश में अपनी योग्यता का डंका बजाने वाले बीस करोड़ भोजपुरियों का इस खबर से कोई लेना-देना नहीं है। पहले आप लोग खबर पढ़ें —

University Grant Commission: ​यूजीसी विद्यार्थियों को शैक्षणिक सत्र 2023-24 से बीए, बीएससी, बीकॉम कोर्स करने के लिए क्षेत्रीय भाषाओं के चुनाव का विकल्प प्रदान करेगा।

​​UGC: अब क्षेत्रीय भाषाओं में भी कर सकेंगे BA, BSc, BCom की पढ़ाई।

​शिक्षा के क्षेत्र में लगातार बदलाव जारी है, इसी क्रम में अब यूजीसी ने एक और नया फैसला लिया है. जिसके मुताबिक नए सत्र से छात्र ग्रेजुएशन की पढ़ाई हिंदी व इंग्लिश के अलावा कई अन्य भाषाओं में कर सकेंगे. छात्रों को शैक्षणिक सत्र 2023-24 से बीए, बीएससी, बीकॉम कोर्स करने के लिए भाषाओं के चुनाव का विकल्प मिलेगा. वहीं, नए सत्र से छात्रों को मल्टीपल एंट्री एग्जिट की सुविधा भी मिलेगी. चार वर्षीय अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम के दौरान छात्र एक वर्ष का कोर्स करके सर्टिफिकेट प्राप्त कर सकते हैं. दो वर्ष करके डिप्लोमा और तीन वर्ष की पढ़ाई पूरी करने वाले छात्रों को डिग्री मिलेगी. इसके अलावा यह विद्यार्थी निर्भर रहेगा कि वह तीसरे साल में प्रोग्राम को एग्जिट करता है या चार वर्ष में.

यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन के चेयरमैन प्रो. एम जगदीश कुमार ने कहा है कि अगले शैक्षणिक सत्र से लैंग्वेज मिडियम चुनने के लिए कई विकल्प मिलेंगे. छात्र बीए, बीकॉम और बीएससी की पढ़ाई हिंदी व अंग्रेजी सहित अन्य भारतीय भाषाओं में कर सकेंगे. प्रो. कुमार ने बताया कि यूजीसी ने किताबों को भारतीय भाषाओं में अनुवाद के लिए प्रकाशकों से भी बात कर ली है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत पुस्तकों का अनुवाद हिंदी, गुजराती, असमिया, कन्नड़, बंगाली, पंजाबी, मलयालम, मराठी, उड़िया, उर्दू, तमिल, तेलगू भाषाओं में करने का काम शुरू कर दिया गया है.

डिजिटल फॉर्मेट में उपलब्ध होंगी पुस्तकें

यूजीसी के अध्यक्ष ने कहा है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत इंजीनियरिंग के बाद अन्य ग्रेजुएशन प्रोग्राम के छात्र-छात्राओं को भी भारतीय भाषाओं में पढ़ाई का मौका देना है. यूजीसी नोडल एजेंसी के रूप में काम करेगी. इसके अलावा भारतीय लेखकों को नॉन टेक्निकल विषयों पर भारतीय भाषाओं में किताबें लिखने के लिए भी प्रोत्साहित किया जाएगा. यूजीसी टेक्स्ट बुक्स की पहचान, अनुवाद उपकरण और संपादन के लिए विशेषज्ञों के संबंध में सभी जरूरी सहायता और समर्थन प्रदान करेगा. जिसका उद्देश्य पुस्तकों को डिजिटल फॉर्मेट में कम कीमत में मुहैया कराना है.

अब खबर के निहितार्थ पर आते हैं। गुजराती, मराठी, तमिल, तेलुगु, उड़िया, बंगला, मलयाली लगभग 12 क्षेत्रीय भाषाओं में यूजीसी अगले सत्र से अंडरग्रेजुएट कोर्सों की पढ़ाई शुरू करेगा…
यानि इन क्षेत्रीय भाषाओं में पुस्तकें छापी जायेंगी, पढ़ाने के लिए शिक्षक / प्रोफेसर बहाल किये जायेंगे, भविष्य में इन भाषाओं के करोड़ों जानकार विद्यार्थी अपनी अपनी मातृभाषा को बढ़ावा देंगे…

और हम बीस करोड़ भोजपुरिया क्या करेंगे…?!

बगल वाली जान मारेली… गाना पर कमर मटकायेंगे ! और फिल्मी दुनिया के थर्ड ग्रेड के भोजपुरिया अभिनेताओं को सांसद बनायेंगे ! सोशल मीडिया पर नफरत भरे संदेशों को मोबाईल पर फॉरवर्ड करेंगे !

दरअसल जो समाज अति आत्ममुग्धता का शिकार होता है, उसकी यही गति होती है…!

जय भोजपुरी !

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