आशाओ की सुनवाई नही, सीएमओ प्रयागराज मौन

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प्रयागराज का जिला महिला चिकित्सालय  ( डफरिन )  प्रयागराज मुख्यालय का सबसे बड़ा महिला चिकित्सालय है इस चिकित्सालय में प्रतिदिन आशाओं के द्वारा गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान उचित इलाज एवं प्रसव के लि लाया जाता है।
आशाएं स्वास्थ्य विभाग की वह अभिन्न कड़ी हैं जो गर्भावस्था के दौरान पहले महीने से लेकर और डिलीवरी के अंतिम समय तक या यूं कहें कि उसके बाद तक भी महिलाओं की देखरेख और उनके सही समय पर टीकाकरण से लेकर अन्य स्वास्थ्य सेवाएं दिलवाने जैसी सभी जिम्मेदारी निभाती हैं।
आशाओं को स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोई वेतन तो नहीं मिलता है लेकिन कुछ मानदेय मिलते हैं जो बहुत ही सीमित और अपर्याप्त हैं, मगर कहते हैं कि कुछ नहीं से तो कुछ भला इसलिए यह आशाएं इस कार्य को कर रही हैं ।आजकल प्रयागराज के डफरिन चिकित्सालय में आशाओं के साथ दुर्व्यवहार की शिकायतें मिल रही है इस दुर्व्यवहार के कारण परेशान आशाओं ने अपनी लिखित शिकायत सीएमओ ऑफिस प्रयागराज में भी दी है।
आशाओ के द्वारा मुख्य चिकित्सा अधिकारी को शिकायत  दिए हुए कई दिन बीत रहे हैं परंतु अभी आशाओ की  शिकायत का कोई निस्तारण मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय या जिला महिला चिकित्सालय (डफरिन)  की एसआईसी महोदया की तरफ से नहीं किया गया है।

मुख्य बिंदु- कोविड-19 महामारी के दौरान कोविड-19 से जुड़े मुद्दे ही सर्वोपरि रहेंगे क्या ? क्या अन्य शिकायतों के निस्तारण पर ध्यान नहीं देंगे संबंधित अधिकारी ?एसआईसी महोदया जिला महिला चिकित्सालय ,प्रयागराज,एवं मुख्य चिकित्सा अधिकारी प्रयागराज के द्वारा आशाओं की शिकायत पर संज्ञान नहीं लेना इसी ओर इशारा करता है कि कोविड-19 महामारी के दौरान अन्य मुद्दों की कोई औकात ही नहीं चाहे वह जितना भी गंभीर क्यों ना हो शायद इसीलिए अभी तक आशाओं के द्वारा की गई शिकायत पर कोई कार्यवाही मुख्य चिकित्सा अधिकारी प्रयागराज के द्वारा नहीं हुई ।यह वही आशाएं हैं जिनके बल पर कोविड-19 महामारी के दौरान बाहर से आए लोगों की गणना उनकी जानकारियां स्वास्थ्य विभाग इकट्ठा कर रहा है वास्तव में अगर यह आशाएं स्वास्थ्य विभाग के पास ना हो और स्वास्थ विभाग के दिशा निर्देशों पर बाहर से आए लोगों की जानकारी के लिए सर्वे करने फील्ड में ना जाएं तो स्वास्थ्य विभाग शायद ही बाहर से आए लोगों की सही जानकारी जुटा पाए।


मामला कुछ ऐसा है कि आशाएं जब महिला मरीजों को प्रसव के लिए या फिर किसी अन्य चिकित्सा के लिए लेकर जिला महिला चिकित्सालय ( डफरिन)  पहुंचती है तो आशाओं को मरीज के साथ अंदर नहीं जाने दिया जाता है उनको 100 बैड वार्ड के गेट के बाहर ही रोक दिया जाता है जिसकी वजह से आशाओं को अपमानित होना पड़ रहा है उन महिला मरीजों की नजरों में जिन महिला मरीजों के साथ प्रसव के प्रथम महा से लेकर अंतिम महा तक रहती हैं आशाए ,और जब उनको लेकर वह चिकित्सालय पहुंचती है तो वहां पर आशाओं को जब गेट पर रोक दिया जाता है तो महिला मरीजों के मन में उनके प्रति बहुत से सवाल उत्पन्न होते हैं ऐसी स्थिति में आशाएं अपने मान सम्मान को लेकर चिंतित हैं परेशान हैं दुखी हैं।
आशाओं का कहना है कि तरन्नुम नाम की एक महिला स्वास्थ्य कर्मी जो पहले स्वयं आशा हुआ करती थी वर्तमान में वार्ड आया के पद पर तैनात हैं वह आशाओं को गेट पर ही रोक देती है और अभद्र व्यवहार करती हैं ।
सूत्रो की मानें तो कई बार आशाओं के साथ धक्का-मुक्की की शिकायतें भी आई हैं।
इस विषय पर हमने बृहस्पतिवार को जिला महिला चिकित्सालय ( डफरिन ) पहुंचे मुख्य चिकित्सा अधिकारी  प्रयागराज से सवाल किया तो सीएमओ प्रयागराज ने कहा कि हमें शिकायत नहीं मिली है लेकिन जब दोबारा पूछा गया कि आपको आशाओं ने स्वयं जाकर आप के ऑफिस में अपनी लिखित शिकायत दी है तब उनको याद आया और उन्होंने कहा कि हां एक शिकायत आई है और उसका निस्तारण जिला महिला चिकित्सालय( डफरिन ) की एसआईसी महोदया करेंगी क्योंकि मामला कोविड-19 से जुड़ा हुआ था इसलिए सीएमओ प्रयागराज महोदय अपनी टीम के साथ जिला महिला चिकित्सालय  ( डफरिन ) के दौरे पर थे
,उस समय एसआईसी महोदया भी उन्हीं के साथ थी हमने वही सवाल एसआईसी महोदया से किया तो एसआईसी महोदया कहती हैं कि अभी हम लोग व्यस्त हैं  चिकित्सालय में एक कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव पाई गई है उसी को लेकर हम लोग व्यवस्थाओं में लगे हैं आप इस विषय पर फिर कभी बात करें और यह कहकर उन्होंने आशाओं के मामले से अपना पल्ला झाड़ लिया ।
सूत्रो की माने तो डफरिन चिकित्सालय में आशाओं के साथ वास्तव में अच्छा व्यवहार नहीं हो रहा है सूत्र बताते हैं कि जब मरीजों से पैसे के लेनदेन की कोई बात आती है तो आशाओं को लेबर रूम तक में एंट्री मिल जाती है और जब आशाएं अपने मरीज के साथ हंड्रेड वार्ड बिल्डिंग में प्रवेश करना चाहती हैं तो उनको गेट पर ही रोक दिया जाता है इससे वह महिला मरीज भी असहज महसूस करती हैं जो अपने गर्भावस्था के दौरान आशाओं की देख रेख में चिकित्सालय आती जाती रही है।
ऐसे में आशाओं को दोनों तरफ से ही परेशानी है महिला मरीजों की नजरों में उनका वजूद घटता जा रहा है और चिकित्सालय में तो उनके साथ अच्छा व्यवहार हो ही नहीं रहा है ।
यह वही आशाएं हैं जिनके बल पर कोविड-19 महामारी के दौरान बाहर से आए लोगों की गणना उनकी जानकारियां स्वास्थ्य विभाग इकट्ठा कर रहा है वास्तव में अगर यह आशाएं स्वास्थ्य विभाग के पास ना हो और स्वास्थ विभाग के दिशा निर्देशों पर बाहर से आए लोगों की जानकारी के लिए सर्वे करने फील्ड में ना जाएं तो स्वास्थ्य विभाग शायद ही बाहर से आए लोगों की सही जानकारी जुटा पाए  मगर फिर भी इन आशा बहुओं की कोई सुनवाई डफरिन चिकित्सालय की एसआईसी महोदया और प्रयागराज के मुख्य चिकित्सा चिकित्सा अधिकारी के द्वारा होती दिखाई नहीं दे रही है।

अरविंद कुमार (ब्यूरो)  


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