जब सनातन धर्म को खत्म करने का विचार है तो फिर सर्वधर्म सम्भाव कैसे हो सकता है ?

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संतोष कुमार शर्मा, 17.9.2023…..जयपुर, राजस्थान, 9461354712

फिर भी कांग्रेस को राजस्थान, छत्तीसगढ़, और मध्यप्रदेश में सनातनियों के वोट चाहिए..!

सनातन धर्म को खत्म करने की सोच रखने वाले राजनीतिक नेता प्रेस का ऐसे ही गला दबाएंगे..

इसे कहते हैं मुंह में राम बगल में छुरी..

16 व 17 सितंबर को तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक हुई। इस बैठक में कहा गया कि कांग्रेस तो सर्वधर्म सम्भाव में विश्वास करती है। लेकिन इसके साथ ही यह भी कहा गया कि विपक्ष को एकजुट करने के लिए जो इंडिया गठबंधन बनाया गया है उसे और आगे बढ़ाया जाएगा तो फिर सर्वधर्म सम्भाव की बात कैसे होगी? गठबंधन के प्रमुख सदस्य डीएम के ने स्पष्ट तोर पर कहा है कि सनातन धर्म को खत्म किया जाना चाहिए, क्योंकि यह मलेरिया, डेंगू और कोरोना जैसे रोग है। गंभीर बात तो यह है कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े के पुत्र और कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खडग़े तथा पी चिदंबरम के सासंद पुत्र कार्तिक चिदंबरम ने भी डीएमके जैसी भाषा बोली है। मल्लिकार्जुन खडग़े और पी चिदंबरम जैसे नेता ही कांगेस के नीति निर्धारक हैं। डीएमके के बयान पर गांधी परिवार के तीनों प्रमुख सदस्यों ने चुप्पी साध रखी है। किसी ने भी डीएमके के बयान की आलोचना नहीं की है। कांग्रेस की गठबंधन सरकार के प्रधानमंत्री रहे डॉ. मनमोहन सिंह तो पहले ही कह चुके हैं कि देश के संसाधनों पर पहला हक अल्पसंख्यकों का है। ऐसी सोच के होते हुए सर्वधर्म समभाव की बात कैसे मानी जा सकती है? यदि सनातन धर्म को ही खत्म कर दिया जाएगा तो फिर सर्वधर्म समभाव कैसे होगा? कांग्रेस की कार्य समिति का निर्णय मुंह में राम बगल में छुरी की कहावत को चरितार्थ कर रहा है। पांच राज्यों के विधानसभा और अगले वर्ष लोकसभा चुनाव को देखते हुए अभी तो सर्वधर्म समभाव की बात कही जा रही है, लेकिन यदि इंडिया गठबंधन को केंद्र में सरकार बनाने का अवसर मिल गया तो सनातन धर्म को खत्म कर देने वाली सोच ही आगे बढ़ेगी। एक तरफ ऐसा गठबंधन है जिसमें सनातन धर्म को समाप्त करने वाली सोच के लोग शामिल हैं, दूसरी तरफ पीएम मोदी के नेतृत्व वाला एनडीए गठबंधन है जो हमेशा सनातनी नजर आता है। संसद के नए भवन की शुरुआत भी गणेश चतुर्थी से की जा रही है। असल में सनातन धर्म किसी दूसरे धर्म को खत्म करने की शिक्षा नहीं देता है। कांग्रेस को तो यह बताना पड़ रहा है कि यह सर्वधर्म समभाव को मानेगी, जबकि सनातन धर्म विश्वास रखने वाले तो मानते ही हैं कि हमें दूसरे धर्म को समाप्त करने की बात कर रहे हैं, वे आज भी अपने प्रदेशों में सत्ता का सुख भोग रहे हैं। यही सनातन धर्म की महानता है। यदि किसी और धर्म को खत्म करने की बात कही जाती है तो अब तक गर्दन कट जाती।

सनातन धर्म को खत्म करने की सोच रखने वाले राजनीतिक नेता दबा रहे प्रेस का गला..
26 दलों के विपक्षी गठबंधन इंडिया ने 14 सितंबर को देश के प्रमुख न्यूज चैनलों के एंकरों की एक सूची जारी की है और घोषणा की है कि गठबंधन का कोई भी प्रतिनिधि इन एंकरों के शो में नहीं जएगा।

यानी विपक्ष का गठबंधन इन एंकरों का बहिष्कार करेगा। विपक्ष का आरोप है कि ऐसे एंकर अपना एजेंडा चलाते हैं, जो लोग अदिति त्यागी, अभीष देवगन, आनंद नरसिम्हा, अशोक श्रीवास्तव, चित्रा त्रिपाठी, गौरव सावंत, नविका कुमार, प्राची पाराशर, शिव अरूर, सुशांत सिंहा, सुधीर चौधरी, अर्णब गोस्वामी, रुबिका लियाकत और अमन चोपड़ा के शो देखते हैं, उन्हें पता है कि इन एंकरों का मकसद देश और सनातन धर्म की रक्षा करना होता है।

देश के खिलाफ जो साजिश रची जाती हैं, उन्हें ये एंकर एक्सपोज करते हैं। इसी सनातन धर्म के खिलाफ जहर उगलने वालों को भी ऐसे एंकर एक्सपोज करते हैं, इन एंकरों के शो में देश और सनातन धर्म के खिलाफ कभी भी कोई टिप्पणी नहीं होती। क्या देश भक्ति और सनातन धर्म का बचाव करना अपराध है?

आखिर जो लोग देश भक्ति और सनातन धर्म की बात करते हैं, वे विपक्ष के गठबंधन को इतना बुरा क्यों लगते हैं?

अच्छा होता कि इंडिया गठबंधन खास कर कांग्रेस अपने सहयोगी दल डीएमके को हिदायत देता।

सब जानते हैं कि डीएमके के प्रमुख व तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन के पुत्र व सरकार में खेल मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म को खत्म करने वाला बयान दिया था।

टीवी एंकरों के शो के बहिष्कार की घोषणा से जाहिर है कि इंडिया गठबंधन भी सनातन धर्म से नफरत करता है।

संभवत: देश के इतिहास में यह पहला अवसर होगा, जब विपक्ष के गठबंधन ने सूची जारी कर एंकरों के शो का बहिष्कार किया है।

असल में इंडिया गठबंधन में शामिल दल सनातन धर्म का सम्मान करना ही नहीं चाहते। जब भी सनातन धर्म के सम्मान की बात होती है तो विपक्षी दलों को चिढ़ हो जाती है। यह सब सर्वविदित है कि सनातन ही सभी समुदायों और धर्मों को साथ लेकर चलने की क्षमता रखता है। सनातन धर्म को खत्म करने की बात कहने के बाद भी उदयनिधि स्टालिन बड़े आराम से मंत्री पद की भूमिका निभा रहे हैं। यही सनातन धर्म की विशेषता है। यदि किसी अन्य धर्म को समाप्त करने वाला बयान देते तो उयद निधि का क्या हश्र होता यह सब जानते हैं।
इंडिया गठबंधन में कांग्रेस की महत्वपूर्ण भूमिका है। सनातन धर्म के इतने अपमान के बाद भी कांग्रेस चाहती है कि राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों में सनातनियों के वोट मिल जाएं।
एक तरफ सनातन धर्म को खत्म करने की बात कही जा रही है तो दूसरी तरफ सनातनियों के वोट से ही सत्ता हासिल करने का प्रयास हो रहा है।


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