नीलाम्बर पीताम्बर यूनिवर्सिटी स्थापित होने से पलामू प्रमंडल में हुआ शिक्षा के दायरे का विस्तार : राज्यपाल

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डॉ अजय ओझा।

नीलाम्बर पीताम्बर यूनिवर्सिटी के द्वितीय दीक्षांत समारोह को राज्यपाल रमेश बैस ने किया संबोधित ।

रांची / मेदिनीनगर,14 अक्टूबर । नीलाम्बर-पीताम्बर विश्वविद्यालय, पलामू के द्वितीय दीक्षांत समारोह के अवसर पर माननीय राज्यपाल-सह-झारखंड राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति रमेश बैस ने सम्बोधित करते हुए कहा कि सर्वप्रथम, दीक्षांत समारोह के आज के इस ऐतिहासिक एवं पुनीत अवसर पर आप सभी उपाधि ग्रहण करने वाले विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों को शुभकामनाएँ एवं बधाई देता हूँ और आपके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ। मैं आपके अभिभावकों एवं शिक्षकों को भी बधाई देता हूँ जिनके अथक प्रयास से आपने यह सफलता प्राप्त की है। यहाँ से आपके जीवन की कसौटी आरंभ होती है। आपके सामने आपका सुनहरा भविष्य प्रतीक्षा कर रहा है। अब आपको जीवन में अपना मार्ग स्वयं ढूँढ़ना है और बनाना है।
दीक्षांत समारोह के आयोजन हेतु मैं समस्त विश्वविद्यालय परिवार को भी बधाई देता हूँ। दीक्षांत समारोह विद्यार्थियों के जीवन में विशेष महत्व रखता है, यह उनके जीवन का यादगार और मूल्यवान पल होता है। मैं चाहता हूँ कि भविष्य में विश्वविद्यालय द्वारा समय पर दीक्षांत समारोह आयोजित किये जाते रहें ताकि विद्यार्थियों को समय पर डिग्री मिल सके।

राज्यपाल ने कहा कि सन᳭ 2009 में स्थापित इस विश्वविद्यालय ने विगत बारह वर्षों की यात्रा में विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय उपलब्धियाँ अर्जित की है। इस विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने सिर्फ अकादमिक क्षेत्र में ही नहीं बल्कि खेलकूद सहित अन्य क्षेत्रों में भी राष्ट्रीय स्तर पर उपलब्धियाँ हासिल की हैं। इसके लिए वर्तमान एवं पूर्व के सभी कुलपति, शिक्षक, शिक्षकेतर कर्मी एवं अधिकारी बधाई के पात्र हैं। विश्वविद्यालय को इसी तरह उच्च शिक्षा के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए निरंतर प्रतिबद्धता के साथ सदा क्रियाशील रहना चाहिए। यह विश्वविद्यालय महान स्वतंत्रता सेनानी नीलाम्बर एवं पीताम्बर के नाम पर स्थापित है जिन्होंने अपने अदम्य साहस एवं पराक्रम से अंग्रेजी शासन का डटकर सामना किया। उनकी राष्ट्रभक्ति को, उनकी वीरता को तथा उनकी शहादत को मैं शत-शत नमन करता हूँ। धन्य है पलामू की यह धरती जिसने ऐसे वीर सपूतों को जन्म दिया। उनका महान व्यक्तित्व पूरे झारखंड व पलामू की पहचान को जीवंतता प्रदान करता है और विद्यार्थियों को कर्तव्यनिष्ठा और अपने देश के प्रति समर्पित होने की प्रेरणा देता है। यहाँ के युवाओं को नीलाम्बर-पीताम्बर जैसे महान विभूतियों से प्रेरणा लेते हुए समाज एवं राष्ट्रहित में कार्य करने के लिए हमेशा उत्साहित रहना चाहिए।

उन्होंने कहा कि नीलाम्बर-पीताम्बर विश्वविद्यालय की स्थापना होने से पलामू प्रमंडल में उच्च शिक्षा के दायरे का विस्तार हुआ है। एम०बी०ए०, एम०सी०ए०, इंजीनियरिंग, एम०बी०बी०एस०, एल०एल०बी०, नर्सिंग व फार्मेंसी जैसे पाठ्यक्रम भी यहाँ उपलब्ध हैं। यह प्रसन्नता का विषय है कि आज हमारे शिक्षण संस्थानों में पहले से कहीं अधिक विद्यार्थी पढ़ रहे हैं। लेकिन, हमें जिस बात पर अब भी ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है, वह है शिक्षा की गुणवत्ता। वैश्वीकरण के इस युग में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। विद्यार्थियों को गुणात्मक शिक्षा उपलब्ध हो, यह विश्वविद्यालय को सुनिश्चित करना होगा। विद्यार्थी विभिन्न प्रतिस्पर्धा में सफलता हासिल करें, इसके लिए विश्वविद्यालय को उन्हें प्रोत्साहित करना होगा। प्रतियोगिता के इस युग में अपनी प्रतिभा से विद्यार्थियों को उत्कृष्टता हासिल करनी होगी। ज्ञान ही सबसे महत्वपूर्ण पूँजी है। हमेशा कुछ न कुछ नया सीखने वाला व्यक्ति ही इस दौर की चुनौतियों का सामना कर सकेगा।

राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालय के अंतर्गत पांच अंगीभूत एवं 32 सम्बद्ध महाविद्यालय/संस्थान संचालित हैं। छात्राओं के अध्ययन की सुविधा हेतु दो महिला कॉलेज की व्यवस्था है जिसमें सुदूर क्षेत्रों की छात्राएं भी आकर पढ़ती हैं। आशा है कि इस विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त कर विद्यार्थी अपनी योग्यता के आधार पर देश-विदेश में भी अपनी पहचान बना पाएंगे और अपने लिए स्वर्णिम भविष्य का निर्माण कर सकेंगे। प्रसन्नता की बात है कि नीलाम्बर-पीताम्बर विश्वविद्यालय द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप पाठ्यक्रमों को अद्यतन करते हुए स्नातक स्तरीय कक्षाओं में विद्यार्थियों का नामांकन लिया गया है। नव स्थापित महाविद्यालयों में पठन-पाठन प्रारम्भ किया गया है। विश्वविद्यालय के द्वारा अपने कुलगीत को भी हाल ही में अंगीकृत किया गया है। जिज्ञासा, उत्साह और सतर्कता के साथ अपने ज्ञान, कौशल और बुद्धि का सदैव विकास करने वाले व्यक्ति के लिए हमेशा अपार अवसर उपलब्ध होते हैं। शिक्षा राष्ट्र के आर्थिक-सामाजिक विकास का शक्तिशाली साधन है, ज्ञान से ही वास्तविक सशक्तिकरण आता है।
विश्वविद्यालय में शोध के महत्व को समझते हुए इसके स्तर को उच्च करने का हर संभव प्रयास करना चाहिए। शोध में हमारे विद्यार्थियों में निहित इनोवेटिव आईडिया दिखना चाहिए ताकि समाज को उसका लाभ मिले।

उन्होंने कहा कि आज दीक्षांत समारोह में उपस्थित उपाधि ग्रहण करने वाले विद्यार्थियों से कहना चाहता हूँ कि ज्ञान रूपी अमृत को पाकर आप न केवल अपने कैरियर को प्रशस्त करें बल्कि स्वस्थ एवं श्रेष्ठ समाज के निर्माण में भी अपना बहुमूल्य योगदान दें। विद्यार्थी अपनी रचनात्मक क्षमता से विषम परिस्थितियों और आपदाओं का सामना कर सकें। नेल्सन मंडेला के शब्दों में शिक्षा वह सर्वाधिक शक्तिशाली अस्त्र है जिसके उपयोग से हम पूरी दुनिया की तस्वीर बदल सकते हैं। गरीबी, भूखमरी, बीमारियाँ, शोषण, हिंसा एवं अशांति अज्ञानता के कारण एवं शिक्षा के अभाव में पनपती है। हमारे विद्यार्थी अपना लक्ष्य निर्धारित करें और उस लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में निरंतर आगे बढ़े। स्वामी विवेकानन्द जी के शब्दों में, उठो ! जागो ! और तब तक मत रूको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए। मुझे प्रसन्नता है कि कुल 130 मेडल प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में से 86 छात्रायें तथा 44 छात्र हैं। महिला सशक्तिकरण सामाजिक विकास के लिए जरूरी है। शिक्षा सशक्तिकरण का सबसे प्रभावी माध्यम है। मुझे खुशी है कि हमारी बेटियां उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं और विभिन्न क्षेत्रों में सफलता का परचम लहरा रही हैं। यह भविष्य के विकसित भारत कि सुनहरी तस्वीर प्रस्तुत करता है।

राज्यपाल ने कहा कि शिक्षा के साथ चरित्र निर्माण भी उतना ही जरूरी है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के अनुसार, चरित्र के बिना ज्ञान बुराई को पनपने की शक्ति देता है। चरित्रवान युवा ही देश के भविष्य हैं। विद्यार्थियों को अपने जीवन व व्यवहार में विनम्रता, नैतिकता एवं अनुशासन को महत्वपूर्ण स्थान देना चाहिए। यह सुखद तथ्य है कि भारत युवाओं का देश है और हमें अपनी युवा शक्ति पर गर्व है। किसी भी शिक्षण संस्थान के लिए उसके विद्यार्थी ही उसकी पूँजी और ब्रांड एम्बेसेडर होता है। हमारा दायित्व सिर्फ विद्यार्थियों को किताबों तक सीमित रखना, उन्हें डिग्रियाँ बाँटने तक ही सीमित नहीं होना चाहिए बल्कि उनमें चेतना जागृत कर जीवन में बेहतर करने की भूख जगाना, उनकी प्रतिभा को उभारना, उनमें आत्मनिर्भरता पैदा करना और उन्हें एक सम्पूर्ण व्यक्तित्व देना होना चाहिए। अंत में, मैं यहाँ उपस्थित सभी विद्यार्थियों को उनके स्वर्णिम एवं सुंदर भविष्य की बहुत-बहुत शुभकामना देता हूँ और उनसे अपेक्षा करता हूँ कि वे राष्ट्रनिर्माण में अपना बहुमूल्य योगदान देंगे। मेरा आशीर्वाद सदैव आप सभी के साथ है।
जय हिन्द! जय झारखंड!


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