645 वीं जयन्ती पर सन्त रविदास जी को किया गया नमन

Share:

डॉ अजय ओझा ।

कुरीतियों व जातपात के विरुद्ध रविदास जी ने संघर्ष किया : आर्य रविदेव गुप्ता।

वैदिक धर्म के संदेश वाहक थे रविदास जी : डॉ. राजकुमार आर्य।

सभी मनुष्य समान रूप से परमात्मा की संतान हैं : अनिल आर्य।

नई दिल्ली, 17 फरवरी। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद् के तत्वावधान में सन्त श्री रविदास जी की 645 वीं जयन्ती पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया।यह कोरोना काल में 361 वां वेबिनार था।

वैदिक विद्वान आर्य रविदेव गुप्ता ने कहा कि सन्त रविदास जी ने दलित समाज में समाज सुधारक के रूप में याद किया जाता है। उस समय की कुरीतियों व जातपात के विरुद्ध संघर्ष किया। सुल्तान सिकन्दर लोदी ने उन्हें मुसलमान बनाने के लिए बहुत प्रयास व दबाव बनाए लेकिन वह झुके नहीं उनका मानना था कि वेद धर्म सबसे बड़ा है मैं इस्लाम स्वीकार नहीं कर सकता।

मुख्य अतिथि डॉ. राजकुमार आर्य (निदेशक,स्वदेशी आयुर्वेद हरिद्वार) ने कहा कि सन्त रविदास जी वेदों के अनुगामी थे, उन्होंने उसे ही प्राथमिकता दी और कोई समझौता नहीं किया।

केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि आज सन्त रविदास जी के जीवन व बलिदान से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है।अत्याचार सहे पर धर्म नहीं छोड़ा।आज भी वही परिस्थिति बन रही है जिससे सजक रहने की आवश्यकता है। हमें जातपांत -प्रांतवाद की सोच से ऊपर उठकर सोचना होगा क्योंकि सभी मनुष्य समान हैं और परमात्मा की सन्तान हैं।

अध्यक्ष धर्मपाल आर्य(राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष परिषद) व राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए सन्त रविदास जी की शिक्षाओं को आत्मसात करने का आह्वान किया।

गायिका कमला हंस,प्रतिभा कटारिया, ईश्वर देवी,रजनी चुघ, रविन्द्र गुप्ता, कुसुम भंडारी, संध्या पांडेय, चंद्र कांता आर्या,विजय खुल्लर आदि ने मधुर भजन प्रस्तुत किये ।


Share: