खुरदरे कागज पर रेशमी ख्वाब बुनते हैं

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डॉ अजय ओझा।

महिला काव्य मंच, तेलंगाना, का वार्षिकोत्सव सम्पन्न

तेलंगाना, 29 जनवरी
महिला काव्य गोष्ठी  के वार्षिकोत्सव का ऑनलाइन आयोजन डॉ अर्चना पाण्डेय की अध्यक्षता में सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ।

कलम के कीड़े हैं हम जब भी मचलते हैं, खुरदरे काग़ज पर रेशमी ख्वाब बुनते हैं।

आज की वार्षिकोत्सव की गोष्ठी को साकार करते हुए हमारी सभी कवयित्रियों ने अपनी कलम का जौहर बख़ूबी दिखाया। सबसे पहले डॉ पुष्पा सिंह ने अपनी कविता वीरों की शहादत में जवानों के जज़्बातों को बड़े ही सुन्दर तरीके से प्रस्तुत किया। अंजलि चौरसिया ने कविता चिड़िया के द्वारा अपनी बेटी के साथ हुए संवाद को सुन्दर शब्दों में सुनाया। कामिनी सिंह ने अपनी कविता मन की शांति के माध्यम से जीवन की अनमोल शिक्षा दी कि मन की शांति को इधर उधर खोजने की ज़रूरत नहीं है वह तो मनुष्य के अंदर ही विद्यमान है। आलिया परवीन ने अपनी कविता मरते दम तक में अपने कार्य और बच्चों के प्रति प्यार और जिम्मेदारी का भाव प्रस्तुत किया। कल्पना सचान ने देह हूं मैं कविता के ज़रिए एक औरत के विभिन्न रूपों और अवतारों की विवशता को बड़े ही मार्मिक व झकझोर देने वाले शब्दों के साथ पटल पर रखा। रीना प्रदीप कुमार ने श्रृंगार रस में डूबी कविता प्यार मेरा नहीं दो दिन का सनम को  मीठी आवाज में गुनगुनाते हुए सभी को प्रेम से सराबोर कर दिया। फिर तो मंच पर जैसे श्रृंगार रस की झड़ी सी लग गई। और उसी रस में भीगी हुई वैशाली सिसोदिया की कविता पुरवा जो डोल गई कानो में रस घोल गई अगली थी जिसमें उनके सुन्दर साहित्यिक शब्दों को सुनकर सभी भावविभोर हो गए। श्रृंगार की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए शिल्पी भटनागर ने अपना गीत नेह प्रीत के नाम मैंने तुमको किया सनम सुनाते हुए अपनी भावनात्मक लेखनी का प्रमाण दिया। मोहिनी गुप्ता ने भी प्रेम के भावों से परिपूर्ण गीत चूड़ी कंगन महका गजरा धड़कन-धड़कन ठहराव है सुनाया जिसने मानो सभी की आंखों के सामने एक चलचित्र सा चला दिया हो। इसके बाद सोमाली यादव ने हास्यास्पद कविता मेरी सहेलियाँ सरल शब्दों में पटल पर प्रस्तुत की जिसमें उन्होंने बताया कि हम औरतों के जीवन में सखियों का क्या महत्व है। दोस्तों पर दो पंक्तियाँ कहते हुए आर्या चौबे ने उपस्थिति दर्ज की। डॉ अर्चना पांडे ने अपनी मधुर आवाज़ में ज़िंदगी पर ग़ज़ल कि मौसम है बहार का तो गाती है ज़िंदगी सुनाते हुए सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनके स्वर और शब्द दोनों ही अप्रतिम थे। इस बैठक में अंजली चतुर्वेदी और किरन ने भी भाग लिया।

अंत में  सोमाली यादव ने सभी कवयित्रियों को गोष्ठी को सफल बनाने के लिए शुभकामनाएं और धन्यवाद देते हुए गोष्ठी का समापन किया।


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