खेल मध्य प्रदेश पंचायत चुनाव की : गठन के लिए गठजोड़

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देवदत्त दुबे ।
प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत राज और नगरी निकाय चुनाव जनता की वोट के बाद परिणाम के रूप में संपन्न हो गए हैं। लेकिन अब जनपद पंचायत अध्यक्ष, जिला पंचायत अध्यक्ष, नगर परिषद अध्यक्ष, नगर पालिका अध्यक्ष और नगर निगम अध्यक्ष के गठन के लिए जोड़-तोड़ कर गठजोड़ बनाने की कोशिशें तेज हो गई है। जो लोग पहले टिकट के लिए चक्कर लगाते थे अब वह एमआईसी सदस्य बनने और अध्यक्ष बनने के लिए चक्कर लगा रहे हैं।

दरअसल राजनीति निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है और जिसमें संतुष्टि का भाव कभी आता नहीं है। पहले पार्टी में पद पाने के लिए फिर टिकट पाने के लिए जोड़ तोड़ करते हैं। और चुनाव जीतने के बाद महत्वपूर्ण जिम्मेवारी पाने के लिए दौड़ भाग शुरू कर देते हैं। ऐसा ही कुछ नजारा इस समय प्रदेश की राजनीति में देखने को मिल रहा है। जहां त्रिस्तरीय पंचायती राज के और नगरी निकाय के चुनाव संपन्न हो चुके हैं और अब अध्यक्ष पद पर गठन होना है जिसके लिए सदस्यों पार्षदो की बाडेबंदी हो रही है वही दावेदार नेताओं के चक्कर काट रहे हैं। इन सब कवायद को लेकर विधायक और मंत्रियों का धर्मसंकट कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है क्योंकि एक ही विधानसभा क्षेत्र में समर्थक आपस में होड लगाए हुए हैं अब ऐसे में क्षेत्रीय विधायक या मंत्री किसे समर्थन करें और किसे नाराज करें इसी उहापोह में है।

बहरहाल पंचायती राज के उपसरपंच जनपद अध्यक्ष उपाध्यक्ष जिला पंचायत अध्यक्ष उपाध्यक्ष के गठन के लिए जोड़ तो तेज हो गई है। 24, 25 एवं 26 जुलाई को उपसरपंच के लिए निर्वाचन कराया जाएगा वहीं 27 एवं 28 जुलाई को जनपद अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के गठन की प्रक्रिया की जाएगी और 29 जुलाई को जिला पंचायत अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष का निर्वाचन संपन्न होगा। इसके लिए यहां दावेदार जोड़-तोड़ में लगे हैं। वही क्षेत्रीय विधायक और मंत्री समायोजन और अधिकतम स्वीकृति वाले दावेदार की खोज में लगे हैं जोकि 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के समय मददगार साबित हो सके। जातीय और क्षेत्रीय संतुलन बनाने के साथ-साथ सदस्यों की पसंद का भी ध्यान रखना है। वही राजनीतिक दल पूरी कोशिश में है कि ऐसे प्रत्याशी मैदान में उतारे जाएं जो पार्टी विचारधारा को आगे ले जा सके। पार्टी नेतृत्व में अपने विधायक को साफ तौर पर इन चुनाव को गंभीरता से लेने के लिए कहा है । जिससे प्रदेश व्यापी आंकड़े प्रस्तुत करने में पार्टी को जीत की ध्वनि सुनाई दे।

हालांकि सदस्यों के स्तर पर मिले-जुले परिणाम आए हैं लेकिन सत्ताधारी दल भाजपा जिस तरह से विधायकों को अपने पक्ष में कर लेती है उसके लिए सदस्यों को अपने पक्ष में करने में ज्यादा दिक्कत नहीं आ रही है। राजधानी भोपाल में जरूर कांग्रेस के जिला पंचायत सदस्य ज्यादा जीत गए हैं। जिसके कारण जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने के लिए मुश्किलें सामना करना पड़ रहा है। जबकि विरोध जैसी कोई दिखाई नहीं दे रही है। मसलन सागर में निर्विरोध जिला पंचायत सदस्य जीते हीरा सिंह राजपूत का समर्थन जिले के तीनों मंत्री और संगठन कर रहे है ।सदस्यों की सहमति भी बहुमत के लायक बन चुकी है। ऐसे में वहां पर निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष बनने की स्थिति बन गई है।
कुल मिलाकर 29 जुलाई तक त्रिस्तरीय पंचायती राज के उपसरपंच, अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, का गठन कर लिया जाएगा और इसके बाद नगरी निकाय के लिए जोड़-तोड़ शुरू होगी। जहां पर 17 जुलाई को मतगणना हुई है वहां पर 2 अगस्त तक और जहां 20 जुलाई को मतगणना हुई है वहां पर 5 अगस्त तक नगर परिषद नगर पालिका और नगर निगम में अध्यक्षों का निर्वाचन कर लिया जाएगा। नगर निगम क्षेत्रों में एमआईसी सदस्यों के लिए भी घमासान की स्थिति है। क्योंकि सभी जगह एक अनार सौ बीमार की स्थिति है। सत्तारूढ़ दल भाजपा नगर निगम में अध्यक्ष और सदस्यों के गठन में सतर्कता बरत रही है क्योंकि जहां कांग्रेस आप और निर्दलीय महापौर है वहां भी निगम अध्यक्ष भाजपा का बनना है।


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