सिन्हा बंधु पुस्तक का हुआ लोकार्पण

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डॉ शूलपाणी सिंह।

नई दिल्ली। मानव इतिहास में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम एक अनोखी मिसाल है। इसमें सभी वर्गों के लोगों ने सभी प्रकार की जाति, पंथ, या धर्म से ऊपर उठकर एवं एकजुट होकर एक उद्देश्य के लिए काम किया। यह एक पुनर्जागरण था। यह लोगों की विभिन्न पीढ़ियों का संघर्ष और बलिदान था जिसके परिणामस्वरुप स्वतंत्रता प्राप्त हुई और राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हुआ। स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायक सिन्हा बंधुओं का भी अहम योगदान रहा है। स्वतंत्रता की लड़ाई के दौरान घटित काकोरी कांड में दंडित राजकुमार सिन्हा को 10 वर्ष की कारावास की सजा हुई थी और उनके छोटे भाई विजय कुमार सिन्हा को कालापानी की सजा दी गई थी। इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाने वाले राजकुमार सिन्हा और विजय कुमार सिन्हा इन दोनों सिन्हा बंधुओं के जीवन पर आधारित प्रसिद्ध लेखिका आशा सिंह द्वारा लिखित पुस्तक सिन्हा बंधु का लोकार्पण किया गया। इनायत कौर ने राष्ट्रीय गीत गाकर पुस्तक विमोचन कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत की। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में जस्टिस ब्रजेष सेठी, दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक विकास कुमार, लब्ध प्रतिष्ठित क्रांतिकारी साहित्यकार सुधीर विद्यार्थी, मुरारी शरण शुक्ल, व्यंगकार अर्चना चतुर्वेदी, डॉ मधु वत्स, बंदना बाजपेयी, अंशुमान, चारुलता, निशिकेत एवं डॉ. शूलपाणि सिंह मौजूद थे। इस अवसर पर विशेष रूप से कनाडा से आयी राजकुमार सिन्हा की बेटी चित्रा लेखा घोष ने अपने पिता और चाचा को माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी और देश की स्वतंत्रता में उनके योगदान को याद किया।

आशा सिंह की सिन्हा बंधु पुस्तक आजादी का एक नया आयाम लिखेंगे//आशा सिंह के" सिन्हा बंधू" पुस्तक आजादी की अनकही कहानी

आशा सिंह एक ऐसी वरिष्ठ साहित्यकार,पत्रकार,समाजसेवी महिला है।जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों बुद्धिजीवियों वाह पत्रकारिता जगत पर बहुत अद्वितीय योगदान दिया है ।आशा सिंह जी ने "सिन्हा बंधु" एक पुस्तक लिखी एल तहलका मचाएगी यह पुस्तक में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के बारे में बहुत अच्छे से प्रस्तुत किया । आशा सिंह जी ने विजय सिन्हा वाला हमसे ना मारकंडे भवन तथा वहां स्वतंत्र संगठन ने वरिष्ठ पत्रकार भट्टाचार्य जी का निवास वर्तमान सिन्हा फैमिली के यादगार चीजें यादगार स्थानों कस्टम जाखड़ के भ्रमण किया । आशा सिंह जीवनी स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिवार के सदस्यों को व उनके प्रमुख इसमें चिन्हों को बहुत खोजबीन करके वहां पहुंचकर उनके जीवनी को लिखने का प्रयास भी किया वर्तमान पेपर जो 1920 से निकल रहा है उसमें आशा सिंह जी ने पवन बाजपेई के पुत्र संपादक सुधीर बाजपेई से विजय सिन्हा की शादी का विज्ञापन भी हासिल कर लिया। 

मुख्य अतिथि जस्टिस ब्रजेश सेठी जी ने राजकुमार सिन्हा की पुत्री चित्रा लेखा घोष का स्वागत किया। अशोक बेरी ने नयी पीढ़ी को राष्ट्रीय मूल्यों को याद रखने के लिए कहा । वहीं डीएमआरसी के प्रबंध निदेशक विकास कुमार ने राजकुमार सिन्हा के जीवन पर प्रकाश डाला। क्रांति कारी साहित्यकारों में अग्रणी सुधीर विद्यार्थी ने विजय कुमार सिन्हा की बौद्धिक क्षमता के बारे में बताया। मुरारी शरण शुक्ला ने क्रांति में महिलाओं के योगदान की चर्चा की। संपादक वंदना बाजपेयी ने कार्यक्रम का संचालन किया। पुस्तक की लेखिका आशा सिंह ने बताया कि देश के स्वतंत्रता संग्राम में उल्लेखनीय योगदान देने वाले राजकुमार सिन्हा एवं विजय कुमार सिन्हा के जीवन पर आधारित इस पुस्तक को हमारे गुमनाम इतिहास को अपने असाध्य परिश्रम से वर्तमान में जोड़ने का प्रयास किया है। सिताबोंबाई के बाद इस बार हम कानपुर के “मार्कन्डेय भवन” के उस गुमनाम इतिहास को ले कर आए हैं, जो आजादी के लिए युवाओं की योजनाओं का या, देश भक्ति के गीतों पर झूमते भारत मां के रणबांकुरों का साक्षी है। जहां एक मां ने अपने एक नहीं दो-दो पुत्रों को देश सेवा के लिए समर्पित कर दिया। मार्कंडेय भवन जहां सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद विश्राम करते थे। आज मार्कंडेय भवन उपेक्षित पड़ा है और इसकी गरिमामई इतिहास को सहेजने का प्रयास नहीं किया गया। सिन्हा बंधु पुस्तक ने इस इतिहास को समय की गर्त से बाहर निकाल दिया है। उन्होंने बताया कि इस बारे में जानकारी एकत्र करना, तथ्यों को जुटाना, दुर्लभ चित्रों को खोजना एक बहुत दुष्कर कार्य था। इसे किसी यज्ञ की तरह शीत, घाम, वर्षा की परवाह किये सूचना एकत्र करने में लगी रहीं।


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