मानव जीवन में क्रांति लाने का श्रेय विज्ञान का : राज्यपाल

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डॉ अजय ओझा।

आधुनिक मानव जीवन के श्रेष्ठ रुपांतरण में विज्ञान का अभूतपूर्व योगदान।

रांची, 22 फरवरी। बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान मेसरा, राँची द्वारा आयोजित विज्ञान प्रौद्योगिकी महोत्सव ‘विज्ञान सर्वत्र पूज्यन्ते’ के अवसर पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से राज्यपाल रमेश बैस ने सम्बोधित करते हुए कहा कि सर्वप्रथम, आप सभी को विज्ञान प्रौद्योगिकी महोत्सव ‘विज्ञान सर्वत्र पूज्यन्ते’ के आयोजन के लिए हार्दिक बधाई व शुभकामनायें।

मानव जीवन में क्रांति लाने का श्रेय विज्ञान को है। आज हर जगह, हर पल विज्ञान का प्रभाव सर्वत्र देखा जा सकता है। विज्ञान ने हर पग पर मानव जीवन को इतनी सुविधाएँ प्रदान की हैं, वह मनुष्य के लिए कामधेनु बन गया है।

विज्ञान ने धरती, आकाश और जल, तीनों को प्रभावित किया है। धरती का तो शायद ही कोई कोई कोना हो, जहाँ विज्ञान ने कदम न रखा हो। विज्ञान के कारण आज मनुष्य की उन्नति और प्रगति का कोई सीमा नहीं है।
 सर्वप्रथम कृषि क्षेत्र में आई क्रांति का मुख्य कारण विज्ञान ही है। विज्ञान की वजह से ट्रैक्टर, ट्यूबवेल, कीटनाशक, खरपतवार नाशक यंत्र और दवाएँ हैं । इसके अलावा उन्नत बीज, खाद और यंत्रों का आविष्कार विज्ञान के कारण ही संभव हो पाया है।
आज मैं आप सभी से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़कर संबोधित कर रहा हूँ। ये साइंस एवं टेक्नोलॉजी की ही तो देन है।

हरकारों और कबूतरों से संदेश भेजने वाला मनुष्य चिट्टियों और पोस्ट कार्ड की दुनिया से निकलकर टेलीफ़ोन, ई-मेल से होते हुए मोबाइल तक आ पहुँचा है।

चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में विज्ञान ने मनुष्य को नया जीवन दिया है। अब रोगों का इलाज ही नहीं, शरीर के अंगों को बदला भी जा रहा है। रक्तदान और नेत्रदान जैसे मानव हित के कार्यों और विज्ञान के सहयोग से मनुष्य को नवजीवन मिल रहा है।

हमारे वैज्ञानिक चाँद पर जा रहे हैं, मंगल पर जीवन की तलाश कर रहे हैं। हमारे वैज्ञानिक निरंतर उपग्रह छोड़ने में सफलता प्राप्त कर रहे हैं। हमारा देश परमाणु शक्ति सम्पन्न देश है।

पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न श्रद्धेय अटल जी ने विज्ञान की इसी अहमियत को देखते हुए ‘जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान’ का नारा दिया।

मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि झारखंड साइंस एवं टेक्नोलॉजी क्षेत्र में निरंतर प्रगति की दिशा में प्रयासरत है।
राज्य में अकूत कोयला भंडार की मौजूदगी इसे कई औद्योगिक गतिविधियों के लिए एक आदर्श प्रदेश बनाती है। बोकारो, जमशेदपुर और कई अन्य स्थानों में बड़ी संख्या में थर्मल और स्टील पावर प्लांट स्थापित किए गए हैं।
बी०आई०टी०, मेसरा, बी०आई०टी०, सिंदरी, निफ़्ट और आई०एस०एम०, धनबाद जैसे तकनीकी संस्थानों ने इनोवेशन और इमेजिनेशन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

मुझे यह कहते हुए गौरव हो रहा है कि झारखंड राज्य ने कई प्रतिष्ठित व्यक्तित्व, वैज्ञानिक और शोधकर्ता दिए हैं, जिन्होंने आने वाली पीढ़ियों को अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करने के लिए प्रेरित किया है।
जैसा कि हम जानते हैं कि “आजादी का अमृत महोत्सव” राष्ट्रव्यापी उत्सव विभिन्न विषयों के तहत चल रहा है। इस कार्यक्रम में भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी संगठनों द्वारा “विज्ञान सर्वत्रे पूज्यते” के गौरवशाली विषय के तहत “विज्ञान सप्ताह” का आयोजन किया गया है, जिसका उद्देश्य तकनीकी कौशल को प्रदर्शित करना है, जिन्होंने विभिन्न समस्याओं के समाधान खोजने में मदद की है।
हमारा लक्ष्य युवा मस्तिष्क को प्रेरित करना और एक प्रगतिशील राष्ट्र के निर्माण में सामुदायिक भागीदारी को बढ़ाना है। हम भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी की दुनिया से 75 प्रमुख योगदानों को भी प्रदर्शित कर रहे हैं जो आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी प्रणाली में मील का पत्थर साबित हुए हैं। इसके अलावा हम पारंपरिक ज्ञान प्रणाली के कोश को चिन्हित कर अपना रहे हैं, जिसने ‘स्वदेशी पारंपरिक आविष्कारों और इनोवेशन’ की अवधारणा के तहत भारत को पुनर्स्थापित किया है।

आधुनिक भारत विज्ञान और प्रौद्योगिकी मिशन के पथ पर अग्रसर है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि कोरोना महामारी ने हमारे सामने अभूतपूर्व चुनौतियाँ रखी और हमारे वैज्ञानिकों ने प्रभावशाली एवं सुरक्षित ढंग से वैक्सीन का आविष्कार कर इन चुनौतियों का सामना किया।

अन्त में, एक बार पुनः मैं बी०आई०टी० मेसरा के छात्रों, संकाय सदस्यों और अन्य सभी सम्बद्ध सदस्यों को इस कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए बधाई व शुभकामनाएं देता हूँ।
जय हिंद!
जय जवान! जय किसान!! जय विज्ञान!!!

श्री रमेश बैस ( राज्यपाल, झारखंड)


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