राजस्थान उच्च न्यायालय ने रायपुर अहीरान के जौहड़ी में बने आवासीय भवनों को तोड़ने पर लगाई रोक

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दिनेश शर्मा “अधिकारी”।

जयपुर । राजस्थान उच्च न्यायालय जयपुर की एकल बेंच ने एक सिविल रिट याचिका की सुनवाई करते हुए अप्राथीगण को नोटिस जारी करते हुए “ झुंझनू जिले की बुहाना तहसील के रायपुर अहीरान के जौहड़ी में बने वर्षो पुराने आवासीय भवनों “ को तोड़ने पर रोक लगाते हुए याचिकाकर्ताओं के आवासीय भवनों को नहीं तोड़ने का आदेश जारी किया।

उल्लेखनीय है कि याचिकाकर्ताओ ने अपने अधिवक्ता मोहित बलवदा व भावना चौधरी के माध्यम से न्यायालय को बताया कि वे पिछले लगभग 40-50 वर्षों से संबंधित भूमि में रह रहे हैं और बिजली कनेक्शन के साथ अपने पक्के आवासीय घरों का निर्माण कर रहे हैं। उनके समर्थन में कार्यालय तहसीलदार, बुहाना, जिला झुंझुनू द्वारा जारी स्थल निरीक्षण रिपोर्ट दिनांक 02.02.2022 पर भरोसा किया। इस न्यायालय का ध्यान राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर जारी किए गए विभिन्न परिपत्रों जैसे दिनांक 27.12.2021 की ओर आकर्षित करते हुए, उन्होंने प्रस्तुत किया कि राज्य सरकार ने चरगाह भूमि पर भी व्यक्तियों के पुराने कब्जे को नियमित करने का नीतिगत निर्णय लिया है। उपरोक्त तथ्यों की अनदेखी करते हुए, प्रतिवादी उनके बरसो पुराने आवासीय निर्माण को गिराने पर तुले हुए हैं, न्यायालय राजस्थान राज्य और अन्य की मनमानी और एकतरफा कार्यवाही पर रोक लगाते हुए उनके आवास को नहीं तोड़ने के लिए आदेशित कर नोटिस जारी करें।

मोहित बलवदा का तर्क था कि याचिकाकर्ता इस जोहड़ की भूमि पर पिछले लगभग 40-50 वर्षों से पक्के रिहायशी मकानों में रह रहे हैं।
याचिकाकर्ताओं ने अपने घरों में विधुत कनेक्सन भी ले रखें है।
तहसीलदार बुहाना द्वारा तैयार सर्वे निरीक्षण रिपोर्ट अनुसार यहां बहुत पुराना निर्माण हैं एवं राज्य सरकार द्वारा सड़कों का निर्माण कराया गया है।

उक्त भूखंडों में बसे हुए अधिकतर लोग भूमिहीन वर्ग से भी हैं व अधिकतर के पास ग्राम पंचायत द्वारा आवासीय आवंटित भूखण्ड के पट्टे जारी किए गए हैं।

राज्य सरकार द्वारा समय समय पर इस प्रकार के आवासीय भवनों को नहीं तोड़ने के दिशा निर्देश पारित किए गए हैं। अगले आदेश तक प्रतिवादियों को याचिकाकर्ताओं द्वारा विषय भूमि के उपयोग और कब्जे में हस्तक्षेप करने से रोकें।

माननीय जस्टिस महेंद्र कुमार गोयल ने राज्य सरकार और प्रतिवादियों की ओर से पेश अतिरिक्त सरकारी वकील को जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया। अंतरिम राहत पर उभय पक्षों के विद्वान अधिवक्ता को सुना। उनके द्वारा प्रस्तुत किए गए तर्कों और रिकॉर्ड की गई सामग्री को ध्यान में रखते हुए, यह न्यायालय इसे उचित और उचित मानते हुए आदेशित करते हुए कहा कि हालांकि, यदि ऐसा सलाह दी जाती है तो प्रतिवादी भारत के संविधान के अनुच्छेद 226(3) के तहत आवेदन पेश करने के लिए स्वतंत्र होंगे। मामले को अन्य प्रकरण एसबीसीडब्ल्यूपीएस नंबर 10548/2021, 493/2022 और 8252/2021 के साथ सूचीबद्ध करें।

राजस्थान उच्च न्यायालय के माननीय न्यायाधीश महेंद्र कुमार गोयल ने बुहाना तहसील के गांव रामपुर अहीरान के जोहड़ में बने रिहायशी घरों को जिला प्रशासन द्वारा तोड़ने की कार्रवाई पर रोक लगाने का आदेश पारित किया।

माननीय न्यायाधीश ने अप्राथीगण को नोटिस जारी करते हुए याचिकाकर्ताओं के आवासीय भवनों को नहीं तोड़ने का आदेश पारित किया।

राजकीय आदिवक्ता ने न्यायालय के द्वारा जारी नोटिस को न्यायालय में स्वीकार किया गया।


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