कानून व्यवस्था पर दृष्टांत पत्रिका का खुलासा

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दृष्टांत के अगस्त अंक को जब आप पढ़ेंगे तो आप भारत की कानून व्यवस्था की सच्चाई को जान पायेंगे,आप ये जान पायेंगे कि किस तरह से उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में स्थित इलाहाबाद हाईकोर्ट जहां से प्रदेश के 20 करोड से अधिक लोगों को न्याय देने का दावा किया जाता है, जिस इलाहाबाद हाईकोर्ट का केवल भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के न्यायिक इतिहास में अपना एक योगदान है और यहां के न्यायाधीशों के द्वारा दिये गये निर्णय एक मिसाल है, उसी उच्च न्यायालय इलाहाबाद में एक ज्वाइंट रजिस्ट्रार हेम सिंह को न्याय नहीं मिल पा रहा है।और वो पीड़ित हैं उत्तर प्रदेश की पुलिस के पूर्व मुखिया पूर्व डीजीपी आनंदलाल बनर्जी से।

हेम सिंह का दावा है कि उनकी शिकायतों पर भारत की बड़ी बड़ी संवैधानिक संस्थाओं जैसे सुप्रीम कोर्ट आफ इंडिया, राष्ट्रपति भवन, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यालय समेत अन्य संस्थाओं ने तमाम आदेश (जिनकी संख्या 22है) जारी किया परंतु जमीन उसका कोई परिणाम नहीं निकला।

क्या भारत में न्याय महंगा है?

क्या भारत में न्याय सेलेक्टिव हो गया है?

क्या न्याय के नाम पर मोटी मोटी दीवारों में कैद भारत की बड़ी बड़ी संवैधानिक संस्थाये क्या इतनी कमजोर हो गई है कि वो अपने ही आदेश का पालन कराने में अक्षम हो गई है?

पढ़िए लखनऊ से प्रकाशित होने वाली खोजी पत्रिका दृष्टांत के अगस्त अंक में ।

सौरभ सिंह सोमवंशी

9696110069


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