प्रशासन और ठेकेदारों के लिए दुधारू गाय बना मनरेगा योजना-आर के किशोर ।

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बेनीमाधव सिंह

प्रशासन और ठेकेदारों के लिए दुधारू गाय बन गया है पलामू में मनरेगा योजना ।उक्त बातें झारखंड के पूर्व मंत्री एवं विधायक राधाकृष्ण किशोर अपने आवास पर प्रेस कांफ्रेंस आयोजित कर कही ।श्री किशोर ने कहा कि जिला ग्रामीण विकास अभिकरण मनरेगा द्वारा जांच के क्रम में इस बात का खुलासा हुआ है कि मनरेगा आयुक्त के दिशा निर्देश के बावजूद गाइडलाइन का उल्लंघन करते हुए गांव की सरकार एवं प्रशासनिक अमले ने मिलकर निर्धारित मापदंड के बाहर जाकर योजनाओं का अनुमोदन और संचालन किया तथा बड़े पैमाने पर राशि की लूट हुई ।ज्ञातव्य हो कि मनरेगा योजना को 90 के दशक में तत्कालीन सरकार ने गरीबों के हित में उनको 100 दिन रोजगार उपलब्ध कराने तथा पलायन रोकने के उद्देश्य से एक योजना का शुरुआत किया था जिससे ग्रामीण मजदूरों ,ग्रामीण युवा को रोजगार उपलब्ध कराया जा सके तथा उसके लिए पर्याप्त धन की व्यवस्था की गई थी ।लेकिन इस योजना में ठेकेदारी इस कदर हावी हो गया कि मजदूरों के पहुंच से यह योजना बाहर हो गया ।मनरेगा आयुक्त फरवरी 2021 आदेश निर्गत करते हुए प्रत्येक पंचायत में 5 पशु शेड निर्माण की स्वीकृति प्रदान की थी ।इसकी सूचना आधिकारिक रूप से जिला एवं प्रखंड के पदाधिकारियों को पहुंचाते हुए पंचायत को भी दी गई थी। जिले के 90 पंचायतों में कुल मिलाकर 450 पशु शेड का निर्माण होना चाहिए । जबकि गाइड लाइन का उल्लंघन करते हुए 21 -22 व 22- 23 में 9383 पशु सेड की योजना स्वीकृत हुई ।सरकार द्वारा गरीब मजदूरों के हित में दी गई राशि गांव की सरकार प्रखंड के सरकारी अमले एवं ठेकेदारों के पॉकेट में चले गए मजदूरों का पलायन तब सामने आया जब हजारों लाखों की संख्या में कोरोनावायरस मजदूर देश के कोने कोने से सरकारी सहायता से पहुंचने लगे ।इसका मतलब है कि मजदूरों की पहुंच से दूर तथा ठेकेदार प्रशासन और गांव की सरकार तक ही सीमित रह गई। पलामू जिले के पाटन प्रखंड के नौडीहा पंचायत में पशु शेड की 11 योजना कार्यस्थल पर नहीं पाया जाना उप विकास आयुक्त के जांच में घोटाले का स्पष्ट प्रमाण प्राप्त होने के बावजूद उसके बाद जांच में गबन का मामला प्रकाश में आने पर भी दोषियो पर कोई करवाई नहीं किये जाने से घोटाले का बिष बेल बढ़ता ही गया । पाटन के महुलिया पंचायत में विकास आयुक्त ने जांच में तीन लाख पचास हजार का घोटाला पकड़ा था तथा मामले के दोषी जेई,मुखिया रोजगार सेवक तथा बीपीओ पर प्राथमिक दर्ज करने का निर्देश दिए थे। जबकि दोषियो ने मिलकर उक्त राशि को कोषागार मे जमा कर रसीद प्राप्त कर लिया। इससे उनके उपर लगे आरोप स्वयम सिद्ध हो गए। फिर भी कोई कार्रवाई नही हुई। इससे स्पष्ट हैकि पुरा सिस्टम घोटालेबाजो के साथ था। परंतु तत्कालीन उप विकास आयुक्त पलामू के द्वारा इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की जबकि हिसरा बरवाडी पंचायत के मुखिया पर विभागीय नियमों की अवहेलना तथा सरकारी राशि के गबन की मंशा पर पाटन थाना में एफ आई आर दर्ज करा दिया गया है। यह प्रशासन का दोहरा मापदंड है। देश में संसदीय प्रणाली लागू होने के बाद पहली बार कोई दलित मुखिया यहा बना है जो लोगों को रास नहीं आ रहा।


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